हाइलाइट्स सोनभद्र में जमीन विवाद को लेकर नरसंहार, 10 लोगों की मौत90 बीघा जमीन विवाद की वजह, कब्जे को लेकर खूनी संघर्षसीएम ने एडीजी जोन वाराणसी और कमिश्नर मिर्जापुर से मांगी रिपोर्टखूनी जंग को लेकर बिहार के एक आईएएस की भूमिका कठघरे मेंग्राम प्रधान ने दो साल पहले 90 बीघा जमीन खरीदी थीयूपी के सोनभद्र जिले में जमीन विवाद को लेकर 10 लोगों की हत्या के बाद कई सवाल खड़े हो रहे हैं। घोरावल इलाके के मूर्तिया गांव में बुधवार दोपहर हुए इस नरसंहार के बाद इलाके में पुलिस फोर्स और पीएसी तैनात की गई है। पुलिस ने अब तक 12 लोगों को गिरफ्तार किया है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर कैसे यह चिंगारी अचानक भड़क गई और जिस खेत में जोताई हो रही थी, वहां देखते ही देखतें लाशें कैसे बिछ गईं।जमीन की खरीद-फरोख्त के पीछे बिहार के एक आईएएस के होने की बात सामने आई है। मूर्तिया गांव आदिवासी बहुल इलाका है। गौड़ बिरादरी के लोग यहां कई पुश्तों से खेती करते आए हैं। आरोप है कि इस जमीन में से 90 बीघा जमीन बिहार काडर के एक आईएएस अफसर ने खरीदी लेकिन कब्जा करने में वह नाकाम रहे। आखिरकार उन्होंने यह जमीन मूर्तिया गांव के प्रधान यज्ञदत्त भूरिया को बेच दी। बुधवार दोपहर यज्ञदत्त जमीन पर कब्जा करने पहुंचा था, इसी के बाद विवाद भड़का।बिहार के आईएएस प्रभात कुमार मिश्रा और तत्कालीन ग्राम प्रधान ने उम्भा की करीब 90 बीघा जमीन अपने नाम कराने का प्रयास शुरू कर दिया था, जबकि गांव के आदिवासी 1947 के पहले से इन जमीनों पर काबिज रहे हैं। आईएएस के पिता ने तहसीलदार के माध्यम से 1955 में जमीन को आदर्श कोऑपरेटिव सोसायटी के नाम करा लिया। उस समय तहसीलदार को नामान्तरण का अधिकार नहीं था।आईएएस ने पूरी जमीन 6 सितंबर 1989 को अपनी पत्नी और बेटी के नाम करवा लिया, जबकि कानून के अनुसार सोसायटी की जमीन किसी व्यक्ति के नाम नहीं हो सकती। आईएएस जमीन पर हर्बल खेती करवाना चाहते थे लेकिन जमीन पर कब्जा न मिलने की वजह से उनका प्रॉजेक्ट फेल हो गया। इसके बाद उन्होंने जमीन का कुछ हिस्सा बेच दिया। इसी जमीन में से काफी जमीन आरोपी यज्ञदत्त ने 17 अक्टूबर 2010 को अपने रिश्तेदारों के नाम करवा दी। हालांकि जमीन पर आदिवासियों का कब्जा बरकरार रहा।आदिवासी बहुल सोनभद्र जिले के तमाम इलाकों में भूमिहीन सरकारी जमीन जोतकर गुजर-बसर करते हैं। सूत्रों के अनुसार, ओबरा-आदिवासी बहुल जनपद में सदियों से आदिवासियों के जोत को तमाम नियमों के आधार पर नजरअंदाज किया जाता रहा है। तमाम सर्वे के बावजूद अधिकारियों की संवेदनहीनता उन्हें भूमिहीन बनाती रही है।इस गांव में पिछले 70 वर्ष से ज्यादा समय से खेत जोत रहे गोंड जनजाति के लोग प्रशासन से गुहार लगाते रहे लेकिन उन्हें उनकी जमीन पर अधिकार नहीं दिया गया, जबकि तत्कालीन जिलाधिकारी अमित कुमार सिंह ने सहायक अभिलेख अधिकारी को मौके पर जाकर भौतिक सत्यापन कर यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। 2 फरवरी 2019 को उनके तबादले के 4 दिन बाद 6 फरवरी 2019 को सहायक अभिलेख अधिकारी ने आदिवासियों की मांग को अनसुना कर बेदखली का आदेश दे दिया। ग्रामीणों ने उसके बाद जिला प्रशासन को भी अवगत करवाया लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गई। यही लापरवाही बुधवार की घटना की नींव बनी।मूर्तिया गांव के प्रधान यज्ञदत्त भूरिया ने दो साल पहले 90 बीघा जमीन खरीदी थी। यज्ञदत्त बुधवार दोपहर ट्रैक्टर-ट्रॉली से सैकड़ों बदमाशों को लेकर जमीन पर कब्जा करने पहुंचा और जोताई शुरू कर दी। इस बीच, प्रधान के साथ आए लोगों ने खौफ फैलाने के लिए हवाई फायरिंग शुरू कर दी। इस पर गांव वालों की ओर से ईंट-पत्थर व कुल्हाड़ी से हमला किया गया, लेकिन हथियारों से लैस बदमाशों के सामने ग्रामीणों की एक न चली। जिस खेत में जोताई हो रही थी वहां देखते ही देखतें लाशें बिछ गईं। खूनी संघर्ष में चार महिलाओं और छह पुरुषों की मौत हो गई।आईएएस अफसरों और नेताओं ने काली कमाई का निवेश करने के लिए सोनांचल को हब बना लिया है। सूत्रों के अनुसार भ्रष्टाचारी अफसरों और नेताओं ने अपने परिवार वालों के नाम से काफी जमीन खरीदकर फार्म हाउस, होटल-मोटल से लेकर खेती तक के प्रॉजेक्ट डाल दिए हैं। जिन जमीनों पर कभी आदिवासियों का अधिकार था, उसको राजस्व कर्मचारियों की साठगांठ से अपने नाम करवा लिया। पिछले एक दशक से जमीन पर कब्जे को लेकर जंग की कई घटनाएं सोनभद्र के साथ मिर्जापुर के पहाड़ी इलाकों में हो चुकी हैं।सीएम योगी आदित्यनाथ ने एडीजी जोन वाराणसी व कमिश्नर मिर्जापुर से घटना की जांच रिपोर्ट तलब की है। सीएम के निर्देश के बाद मुख्य सचिव अनूप चंद्र पाण्डेय ने दो सदस्यीय समिति का गठन कर दिया है। सीएम ने मृतकों के परिवारवालों को 5-5 लाख रुपये का मुआवजा दिए जाने की घोषणा की है। साथ ही दोषियों पर सख्त कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
Source: Navbharat Times July 18, 2019 04:56 UTC