हर साल पानी के लिए प्रदर्शन होते हैं, अफसर नहीं कर रहे प्लानिंगसाल भर में करीबन 50 करोड़ का खर्चा, फिर भी इंजीनियर नहीं कर रहे प्लानिंगदैनिक भास्कर Jun 12, 2020, 05:59 AM ISTजयपुर. जलदाय विभाग के इंजीनियरों की लापरवाही के कारण आम जनता को नल के बजाए टैंकरों से पानी लेना पड़ रहा है। वहीं विभाग को भी हर महीने 3 करोड़ रुपए खर्च करने पड़ रहे है। हर साल टैंकरों पर 50 करोड़ तक खर्च हो जाते है, इसके बावजूद विभाग के इंजीनियर दिक्कत वाले इलाकों को पेयजल सप्लाई से जोड़ने की प्लानिंग नहीं कर रहे है। जबकि लोग टैंकर के बजाए नल से पानी चाहते है और प्रदेश भर में इसके लिए सबडिवीजन दफ्तरों में धरने-प्रदर्शन भी होते है। इसके बावजूद सुधार नहीं हुआ।जलदाय विभाग के चीफ इंजीनियर सीएम चौहान ने बताया कि नए इलाकों को पेयजल सप्लाई से जोड़ने के लिए स्थानीय निकायों से शेयर काॅस्ट नहीं मिल पाती है। जहां पाइपलाइन नहीं है या कम प्रेशर है, वहां पर टैंकरों से पेयजल सप्लाई की जाती है। अब हर घर में नल से पानी प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है।अकेले शहरी क्षेत्र में 489 टैंकरों से हो रही पानी की सप्लाईप्रदेश के 47 शहरों में 489 टैंकर के जरिए रोजाना 3200 टैंकर ट्रिप से पेयजल सप्लाई हो रहा है। वहीं ग्रामीण क्षेत्र के 1518 गांव 1736 ढाणियों में 1002 टैंकर से रोजाना 4 हजार टैंकर ट्रिप से जल परिवहन हो रहा है। जबकि प्रदेश में एक टैंकर ट्रिप का 100 से 200 रुपए का पेमेंट किया जा रहा है। हालांकि पिछले साल गर्मियों 51 शहरों में 569 टैंकर से 4019 टैंकर ट्रिप और ग्रामीण क्षेत्रों में 3152 गांव व 2557 ढाणियों में 1854 टैंकर से 7428 टैंकर ट्रिप रोजाना पानी सप्लाई कर रहे थे।विभाग टैंकर के जरिए पेयजल का सार्वजनिक वितरण करना पड़ता है। यानि टैंकर सरकारी टंकी में पानी डालता है या फिर चौराहे पर खड़ा करते है। ऐसे में लोगों को खाली बर्तन सड़क पर लाना पड़ता है और पानी भरकर ले जाना पड़ता ह। लोगोंं की मांग है कि हर घर तक नल से पानी पहुंचाया जाए।
Source: Dainik Bhaskar June 11, 2020 23:02 UTC