Aside from the fact that hanging doesn't quell crime not a single culprit has been hanged within 3 days, 11 days or a month of his rape. — Karuna Nundy (@karunanundy) January 30, 2019नंदी का बयान सही है। नैशनल क्राइम रेकॉर्ड्स ब्यूरो ने साल 2016 के बाद ‘भारत में अपराध’ के आंकड़े नहीं जारी किए हैं और इस दौरान बलात्कार या किसी अन्य अपराध के एक भी दोषी को फांसी पर नहीं लटकाया गया है। मोदी के नेतृत्व वाली NDA सरकार के सत्ता में आने के बाद अभी तक सिर्फ साल 2015 में याकूब मेमन को फांसी पर चढ़ाया गया था।बीते 13 सालों में भारत के अंदर सिर्फ 4 लोगों को फांसी पर चढ़ाया गया और इनमें से एक धनंजय चटर्जी वह शख्स था जिसे रेप और मर्डर के जुर्म में फांसी दी गई। चटर्जी को साल 2004 में फांसी दी गई थी।पीएम मोदी ने असल में क्या कहा था? सूरत में हुए न्यू इंडिया यूथ कॉन्क्लेव 2019 को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘इस देश में बलात्कार पहले भी होते थे। समाज की यह बुराई, कलंक ऐसा है कि आज भी इन घटनाओं को सुनने को मिलता है। माथा शर्म से झुक जाता है, दुख होता है लेकिन आज 3 दिन में फांसी, 7 दिन में फांसी, 11 दिन में फांसी, एक महीने में फांसी…लगातार उन बेटियों को न्याय दिलाने के लिए एक के बाद एक कदम उठाए जा रहे हैं और नतीजे नजर आ रहे हैं। लेकिन देश का दुर्भाग्य है कि बलात्कार की घटना तो 7 दिन तक टीवी पर चलाई जाती है लेकिन फांसी की सजा की खबर आकर के चली जाती है।’पीएम मोदी ने ‘फांसी’ शब्द का इस्तेमाल किया जिसका मतलब फांसी की सजा सुनाया जाना था न की फांसी पर चढ़ाया जाना। मोदी बता रहे थे कि कैसे टीवी चैनल फांसी की सजा की खबर को बलात्कार की खबरों से कम महत्व देते हैं। समाचार एजेंसी ANI ने इस बयान का अंग्रेजी में अनुवाद करने में गलती की।सूरत में पीएम मोदी के संबोधन का पूरा विडियो यहां देखें। विडियो में 21:41 मिनट पर उन्हें बलात्कार की सजा के बारे में जवाब देते हुए सुना जा सकता है।Euphoric New India Youth Conclave in Surat. पीएम मोदी ने यह नहीं कहा कि बलात्कारियों को चंद दिनों में फांसी पर लटकाया गया। उन्होंने कहा कि फांसी की सजा कुछ दिनों के अंदर सुना दी गई और ऐसा वाकई हुआ है।हफ्ते भर में सुनाई फांसी की सजा? 15 अगस्त, 2018 को स्वतंत्रा दिवस के मौके पर लाल किले से अपने भाषण के दौरान पीएम मोदी ने कहा था कि बलात्कार की राक्षसी प्रवृत्ति से देश को मुक्त कराना होगा। कटनी में पांच दिन में बलाक्तर के दोषी को फांसी की सजा दी गई। फांसी की खबरें जितनी प्रसारित होंगी राक्षसी मनोवृत्ति कम होगी। राक्षसी मनोवृत्ति के खिलाफ भय पैदा करना होगा।कानून विशेषज्ञ हालांकि, इस बात को लेकर सहमत नहीं लगते। कुछ का मानना है कि फांसी की सजा से पीड़ितों की जान को खतरा बढ़ेगा तो वहीं कुछ का मानना है कि इससे बलात्कार के मामले रिपोर्ट ही नहीं किए जाएंगे। अभी तक ऐसा कोई आंकड़ा भी नहीं है जिससे यह दावा किया जा सके कि मौत की सजा सुनाए जाने से बलात्कार के मामलों में कमी दर्ज की गई है।
Source: Navbharat Times January 31, 2019 11:26 UTC