लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद से ही पश्चिम बंगाल जंग का मैदान बना हुआ है। राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और विपक्षी बीजेपी के कई कार्यकर्ताओं की हत्या कर दी गई है और दोनों ही दल इसके लिए एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। इस बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का गढ़ कहे जाने वाले हावड़ा में सोमवार सुबह समतुल दोलुई की संदिग्ध हत्या ने बीजेपी को इस क्षेत्र में बढ़त दे दी है।गुरुवार शाम को बीजेपी के झंडे में लिपटा हुआ दोलुई का शव जब उलूबेरिया सरकारी अस्पताल से सोरपोता पहुंचा तो 'जय श्री राम' के नारे हवा में गूंज उठे। चनुलिया के लोगों ने मुख्य मार्ग को रोक दिया जो राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 6 को जोड़ता है। जिस जगह पर दोलुई का शव पाया गया था, वहां पर लोगों ने बंद दुकानों के शटर को पीटा। इस दौरान पुलिस मूकदर्शक बनकर खड़ी रही।दोलुई के एक रिश्तेदार ने कहा, 'यह निश्चित रूप से राजनीतिक हत्या है। अब से कुछ दिन पहले से टीएमसी का एक स्थानीय नेता जय श्री राम के नारे लगाने के खिलाफ चेतावनी दे रहा था।' उन्होंने कहा, 'रविवार शाम को संतोषी मां की पूजा के बाद भोज दिया गया था। दोलुई की पास में ही साइकल ठीक करने की दुकान है। कार्यक्रम के दौरान उसने शराब पी ली और जय श्री राम के नारे लगाने लगा। क्या यह अपराध है? 'रिश्तेदार ने कहा, 'हत्या के बाद भी टीएमसी के कार्यकर्ताओं ने कहा कि उन्हें गांव के कुछ और भी लोगों को देखना है। दोलुई जैसे लोग पहले टीएमसी में थे लेकिन पार्टी में विश्वास खत्म होने के बाद वे बीजेपी में आ गए हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि उनकी हत्या की जाय या उन्हें नुकसान पहुंचाया जाए।' सोमवार को सुबह करीब 10.30 बजे दोलुई का शव उसकी दुकान के पीछे एक तालाब के पास खाली में खेत में मिला था।दोलुई की गर्दन पर गमछा लपेटा हुआ था और उसके शरीर पर जलाने के निशान थे। ग्रामीणों को शक है कि हत्यारों ने शराब की जलती बोतल का इस्तेमाल यह जानने के लिए किया कि गला घोटने के बाद क्या दोलुई जिंदा है या नहीं। उधर, टीएमसी ने इस हत्या में अपने किसी कार्यकर्ता के शामिल होने के आरोप को पूरी तरह से खारिज कर दिया है। टीएमसी कुछ भी कहे लेकिन इस हत्या के बाद इलाके में वह बैकफुट पर आ गई है।इस बीच पुलिस ने कहा है कि घटना के संबंध में अर्जुन कोली को अरेस्ट किया गया है। कोली टीएमसी कार्यकर्ता है और हत्या के दिन सुबह वह दोलुई के साथ था। दोलुई के बेटे आकाश ने कहा, 'हमें प्रशासन पर किसी तरह का भरोसा नहीं है। हम सीबीआई जांच चाहते हैं। मेरे पिता के बीजेपी में शामिल होने के बाद से हम लोग प्रताड़ना झेल रहे थे।' आकाश ने कहा कि पुलिस ने भी उनकी शिकायत पर कोई ध्यान नहीं दिया। वे मेरे पिता की हत्या के बाद एफआईआर भी दर्ज नहीं करना चाहती थी। वे चाहते थे कि इसे आत्महत्या का रंग दे दिया जाए।
Source: Navbharat Times June 12, 2019 02:53 UTC