अल्फाबेट का गूगलपे, वालमार्ट का फोनपे और सॉफ्टबैंक ग्रुप कॉर्प का पेटीएम भारत के पेमेंट ऐप बाजार पर राज कर रहेभारत में पिछले महीने गूगल पे के जरिये 7.5 करोड़, फोनपे से 6 करोड़ और पेटीएम के जरिये 3 करोड़ ट्रांजेक्शंस हुएदैनिक भास्कर Jun 06, 2020, 04:03 PM ISTनई दिल्ली. फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग करीब दो साल से अपने लोकप्रिय मैसेजिंग ऐप वॉट्सऐप पर पेमेंट सुविधा शुरू करना चाहते हैं। लेकिन एक करोड़ उपयोगकर्ताओं तक सीमित इसके बीटा वर्जन को कई वजहों से फुल-फ्लेज्ड सर्विस नहीं बनने दिया जा रहा है। इस बीच अल्फाबेट इंक का गूगलपे, वालमार्ट इंक का फोनपे और सॉफ्टबैंक ग्रुप कॉर्प का पेटीएम भारत में पेमेंट ऐप बाजार में राज कर रहे हैं। इकॉनोमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में पिछले महीने गूगल पे के जरिये 7.5 करोड़, फोनपे के जरिये 6 करोड़ आौर पेटीएम के जरिये 3 करोड़ ट्रांजेक्शंस हुए।घर-घर में स्मार्टफोन की मौजूदगी लोगों को वह सुविधा दे सकती है, जो बैंक की शाखाएं नहीं दे पा रही हैंहेट स्पीच को प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराने, मतदान को प्रभावित करने और झूठ का प्रसार करने के मामले में निश्चित रूप से फेसबुक की वैश्विक स्तर पर जांच होनी चाहिए, लेकिन कैशलेस ट्रांजेक्शन एक ऐसा क्षेत्र है, जिसमें वॉट्सऐप एक महत्वपूर्ण सकारात्मक भूमिका निभा सकता है। भारत जैसी उभरती अर्थव्यवस्था के लिए यह और भी अधिक महत्वपूर्ण है। कोरोनावायरस लॉकडाउन के दौरान शहरी क्षेत्रों में लाखों ग्रामीण प्रवासी कामगारों के पास न तो बचत के रूप में कोई खास नकदी थी और न ही उनके पास सरकार की ओर से दी गई कोई सामाजिक सुरक्षा थी। ऐसे में घर-घर में स्मार्टफोन की मौजूदगी कमजोर नागरिकों को ऐसी वित्तीय सहायता उपलब्ध करा सकती है, जो बैंक की शाखाएं नहीं दे सकती हैं।वॉट्सऐप की पेमेंट सेवा को रोकने से निरर्थक हो जाएगा भारत का इंफ्रास्ट्रक्चररिपोर्ट में कहा गया है कि वॉट्सऐप पर पाबंदी लगाई जाती है, तो भारत ने जो इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया है, वह निरर्थक हो जाएगा। चार साल पहले भारत ने एक शेयर्ड इंटरफेस बनाया और उससे 150 से अधिक बैंकों को जोड़ा। इनमें से किसी भी बैंक का खाताधारक इस नेटवर्क पर मौजूद किसी भी बैंक के खाताधारक को पैसा भेज सकता है या उससे पैसा स्वीकार कर सकता है। इसके लिए दोनों पक्षों को एक एक दूसरे का मोबाइल नंबर या वर्चुअल आईडी के अलावा कुछ और जानने की जरूरत नहीं। इस कॉमन प्रोटोकॉल का उपयोग कोई भी ऐप कर सकता है। इस प्रोटोकॉल के जरिये देश की जीडीपी के 10 फीसदी के बराबर ट्र्रोजेक्शन हो चुका है। गूगल को यह प्रणाली इतनी अच्छी लगी कि वह चाहता है कि अमेरिका का फेडरल रिजर्व भी इसे अपनाए।