भास्कर ने एबीवीपी, एनएसयूआई व एसएफआई के युवाओं से पूछा-5 साल की सरकार आपको कैसी लगी - News Summed Up

भास्कर ने एबीवीपी, एनएसयूआई व एसएफआई के युवाओं से पूछा-5 साल की सरकार आपको कैसी लगी


लोकसभा चुनाव को लेकर इस बार निगाहें युवाओं की तरफ हैं। हालांकि बेरोजगारी इस बार भी बड़ा मुद्दा बनी हुई है। दैनिक भास्कर ने युवा संगठनों से बातचीत की और जाना कि राजनीति में युवाओं को लेकर उनका क्या मानना है और युवाओं के संदर्भ में वे सरकार के कार्यकाल से कितने खुश हैं और क्या सोचते हैं? युवाओं से यह भी जानने का प्रयास किया कि आगामी सरकार से उनकी क्या उम्मीद हैं। प्रमुख छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद , एनएसयूआई और एसएफआई के जिलाध्यक्षों से बातचीत की।विद्यार्थी परिषद नेशन फर्स्ट, वोटिंग फर्स्ट के मिशन पर काम कर रही है। इस बार 8 करोड़ युवा वोट डाल रहे हैं। मेरा मानना है कि युवा देश हित व राष्ट्रनिर्माण के लिए वोट करें। कुछ वर्ष पहले जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में देश विरोधी ताकतों ने नारेबाजी की उन्हें रोकने के लिए जरूरी है कि देश के सम्मान के लिए वोट दिए जाएं। युवाओं को लेकर सरकार के अब तक के कार्यकाल की बात करें तो काफी हद तक बेरोजगारों को रोजगार मिला है। पिछली सरकारों के औसत से ज्यादा रोजगार इस सरकार में मिले। रोजगार का मुद्दा सिर्फ राजनीति के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। वास्तविकता में ऐसा नहीं है। ऐसा नहीं है कि बेरोजगारी के कारण क्राइम बढ़ गया हो या युवाओं में चोरी या कोई गलत आचरण की तरफ गया हो। यह सब राजनीति है। नई सरकार से उम्मीद के बारे में मेरा मानना है कि मजबूत सरकार देश का नेतृत्व करे। ऐसा नहीं हो कि यहां पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगें। देश विरोधी ताकतें हावी नहीं हो।-मयंक खंडेलवाल, संयोजक, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषदये रोजगार की बात करते हुए पकौड़े पर क्यों आ गएएनएसयूआई हमेशा से यह मांग करती आई है कि राजनीति में अच्छे लोग आएं। राजनीति में झूठ नहीं हो। अच्छे लोग चुनकर जाएंगे तो संसद में अपने क्षेत्र का पक्ष रख सकेंगे। मेरा मानना है कि नेता का जमीनी व स्थानीय होना अति आवश्यक है। ताकि समस्याओं को समझते हुए बेहतर ढंग से उठा सके। युवाओं को किसी बहाव नहीं बल्कि नेताओं के पिछले रिकॉर्ड व उनके कार्यों को देखते हुए वोटिंग करनी चाहिए। युवाओं के संदर्भ में अब तक की अच्छी ऐसी कोई बात नहीं है जिसे सार्वजनिक तौर पर कहा जा सके। 2014 में युवाओं में बड़ी संख्या में मोदी के लिए वोट किया था। आज तक खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं। मोदी जी के वादे सिर्फ वादे ही रहे। 2 करोड़ युवाओं को रोजगार की बात कही गई थी, 15 लाख रुपए की बात थी। जब कुछ नहीं हुआ तो पकौड़े तलने को रोजगार बताने लग गए। आखिर युवा को कब तक अनर्गल बातों से बेवकूफ बनाया जाएगा। उसे सिर्फ रोजगार चाहिए। आगामी सरकार से उम्मीद है कि नौजवान बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराए ।-राकेश चौधरी, जिलाध्यक्ष एनएसयूआईयुवाओं को राजनीति में आना चाहिए। इस समय की सबसे बड़ी मांग युवाओं के रोजगार की है। मोदी सरकार पूरी तरह से युवाओं के परिप्रेक्ष्य में विफल रही है। ऐसे में युवा अब प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मतदान में अपनी भूमिका निभाएं और राजनीति में आकर उन नीतियों को बदलें जिनसे बेरोजगारी हुई है। शिक्षा का निजीकरण, भगवाकरण कुछ ऐसी सीधी बातें हैं जिन्हें युवा समझें और अपने हक के लिए लड़ें। सिर्फ बातों से कुछ नहीं होगा। सरकार के अब तक के कार्यकाल की बात करें तो अच्छे दिन का वाद था, लेकिन कुछ नहीं मिला। सरकार ने 2 करोड़ रोजगार देने का वादा किया था। हकीकत यह है कि पिछले चार साल में हुई बेरोजगारी ने 44 साल की बेरोजगारी का रिकॉर्ड तोड़ा और इन चार वर्षों में बढ़ी। सरकार ने तो उस विभाग पर भी बैन लगा दिया जो बेरोजगारी के आंकड़े जारी करता था। इसलिए जो सरकार युवाओं को उनके अधिकारों से वंचित करती है ऐसी सरकार को बदलने के लिए युवाओं को आगे आना चाहिए। सरकार ने शिक्षा का बजट भी घटा दिया।-पंकज सांवरिया, प्रदेश उपाध्यक्ष, एसएफआई


Source: Dainik Bhaskar April 21, 2019 01:07 UTC



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