Anil Ambani: NBFC गहरे संकट में, मदद की सख्त जरूरत: अनिल अंबानी - nbfc is in big crisis,need for help: anil ambani - News Summed Up

Anil Ambani: NBFC गहरे संकट में, मदद की सख्त जरूरत: अनिल अंबानी - nbfc is in big crisis,need for help: anil ambani


रिलायंस कैपिटल के चेयरमैन अनिल अंबानी ने कहा कि नॉन-बैंकिंग फाइनैंस कंपनियां बहुत बड़े संकट का सामना कर रही है। उन्होंने रिलायंस कैपिटल और एनबीएफसी की समस्याओं पर केंद्रित एक इंटरव्यू में कहा, 'यह सेक्टर पिछले आठ महीनों से इंटेंसिव कोरोनरी केयर यूनिट में है।' अंबानी ने कहा, 'इससे इकॉनमी के दूसरे सेक्टर्स पर पड़ रहा असर साफ देखा जा सकता है। आईसीसीयू में अगर आप मरीज को बचाना चाहते हों तो पैरासिटामॉल नहीं, फुल लाइफ सपोर्ट देना होता है।'अंबानी को उम्मीद है कि नई सरकार और आरबीआई लिक्विडिटी के मोर्चे पर तत्काल राहत का उपाय करेंगे। इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनैंशल सर्विसेज (IL&FS) के डिफॉल्ट्स से शुरू हुए संकट के बाद जोखिम से बचते हुए बैंकों ने एनबीएफसी को कर्ज देने में आनाकानी शुरू कर दी थी। इसइसे इन कंपनियों के पास सिक्यॉरिटाइजेशन के जरिए पैसा जुटाने के सिवा कोई चारा नहीं बचा। अंबानी ने कहा कि म्यूचुअल फंड्स ने भी लेंडिंग कम कर दी है। अंबानी ने रफाल फाइटर जेट डील से जुड़े विवाद पर टिप्पणी नहीं की।अंबानी ने कहा, 'बैंक बहुत ऐहतियात बरत रहे हैं। एनबीएफसी और हाउसिंग फाइनैंस कंपनियों के लिए कॉस्ट बहुत बढ़ गई है। सभी बड़ी कंपनियों की बैलेंस शीट का आकार पिछले आठ महीनों में घटा है।' रिलायंस कैपिटल पर 18,000 करोड़ रुपये का कर्ज है। अंबानी ने कहा कि इस साल स्टेक सेल के जरिए कर्ज 50 प्रतिशत घटाया जाएगा।इस कंपनी की दो सब्सिडियरीज ने पिछले महीने शॉर्ट टर्म डेट पर डिफॉल्ट किया था। रिलायंस कैपिटल ने रिलायंस निपॉन एसेट मैनेजमेंट में 43 प्रतिशत हिस्सेदारी जापानी पार्टनर निपॉन लाइफ को बेचकर 6000 करोड़ रुपये जुटाए हैं। जनरल इंश्योरेंस बिजनस में भी स्टेक सेल किया जा सकता है। अंबानी ने कहा कि उनकी सभी कंपनियों के पास पर्याप्त पैसा है और उनसे कहा गया है कि वैल्यू क्रिएशन और वैल्यू अनलॉकिंग के जरिए कर्ज घटाया जाना चाहिए। आरबीआई ने हाल में एनबीएफसी सेक्टर के लिए लिक्विडिटी कवरेज के नियम कड़े किए थे। ये नियम अप्रैल 2020 से लागू होंगे।अंबानी ने कहा कि इंडिया इंक को 3C यानी कैश, कोर्ट और क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों का झटका लगा है। उन्होंने कहा, 'आईएलएंडएफएस मामले के बाद रेटिंग एजेंसियों को तगड़ी चोट पहुंची है। वे अब दूसरे सिरे पर पहुंच गई हैं और एक के बाद एक डाउनग्रेड्स किए जा रही हैं। इंटरनैशनल सिचुएशन से उलट भारत में रेटिंग एजेंसियों के पास जरूरी कौशल नहीं है।' अंबानी का मानना है कि सेबी और आरबीआई को इसमें दखल देना चाहिए और एक ज्यादा संतुलित स्थिति बनानी चाहिए।अंबानी ने कहा कि प्रस्तावित रेटिंग एक्शंस के लिए कोई भरोसेमंद रिव्यू मैकेनिज्म नहीं है। उन्होंने कहा, 'रेटिंग एजेंसियां ही जज हैं, ज्यूरी हैं और वही फांसी देनेवाली भी हैं।'सोमवार को रिलायंस ग्रुप ने अपना रेडियो बिजनेस जागरण ग्रुप को बेचने की घोषणा की। रिलायंस कैपिटल भी विदेशी निवेशकों से बातचीत कर रही है, ताकि होम फाइनेंस बिजनस में मेजॉरिटी स्टेक बेचा जा सके।अंबानी ने कहा कि भारत में डील करना आसान नहीं है। उन्होंने कहा, 'पिछले सप्ताह हमने रिलायंस निपॉन लाइफ एसेट मैनेजमेंट में 6000 करोड़ रुपये में स्टेक सेल का औपचारिक ऐलान किया था। आने वाले हफ्तों में जनरल इंश्योरेंस और एंटरटेनमेंट एसेट्स के मामले में और प्रगति होगी।' उन्होंने कहा, 'उम्मीद है कि रेटिंग एजेंसियां रेटिंग बढ़ाने में भी उतनी ही तत्परता दिखाएंगी, जितनी उन्होंने डाउनग्रेड करने में दिखाई थी।'अंबानी ने कहा कि प्राइम फोकस में 35 प्रतिशत स्टेक बेचने और रेडियो बिजनेस में स्ट्रैटिजिक इनवेस्टमेंट्स से कर्ज घटाने की योजना में 2000 करोड़ रुपये से ज्यादा की मदद मिलने का अनुमान है।


Source: Navbharat Times May 28, 2019 02:48 UTC



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