Jet Airways Crisis: जेट एयरवेज का संकट: दिवाली पर हुई गलती से निकला जेट एयरवेज का दिवाला - News Summed Up

Jet Airways Crisis: जेट एयरवेज का संकट: दिवाली पर हुई गलती से निकला जेट एयरवेज का दिवाला


जेट एयरवेज की बर्बादी की कई वजहें हैं, लेकिन पिछले साल दिवाली पर हुई घटना ने कंपनी की तकदीर तय कर दी थी। जेट के संस्थापक नरेश गोयल तब अपने वित्तीय सलाहकारों के साथ एचडीएफसी के चेयरमैन दीपक पारेख के मुंबई वाले घर गए और उनसे जेट को बचाने की सलाह मांगी। तब टाटा ग्रुप गोयल की कंपनी को खरीदने पर विचार कर रहा था। टीपीजी कैपिटल और इंडिगो पार्टनर्स एलएलसी से भी जेट की बात चल रही थी। पारेख ने गोयल से पीछे हटने और नए निवेशक के लिए रास्ता बनाने को कहा।गोयल अपनी नेटवर्किंग के लिए मशहूर हैं। वह नेताओं, पॉलिसी मेकर्स, सीईओ, एयरक्राफ्ट पट्टे पर देने वाली कंपनियों और मैन्युफैक्चरर्स सबसे बात करते हैं, लेकिन सुनते सिर्फ अपनी हैं। इसलिए पारेख की सलाह उन्होंने नहीं मानी। इससे नाराज होकर टाटा संस बातचीत से पीछे हट गई।गोयल ऐसी मीटिंग्स करते थे, जिन्हें कंपनी के एंप्लॉयीज ‘दरबार’ कहते थे। सिरोया सेंटर की पांचवीं मंजिल पर मुंबई में जेट का कॉरपोरेट ऑफिस है। वहां एक बड़ा राउंडटेबल है। इसके सामने सोफे हैं, जिस पर मीटिंग के दौरान एंप्लॉयीज बैठा करते थे। हालांकि, गोयल कंपनी के अकेले प्लानर और रणनीतिकार थे। उनकी पत्नी अनीता भी ऐसे ही दरबार लगाती थीं। कंपनी में गोयल-अनीता के बेटे निवाण भी थे। कई विभागों में काम करते हुए वह आखिर में पिता के करीबी सहयोगी बने थे। पिता को दिल की बीमारी होने के बाद निवाण ने उनसे कहा कि वह मां अनीता और मैनेजमेंट के साथ मिलकर कंपनी को चलाना चाहते हैं, लेकिन नरेश गोयल ने इसकी इजाजत नहीं दी।गोयल के उद्यमी बनने का सफर चाचा चरणदास रामलाल की ट्रैवल कंपनी ईस्ट-वेस्ट एजेंसीज से शुरू हुआ था, जहां वह कैशियर थे। एजेंसी बाद में इंडिपेंडेंट जनरल सेल्स एजेंट (जीएसए) बनी और उसने दुनिया भर की एयरलाइंस के अधिकारियों के साथ रिश्ते बनाए। 1993 में जेट ने एयर टैक्सी सर्विस ऑपरेटर के रूप में शुरुआत की और बाद में देश की सबसे बड़ी एयरलाइन बनी। 2005 में कंपनी शेयर बाजार में लिस्ट हुई। एक समय ऐसा लगता था कि गोयल से कोई गलती हो ही नहीं सकती, लेकिन तभी वह भयानक भूल कर बैठे।कई जानकार मानते हैं कि 2007 में एयर सहारा को खरीदने के बाद जेट की वित्तीय मुश्किलें शुरू हुईं। 2011-12 में जेट भारी वित्तीय मुश्किल भी फंस गई। तब 24 पर्सेंट हिस्सेदारी एतिहाद को बेचकर गोयल ने कंपनी को बचाया। एक एग्जिक्यूटिव ने बताया, ‘एतिहाद के आने के बाद गोयल के मन में पहली बार कंपनी का नियंत्रण छिनने का डर पैदा हुआ।’ यह डर समय के साथ बढ़ता गया।कंपनी के पूर्व अधिकारी ने बताया, ‘पिछले साल कई बैठकों में कंपनी के नुकसान को लेकर उन्होंने टॉप मैनेजमेंट से नाराजगी जताई। उनमें अक्सर वह कहते थे कि मैं क्या करूं? जिस कंपनी को मैंने बनाया, उसमें अपनी हिस्सेदारी घटाकर उससे निकल जाऊं?’ गोयल के इस सफर ने उद्यमियों को एक बड़ा सबक सिखाया है कि कोई भी संस्थापक अपनी कंपनी से बड़ा नहीं होता।


Source: Navbharat Times April 22, 2019 04:30 UTC



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