पेमेंट सेवा शुरू करने के लिए नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया से अनुमति चाहिएवॉट्सऐप को भारत में फुलफ्लेज्ड पेमेंट सेवा शुरू करने के लिए नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (नियामक) से अनुमति हासिल करनी होगी। इस अनुमति के लिए पहली बाधा यह थी भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की वह शर्त, जिसके तहत पेमेंट डाटा का संग्रह सिर्फ भारत में ही रखना होगा। यह शर्त पूरी हो गई है। लेकिन वॉट्सऐप को अब भी पेमेंट सेवा शुरू करने की अनुमति नहीं मिल पाई है। इस साल फरवरी में एक थिंकटैंक ने एक याचिका दाखिलकर सुप्रीम कोर्ट को वॉट्सऐप की भुगतान सेवा पर रोक लगाने की मांग की। थिंकटैंक ने कहा कि वॉट्सऐप अपने उपयोगकर्ताओं के गोपनीय आंकड़ों की सुरक्षा करने में असफल रहा है। इस सप्ताह एक हलफनामा दाखिल कर वॉट्सऐप ने इसके जवाब में कहा कि थिंकटैंक की याचिका स्वीकार करने लायक नहीं है।मैसेजिंग ऐप की लोकप्रियता के सहारे बचत की आदत को बढ़ावा दिया जा सकता हैलोकप्रियता वॉट्सऐप के लिए ताकत भी है और कमजोर भी। भारत में इस मैसेजिंग ऐप के 40 करोड़ से ज्यादा उपयोगकर्ता हैं। पिनबॉक्स एशिया और अफ्रीका में आम आदमी के लिए डिजिटल माइक्रो पेंशन शुरू करना चाहती है। वह वॉट्सऐप पर भुगतान सेवा शुरू होने का इंतजार कर रही है। भारत वित्तीय साक्षरता बढ़ाने में डिजिटल साक्षरता का लाभ उठा सकता है। मैसेजिंग ऐप पर लोग काफी वक्त गुजारते हैं, इसलिए इसके सहारे बचत की संस्कृति को आसानी से बढ़ावा दिया जा सकता है।झूठ का प्रचार किसी एक ऐप तक ही सीमित नहींकिसी माध्यम की लोकप्रियता से फायदा है, तो उसका कुछ नुकसान भी है। हाल में इस ऐप का उपयोग भारत के मुस्लिमों पर यह आरोप लगाने में किया गया कि वे जानबूझकर कोरोनावायरस फैला रहे हैं। इसके कारण इस समुदाय के लोगों को कुछ हिंसा का सामना करना पड़ा। लेकिन झूठ का प्रचार न तो सिर्फ भारत में होता है और न ही सिर्फ वॉट्सऐप से होता है। कोरोनावायरस महामारी के दौरान सबसे ज्यादा डाउनलोड किए जाने वाले ऐप टिकटॉक के कुछ पोस्ट्स में यह दावा किया गया था कि 5जी टेक्नोलॉजी से वायरस फैलता है। इसके कारण ब्रिटेन और पूरे यूरोप में टेलीकॉम कर्मचारियों वह इक्विपमेंट्स को हिंसा का सामना करना पड़ा। महिलाओं पर ऐसिड अटैक को बढ़ावा देने वाले कंटेंट के लिए भारत में भी इस ऐप की काफी आलोचना हुई।कैशलेस ट्रांजेक्शन में चीन से काफी पीछे है भारतनियामक को जुकरबर्ग पर यह दबाव बनाना चाहिए कि वह सोशल मीडिया को अधिक से अधिक सुरक्षित बनाते रहें। लेकिन बात जब ऑनलाइन पेमेंट की आती है, तो व्यावहारिकता अपनानी होगी। चीन भारत से इस मामले में काफी आगे है। लेकिन वह बाजार अमेरिकी कंपनियों के लिए खुला नहीं है। दूसरी और भारत में कैश का उपयोग कम करन की गुंजाइश ज्यादा है। भारत में 14 फीसदी ट्रांजेक्शन कैश में होता है। चीन में यह आंकड़ा महज 4 फीसदी है। इस हिसाब से भारत में अवसर ज्यादा है और इसलिए भारत एक आकर्षक बाजार है।मनी के ट्रांजेक्शन पर से बाधाएं हटाकर इकॉनोमी को महामारी से बाहर निकाला जा सकता हैभारत ने प्राइवेसी को मौलिक अधिकार का दर्जा दे दिया है। इससे टेक्नोलॉजी कंपनियों को वैधानिक चुनौती देने का रास्ता खुल गया है। लेकिन देश में डाटा सुरक्षा कानून बनाना अब भी बाकी है। सरकार को इस पर ध्
Source: Dainik Bhaskar June 06, 2020 10:41 UTC