मां जैसा दुनिया में कोई दिल नहीं, बताते हैं विवेकानंद, गुलज़ार और एडिसन के 3 किस्से - Dainik Bhaskar - News Summed Up

मां जैसा दुनिया में कोई दिल नहीं, बताते हैं विवेकानंद, गुलज़ार और एडिसन के 3 किस्से - Dainik Bhaskar


मां के कई रूप हैं और उसमें धैर्य है, प्यार है और इतनी फिक्र है कि उसका कर्ज उतारना मुश्किल है। मदर्स डे पर पढ़िए ऐसे ही किस्से जो उसकी इन्हीं खूबियों को बयां करते हैं...गुलज़ार की दिल दहलाने वाली कहानी - रावी पार गुलजार की एक कहानी है ‘रावी पार’। विभाजन के वक्त की यह दिल दहलाने वाली कहानी है।सरदार दर्शन सिंह और उसकी बीवी शाहनी अपने जुड़वां दुधमुंहे बच्चों को लेकर ट्रेन से लाहौर जा रहे थे। ट्रेन में जगह नहीं मिली। गांव के टोले के साथ ट्रेन की छत पर सवार हो गई। मारे ठंड के एक बच्चे ने दम तोड़ दिया। आसपास बैठे लोगों ने कहा- मरी, मरे बच्चे को कहां ले जाएगी? यहीं रावी (नदी) में ठंडा कर दे! मां ने बच्चे को रावी में ठंडा कर दिया। उस मां की हालत देखिए, जिसे लाहौर जाकर पता चला कि जिंदा बच्चा तो रावी में बहा आई और मरे हुए को छाती से चिपकाकर यहां चली आई।विवेकानंद ने पांच सेर के पत्थर से बताई मां की अहमियत स्वामी विवेकानंद जी से एक बार एक व्यक्ति ने सवाल किया- मां की महिमा संसार में किस कारण है? स्वामी जी मुस्कराए। बोले- पांच सेर वजन का एक पत्थर ले आओ और किसी कपड़े में लपेटकर अपने पेट पर बांध लो। चौबीस घंटे बाद मेरे पास आना, फिर बताऊंगा। उस व्यक्ति ने पत्थर पेट पर बांधा और चला गया। दिनभर पत्थर पेट पर बांधे वह काम करता रहा। पूरे दिन उसे परेशानी हुई। शाम तक वह थक गया। पत्थर का बोझ लेकर चलना उसके लिए असहनीय हो गया। आखिरकार थककर वह स्वामी जी के पास पहुंचा और बोला- मैं इस पत्थर को बांधकर और नहीं चल सकूंगा। इसके बाद स्वामी जी ने कहा- पेट पर यह बोझ तुमसे कुछ घंटे भी नहीं उठाया गया, जबकि मां अपने गर्भ में पलने वाले शिशु को पूरे नौ माह तक लेकर चलती है और घर का सारा काम करती है। संसार में क्या मां के सिवाय कोई इतना धैर्यवान और सहनशील है? इसलिए दुनिया में मां की महिमा अलग है।


Source: Dainik Bhaskar May 11, 2019 11:44 UTC



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