भारतीय टेलिकॉम मार्केट ने बीते कुछ साल में बड़ा बदलाव देखा और ऑपरेटर्स के बीच देखने को मिली होड़ का फायदा कस्टमर्स को हुआ है। रिलायंस जियो ने हाल में अपने प्लान्स से अलग आईयूसी वाउचर अनाउंस किए हैं। अब वोडाफोन-आइडिया और एयरटेल भी एक दिसंबर से अपने टैरिफ प्लान महंगे करने की घोषणा कर रहे हैं। यह बेशक कस्टमर्स के लिए बुरी खबर हो लेकिन टेलिकॉम सेक्टर के स्थिर होने के लिए ज़रूरी है। मार्केट पिछले पांच साल में तेजी से क्यों बदला और इसका असर कंपनियों को नुकसान के तौर पर क्यों सामने आया, कुछ बिन्दुओं में समझा जा सकता है।इंडियन यूजर्स को मिलने वाले डेटा प्लान दुनिया में सबसे सस्ते हैं। पड़ोसी देशों से तुलना करें तब भी करीब एक तिहाई से कम खर्च पर भारतीय यूजर्स मोबाइल सर्विसेज इस्तेमाल कर पाते हैं। उदाहरण के लिए भारत में 1 जीबी डेटा करीब 18 रुपये का है तो वहीं, पाकिस्तान में करीब 134 रुपये और नेपाल में करीब 161 रुपये 1 जीबी डेटा के लिए खर्च करने पड़ते हैं। यूं तो कई ऑपरेटर्स पहले भी यूजर्स के लिए अलग से मिनट प्लान्स और लिमिटिड टाइम प्लान्स लाते रहे हैं लेकिन इसका बहुत ज़्यादा असर किसी एक के मार्केट शेयर को कभी नहीं पड़ा। हालांकि, 2016 में रिलायंस जियो की एंट्री के बाद से टेलिकॉम सेक्टर नई दिशा में जाता नज़र आया।रिलायंस जियो ने भारत में कदम रखते ही फ्री वॉइस कॉलिंग का दम भरा, जिसके लिए यूजर्स अब तक सबसे ज़्यादा खर्च कर रहे थे। जियो ने कॉलिंग के बजाय, डेटा को केंद्र में ला दिया और अब यूजर्स डेटा के लिए भुगतान करने लगे। डेटा प्लान में फ्री कॉलिंग और एसएमएस जैसे बेनिफिट्स पहली बार यूजर्स को मिले और टेलिनॉर, एयरसेल जैसी छोटी कंपनियों को इसका नुकसान उठाना पड़ा और मार्केट से उनकी छुट्टी हो गई। बाकी बड़े ऑपरेटर्स के बीच 'सबसे कम कीमत में, सबसे ज़्यादा बेनिफिट्स' देने की होड़ शुरू हुई।2016 से पहले जो टेलिकॉम ऑपरेटर्स वॉइस कॉलिंग के लिए अलग, एसएमएस के लिए अलग और मोबाइल डेटा के लिए अलग-अलग चार्ज करते थे, अब उन्हें एक कंबाइन प्लान पर निर्भर होना पड़ा। जियो जहां तेजी से अपना यूजरबेस बढ़ाने में लगा रहा, वही एयरटेल ने दबाव महसूस करते हुए कीमत और सर्विस में संतुलन बनाने की कोशिश की। यही वक़्त था जब एयरटेल ने दावा किया कि वह 'सबसे तेज नेटवर्क है।' इसके पीछे कंपनी की मंशा यह थी की यूजर्स थोड़ा ज़्यादा भुगतान करते हुए भी एयरटेल को चुनें।रिलायंस जियो ने अपना यूजरबेस ज़रूर बढ़ा लिया लेकिन उसे आईयूसी चार्ज के तौर पर नुकसान होता रहा। आईयूसी चार्ज आउटगोइंग कॉल की स्थिति में एक नेटवर्क दूसरे नेटवर्क को देता है।
Source: Navbharat Times November 18, 2019 15:51 UTC