लोकसभा चुनाव के नतीजों के ऐलान में अब सिर्फ एक हफ्ते का समय बचा है। ऐसे में गैर-एनडीए दलों ने केंद्र में गठबंधन सरकार के गठन के संभावनाओं पर काम करना शुरू कर दिया है। कांग्रेस ने अब 21 मई के बजाय नतीजों वाले दिन यानी 23 को विपक्षी दलों की बैठक बुलाई है। इसके लिए खुद यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी सक्रिय हुईं हैं और विपक्षी नेताओं को बैठक के लिए न्योता भेज दिया है। विपक्ष में सोनिया की 'सर्वमान्य छवि' है और इसी के मद्देनजर विपक्षी एकता के लिए उन्हें आगे आना पड़ा है।बैठक के लिए यूपीए के मौजूदा और पूर्व घटक दलों के अलावा तीसरे मोर्चे का हिस्सा समझे जाने वाले राजनीतिक दलों और नेताओं को भी न्योता भेजा गया है। बताया जाता है कि खासकर सोनिया गांधी और कांग्रेस की इस पहल के पीछे पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह की कार्यशैली मुख्य वजह मानी जाती है।दरअसल, पिछले पांच सालों में मोदी-शाह जोड़ी की रणनीति रही है कि चुनाव खत्म होते ही आगामी रणनीति में जुट जाना। अतीत में इस रणनीति के चलते कांग्रेस को गोवा व मणिपुर जैसे असेंबली चुनावों में इसका खामियाजा भुगतना पड़ा था, जब वह सरकार बनने से चूक गई। हालांकि कर्नाटक चुनाव के समय कांग्रेस ने अपनी आगामी रणनीति तैयार की थी, जिसका उसे फायदा मिला। इन सारी चीजों को ध्यान में रखते हुए ही कांग्रेस ने इस बार बिना वक्त गंवाए नतीजे वाले दिन ही उससे निकले संकेतों के आधार पर सरकार बनाने की संभावनाओं पर मंथन करने की योजना बनाई है। कांग्रेस इस बार विपक्ष की सरकार बनने की किसी भी संभावना से चूकने के लिए तैयार नहीं है।सूत्रों के मुताबिक सोनिया गांधी पिछले पंद्रह दिनों से चुनावी नतीजों के गणित का हिसाब-किताब लगाने में लगी हैं। इतना ही नहीं, वह लगातार तमाम दलों के बड़े नेताओं और मुखिया से संपर्क में हैं। सोनिया की तरफ से सभी गैर एनडीए दलों को लेटर लिखकर इस बैठक में बुलाया गया है। हालांकि पहले 21 मई को इस मीटिंग की बात कही जा रही थी, लेकिन ममता बनर्जी, मायावती व अखिलेश यादव जैसे नेताओं के सुझाव पर बैठक 23 मई को रखी गई है।गैर कांग्रेसी प्रधानमंत्री से परहेज नहीं होने संबंधी गुलाम नबी आजाद के बयान पर कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा, ‘23 तारीख तक इंतजार कर लीजिए, सारी बात सामने आ जाएगी।’चुनाव नतीजों के बाद नई सरकार गठन को लेकर सिर्फ विपक्षी दल ही सियासी गोलबंदी में नहीं जुटे हैं, एनडीए भी इस होड़ में पीछे नहीं रहना चाहता है। सूत्रों के अनुसार एनडीए की ओर से बिहार के सीएम नीतीश कुमार दूसरे क्षेत्रीय दलों के साथ संपर्क में हैं। ओडिशा को स्पेशल स्टेटस देने की मांग का नीतीश कुमार की ओर से समर्थन मिलने के बाद वह आंध्र प्रदेश के वाईएसआर कांग्रेस के नेता जगन रेड्डी के साथ भी संपर्क में हैं। सूत्रों का कहना है कि नवीन पटनायक और जगन रेड्डी को उनके राज्य को स्पेशल स्टेटस के नाम पर नीतीश उन्हें एनडीए के करीब ला सकते हैं। अगर नतीजों के बाद केंद्र में बहुमत के लिए संख्या में कमी आई तो कुछ सहयोगी ‘रिजर्व’ के लिए रहेंगे। जगन और नवीन ने शुरू से ही अपने तमाम विकल्प खुला रखने के संकेत दिए हैं। चुनाव बाद नवीन ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को तूफान में मदद के लिए धन्यवाद पत्र भी भेजा था।
Source: Navbharat Times May 17, 2019 02:46 UTC