Friedlieb Ferdinand Runge: who is friedlieb ferdinand runge? all you need to know about him - Friedlieb Ferdinand Runge को Google Doodle आज कर रहा है याद, जानें क्यों - News Summed Up

Friedlieb Ferdinand Runge: who is friedlieb ferdinand runge? all you need to know about him - Friedlieb Ferdinand Runge को Google Doodle आज कर रहा है याद, जानें क्यों


दिमाग ने काम करना बंद किया, मतलब जिंदगी खत्म। दिमाग से ही हमारे शरीर के सभी अंगों को निर्देश मिलता है। छत से कूदने से जान जा सकती है और खौलते हुए पानी में हाथ डाला तो मतलब हाथ का काम तमाम। ये सब बातें दिमाग ही बताता है। बाकी शरीर के अंग तो उस पर अमल करते हैं। सोचिए दिमाग अगर काम करना बंद कर दे तो क्या होगा। ऐसा नहीं है कि दिमाग हमेशा ही काम करता रहता है। कभी-कभी यह सही से काम करना बंद कर देता है। ऐसी हालत को मसल स्पैस्टिसिटी (muscle spasticity) कहा जाता है। इस बीमारी का शिकार आदमी न ठीक से चल सकता है और न ही ठीक से बोल सकता है। कई बार इंसान जिंदा लाश भी बन जाता है। इस बीमारी से इंसान को निजात दिलाता है फेनॉल (Phenol) का इंजेक्शन। इसी फेनॉल के इंजेक्शन की खोज करने वाले इंसान को आज गूगल अपने डूडल के जरिए सलाम कर रहा है। उस इंसान का नाम है फ्रेडलीब फर्डिनंड रंज। फ्रेडलीब फर्डिनंड रंज ने सिर्फ फेनॉल की ही खोज नहीं की थी बल्कि कॉफी में पाए जाने वाले कैफीन का भी पता लगाया था। आइए आज आपको बताते हैं कि फ्रेडलीब कौन थे और उन्होंने आपके लिए क्या-क्या किया...फ्रेडलीब फर्डिनंड रंज का जन्म 8 फरवरी, 1794 को जर्मनी के हैम्बर्ग शहर में हुआ। वह ऐनालिटिकल केमिस्ट था यानी चीजों की रासायनिक खासियत के बारे में पता लगाते और बताते थे। उन्होंने बर्लिन में औषधि की पढ़ाई की और उसके बाद जेना की यूनिवर्सिटी में चले गए। जेना जर्मनी का यूनिवर्सिटियों वाला शहर है। वहां उन्होंने प्लांट केमिस्ट्री पर अपना ध्यान लगाया। 1822 में उन्होंने पौधों से निकलने वाले जहरीले रस पर अपनी पीएचडी पूरी की।डॉक्टोरेट पूरा करने के बाद फ्रेडलीब पोलैंड की एक यूनिवर्सिटी में प्रफेसर बन गए। लेकिन वहां उनको बहुत कम वेतन मिलता था। इससे उनको निराशा हुई और पढ़ाना छोड़ दिया। उन्होंने साल 1833 में एक कंपनी में जॉब कर ली। कंपनी में उनको टेक्निकल डायरेक्टर बनाया गया। उनको वहां काम सौंप गया कि पता लगाओ अलकतरा का कहां-कहां इस्तेमाल हो सकता है। उसका पता लगाने की चक्कर में उन्होंने काम की 2 और चीजें खोज लीं। उन दोनों का नाम है फेनॉल और एनिलिन। दोनों के बारे में थोड़ा-थोड़ा बताते हैं कि उनका हमारे जीवन में क्या फायदा है।फेनॉल का एक इस्तेमाल तो आपको ऊपर बता ही चुके हैं। इसके अलावा यह कई समस्याओं में काम आता है। उनमें से ही एक समस्या है अंगूठे के नाखून का पीछे यानी मांस वाले हिस्से की ओर बढ़ जाना। वह काफी दर्द देता है। ऐसे में फेनॉल के इस्तेमाल से उसे पीछे की ओर बढ़ने से रोक देता है। फेनॉल टीकों को सुरक्षित रखने के काम भी आात है। फेनॉल के लिक्विड का इस्तेमाल आरएनए, डीएनए या अन्य प्रोटीन को अलग करने के लिए होता है। फेनॉल में कैंसर को रोकने का गुण भी पाया जाता है। सर्जरी के दौरान ऐंटिसेप्टिक के तौर पर इसका इस्तेमाल भी किया गया है।आपके जींस का नीला रंग इसी के कारण होता है। जींस के लिए जिस डाई का इस्तेमाल होता है, उसको तैयार करने में एनिलिन का इस्तेमाल होता है। एनिलिन की मदद से रबड़ बनाया जाता है। एनिलिन से ही आइसोसायनेट्स (isocyanates) नाम का रासायनिक पदार्थ बनाया जाता है। आइसोसायनेट्स का इस्तेमाल पॉल्युरीथेन (Polyurethane) के उत्पादन में होता है। इसी पॉल्युरीथेन का इस्तेमाल प्लास्टिक के अलावा थर्मल फोम बनाने में होता है। दवाओं में भी इसका इस्तेमाल होता है। कीटनाशकों को भी इसकी मदद से तैयार किया जाता है।बहुत ही कम उम्र से फ्रेडलीब ने केमिस्ट्री में दिलचस्पी लेना शुरू कर दिया था। किशोर उम्र में ही उन्होंने बेलाडोना के पौधे पर शोध किया। एक बार वह बेलाडोना के रस पर शोध कर रहे थे। अचानक उनक पुतलियों पर बेलाडोना का रस गिर पड़ा। इससे उन्होंने पता लगाया कि बेलाडोना का रस पड़ने से आंख की पुतलियां सिकुड़ने और फैलने लगती है। उन्होंने अपनी इस खोज के बारे में जोहान वूल्फगैंग गोएथे को बताया जो जर्मनी के प्रसिद्ध लेखक और विद्वान थे। गोएथे ने फ्रेडलीब की प्रतिभा पहचान ली और उनको कॉफी बीन के घटकों की पहचान करने को कहा। इसके बाद रंज ने कॉफी बीन पर काम शुरू कर दिया और 1819 में उन्होंने कैफीन का पता लगाया।जब आप थकान महसूस करते हैं या मूड फ्रेश करना चाहते हैं तो एक कप कॉफी आपकी पसंद होती है। कभी आपने सोचा है कि कॉफी में आखिर क्या होता है जो आपका मूड फ्रेश कर देता है। तो आज जान लीजिए, वह चीज कैफीन होती है। कैफीन से आपके शरीर को एक नई ऊर्जा देता है। कैफीन जर्मनी के शब्द काफी (Kaffee) से निकला है। कैफीन कई पैधों की पत्तियों, फलियों और फलों में पाई जाती है।उन्होंने खेतों की पैदावार बढ़ाने के लिए हड्डियों और बूचड़खानों के अवशेष का इस्तेमाल करने का सुझाव दिया। उनका मानना था कि ऐसा करने से खेतों की पैदावार में बेहतरी हो सकती है। साथ ही एक नया उद्योग भी खड़ा हो जाएगा। लेकिन उनकी इस बात पर अमल नहीं किया गया।


Source: Navbharat Times February 08, 2019 04:03 UTC



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