{"_id":"673ec37defc3539dbd0e6559","slug":"himachal-news-human-life-existed-in-himachal-since-40-thousand-years-ago-2024-11-21","type":"feature-story","status":"publish","title_hn":"Himachal News: हिमाचल में 40 हजार साल पहले से है मानव जीवन, बडे़ गोल आकार के पत्थरों के औजार मिले; जानें","category":{"title":"City & states","title_hn":"शहर और राज्य","slug":"city-and-states"}}शिमला के राज्य संग्राहलय में मजूद सिरमौर की मारकंडा घाटी से मिले पत्थरो के औजार । - फोटो : संवाद न्यूज एजेंसीविस्तार Follow Usहिमाचल में 40 हजार साल पहले भी मानव सभ्यता जीवित थी। पूरा पाषाण काल में मानव जाति जो औजार इस्तेमाल करती थी, इसके एतिहासिक अवशेष प्रदेश के लाहौल-स्पीति, कांगड़ा की बाण गंगा घाटी, ब्यास घाटियों, नालागढ़ के शिवालिक घाटी, बिलासपुर की सिरसा सतलुज घाटियों और सिरमौर की मारकंडा घाटी से गुजरने वाले क्षेत्र में मिले हैं।और पढ़ेंविज्ञापनराज्य संग्रहालय के अध्यक्ष हरि चौहान ने कार्यशाला के दौरान यह खुलासा किया है। इन सभी घाटियों से मिले पाषाणकालीन उपकरण अभी भी राज्य संग्रहालय में मौजूद हैं। उस दौरान लोग अपनी जरूरतों के हिसाब से पत्थरों के औजार बनाते थे। इसका इस्तेमाल मांस काटने, जानवरों की खाल निकालने, जमीन में खोदने और पौधों की खाल निकालने के अलावा अपनी दूसरी जरूरतों के लिए इस्तेमाल करते थे।विज्ञापनविज्ञापनयह औजार आज के पाषाण काल में उपयोग होने वाले कुल्हाड़ी, कुदाली, चॉपर सहित अन्य आकार के हैं। लाहौल-स्पीति के ऊपरी इलाकों में सबसे ज्यादा पाषाण काल के पत्थरों के औजार मिले हैं। साल 2017 से इन इलाकों में औजारों को ढूंढने का काम शुरू किया था, जो अभी तक भी चल रहा है। इन औजारों के लिए आमतौर पर इस्तेमाल की जाने वाली चट्टान क्वार्ट जाइट थी। क्वार्ट जाइट एक रूपांतरित चट्टान है जो पहाड़ों के निर्माण के दौरान तलछटी बलुआ पत्थर को गर्म करने और दबाव डालने पर बनती है।खुलासा हुआ कि हिमाचल में तीन लाख साल से 40 हजार साल पहले तक पूरा पाषाणकाल चला। इसके बाद मध्य पाषाण काल और वर्तमान में नव पाषाणकाल चल रहा है। इससे यह साबित होता है कि तीन लाख साल से 40 हजार साल पहले भी प्रदेश में मानव सभ्यता थी। इसके अलावा संग्रहालय में मध्य पाषाण काल और नव पाषाणकाल में भी उपयोग होने वाले पत्थरों के औजार भी मिले हैं।
Source: NDTV November 21, 2024 17:23 UTC