west bengal lok sabha seats: बंगाल की 'अमेठी' में बदलीं सियासी परिस्थितियां, कांग्रेस के लिए कड़ा हुआ मुकाबला - this time west bengal malda north and south lok sabha seats are very tough for congress - News Summed Up

west bengal lok sabha seats: बंगाल की 'अमेठी' में बदलीं सियासी परिस्थितियां, कांग्रेस के लिए कड़ा हुआ मुकाबला - this time west bengal malda north and south lok sabha seats are very tough for congress


कांग्रेस की पारंपरिक बेल्ट मालदा से कई चीजें जुड़ी हैं। मालदा को अकसर नकली नोटों की तस्करी में भारत की राजधानी कहा जाता है। इसके अलावा, इसे बंगाल के अमेठी के रूप में भी जाना जाता है। बीते छह दशकों 1952 से 2014 तक हुए 15 लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को केवल दो बार हार मिली। 1971 में और 1977 में। इन दोनों बार वह सीपीएम से हारी।1980 के बाद से मालदा सीट कांग्रेस के एबीए गनी खान चौधरी के पास रही। वह यहां से लगातार आठ बार जीते, उसके बाद उनके भाई अबू हसीम खान चौधरी का इस सीट पर कब्जा हुआ। लेकिन इस बार यहां की पस्थितियां अलग हैं। मालदा में इस बार त्रिकोणीय लड़ाई दिख रही है। 2009 में परिसीमन के बाद कांग्रेस ने मालदा नॉर्थ और मालदा साउथ की सीटों पर जीत इसलिए बरकरार रखी, क्योंकि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस यहां अपनी मजबूती बनाने में नाकाम रही।मालदा नॉर्थ में दो चचेरे भाई, मौसम नूर और ईशा खान चौधरी एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस के मौजूदा सांसद मौसम नूर ने जनवरी में तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया था और अब वह टीएमसी के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं। कांग्रेस इस सीट पर गनी खान के परिवार के बाहर किसी नए चेहरे को नहीं उतार सकती थी, इसलिए उन्होंने मौसम के चचेरे भाई और पूर्व केंद्रीय मंत्री अबू हसीम खान चौधरी के बेटे ईशा खान चौधरी को इस सीट के लिए चुना।सीपीएम छोड़कर बीजेपी में आए खगेन मुर्मू को बीजेपी ने यहां से टिकट दिया है। 2014 में मुर्मू इस सीट पर दूसरे नंबर पर रहे थे। मुर्मू लगभग 65,000 वोटों के अंतर से हार गए। उनका वोट शेयर 28 फीसदी था जबकि नूर तब 33 फीसदी वोट शेयर के साथ जीते थे। तृणमूल और बीजेपी तीसरे और चौथे स्थान पर रहे थे। तृणमूल का वोट शेयर लगभग 17 फीसदी था और बीजेपी का लगभग 16 फीसदी वोट शेयर था।मालदा उत्तर के सात विधानसभा क्षेत्रों में से चार विधानसभा क्षेत्रों में 70 फीसदी मुसलमान हैं। मालदा उत्तर और मालदा दक्षिण दोनों ही इलाके अल्पसंख्यक बहुल हैं और तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी दोनों ही सीटों को जीतने के लिए पूरी ताकत लगा रही हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री बनर्जी सभी ने यहां प्रचार किया है। राहुल गांधी ने बंगाल में पर्याप्त विकास न करने के लिए मोदी और ममता बनर्जी दोनों पर हमला करते हुए कहा कि केवल कांग्रेस ही राज्य को बचा सकती है। ममता बनर्जी ने भी कांग्रेस पर पलटवार किया।मालदा दक्षिण से कांग्रेस ने वर्तमान सांसद अबू हसीम खान चौधरी को मैदान में उतारा है, जबकि टीएमसी ने मो. मोअज्जम हुसैन को प्रत्याशी बनाया है। बीजेपी की उम्मीदवार टीएमसी छोड़कर आई सरूपा मित्रा चौधरी हैं। 2014 के चुनाव में बीजेपी इस सीट पर दूसरे नंबर पर रही थी। कांग्रेस का वोट शेयर लगभग 35 फीसदी था और बीजेपी का वोट शेयर 20 फीसदी रहा था। तृणमूल करीब 17 फीसदी वोट शेयर के साथ चौथे स्थान पर रही थी। तीसरे स्थान पर रही सीपीएम का वोट शेयर 19 फीसदी था।दोनों निर्वाचन क्षेत्र नकली मुद्रा और गो तस्करी जैसे मुद्दों से जूझ रहे हैं। जब से चुनावों की घोषणा की गई है, कोलकाता पुलिस की विशेष टास्क फोर्स मालदा से 19 लाख रुपये की नकली मुद्रा जब्त कर चुकी है। दिलचस्प बात यह है कि मालदा में पंचायत चुनावों के दौरान बीजेपी के वोटों में वृद्धि देखी गई। बीजेपी ने 532 पंचायत सीटें, कांग्रेस ने 399 और तृणमूल कांग्रेस ने 1,108 सीटें जीतीं। यहां से तीन विधायकों में से एक बीजेपी का है।पांच निर्वाचन क्षेत्र- मालदा उत्तर, मालदा दक्षिण, बालुरघाट, जंगीपुरऔर मुर्शिदाबाद में 23 अप्रैल को वोटिंग होनी है। चुनाव के लिए यहां केंद्रीय बलों की 324 कंपनियां और 24,000 केंद्रीय अर्ध-सैन्य कर्मी तैनात किए गए हैं।


Source: Navbharat Times April 22, 2019 04:30 UTC



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