पुलवामा में देश के 40 सपूतों ने अपनी जान गंवा दी। आतंकियों के नापाक मंसूबे भले ही इस बार कामयाब हो गए हों, देशवासियों का फूटा आक्रोश उनसे हिसाब लेने को तैयार है। जब उन जवानों के पार्थिव शरीर अपनी-अपनी मिट्टी को लौटे तो आंखें भले ही नम थीं, दिल में अंगारे भी धधक रहे थे। नमन में झुके हर सिर ने प्रण किया है कि जवानों की शहादत बेकार नहीं जाएगी। अंतिम यात्रा में लहराते तिरंगे भी इसी वादे के साथ जवानों को गर्व से सम्मानित करते नजर आए। तस्वीरों में देखें, कैसे दी गई देश के वीरों को अंतिम विदाई...CRPF ASI मोहन लाल का पार्थिव शरीर जब उनके घर पहुंचा तो सभी की आंखें नम थीं। हालांकि, उनकी बेटी ने जब उन्हें गर्व के साथ सलामी दी तो हर दिल पिघल गया।हमले में उत्तर प्रदेश के कन्नौज निवासी प्रदीप सिंह यादव शहीद हो गए थे। प्रदीप सिंह को कोई बेटा नहीं है, इसलिए रिश्तेदारों ने पूछा कि शहीद की चिता को मुखाग्नि कौन देगा? इस पर प्रदीप की बेटी आगे आई और उसने पिता की चिता को मुखाग्नि दी। पिता को हमेशा के लिए अपने से दूर जाता देख बेटी बेसुध होकर वहीं पर गिर पड़ी।उत्तराखंड के खटीमा के रहने वाले शहीद जवान वीरेंद्र सिंह राणा को उनके ढाई साल के बेटे ने मुखाग्नि दी तो केंद्रीय कपड़ा राज्य मंत्री अजय टमटा भी भावुक हो गए।CRPF के हेड कॉन्स्टेबल संजय कुमार सिन्हा का पार्थिव शरीर जब पटना में उनके गांव पहुंचा तो उन्हें नमन करने जो भीड़ उमड़ी, उसे देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि जवानों की शहादत पर देश में कितना गम और उबाल है।राजस्थान की राजधानी जयपुर में जब CRPF जवान रोहिताश लांबा का पार्थिव शरीर लाया गया तो लोगों का हुजूम नमन को उमड़ पड़ा।यूपी के महाराजगंज में जब CRPF के शहीद जवान पंकज कुमार त्रिपाठी की अंतिम यात्रा निकली तो हर तरफ तिरंगे लहराने लगे...मध्य प्रदेश के जबलपुर में शहीद जवान अश्विनी कुमार के पार्थिव शरीर के साथ सैकड़ों की भीड़ दौड़ पड़ी। लोग न जाने कितनी दूर से तिरंगे हाथ में थामे अपने नायक के साथ चले आ रहे थे।शामली के शहीद जवान प्रदीप कुमार का अंतिम संस्कार राजकीय सम्मान के साथ हुआ। केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह, मंत्री सुरेश राणा ने भी शहीद जवान को कंधा दिया।वाराणसी में शहीद रमेश यादव को अंतिम विदाई देने के लिए भारी संख्या में लोग पहुंचे। सैकड़ों लोगों ने तिरंगा झंडे के साथ वंदे मातरम, भारत माता की जय, अमर शहीद जवान अमर रहे आदि नारे लगाए।जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में CRPF (केंद्रीय रिजर्व सुरक्षा बल) काफिले पर हुए हमले के बाद उससे जुड़ी अहम जानकारियां सामने आ रही हैं। ताजा जानकारी के मुताबिक, उस काफिले की दो गाड़ियों में तकनीकी खराबी हो गई थी। उसके बाद उन गाड़ियों में सवार जवानों को दूसरी बसों में बैठाया गया। बाद में काफिले पर आत्मघाती हमला हो गया। बता दें कि 14 फरवरी को हुए हमले में CRPF के 40 जवान शहीद हुए थे।CRPF के मुताबिक, 78 गाड़ियों के काफिले की 14 बसें काजीगुंड के एक ट्रांजिट कैंप पर रुकी थीं। उनके अलावा दो गाड़ियों में पुलवामा से 25 किलोमीटर दूर पर खराबी आ गई थी। इसके बाद जवानों को दूसरी गाड़ियों में शिफ्ट किया गया। CRPF के आधिकारिक नोट में घटनाक्रम का विवरण दिया गया है। उसमें बताया गया है कि काफिले में 2,547 लोग थे, जिनमें ड्राइवर और 309 एस्कॉर्ट भी शामिल थे। एस्कॉर्ट का नेतृत्व 180 बटैलियन के असिस्टेंट कमांडेंट मनोज कुमार रहे थे। वे लोग सुबह 3:30 से जम्मू से श्रीनगर गए।करीब दोपहर 2.15 बजे काफिला काजीगुंड पहुंचा। वहां 14 गाड़ियां रुकीं और दो अन्य गाड़ियों में तकनीकी खराबी हो गई। हालांकि, यह नहीं बताया गया है कि खराब गाड़ियों के साथ बाकी 14 गाड़ियां क्यों रुकी थीं। इसके बाद काफिले में 16 बुलेटप्रूफ गाड़ियां भी शामिल हो गईं। इंटेलिजेंस अधिकारियों का मानना है कि हमलावर ने काफिले की पांचवीं बस और उसके आगे चल रहीं कम से कम 4 गाड़ियों को पहचान लिया था। इन गाड़ियों में सीनियर अधिकारी जा रहे थे। सीआरपीएफ के डीजी आर. भटनागर ने रविवार को बताया कि फोर्स ने अब अतिरिक्त सतर्कता बरतने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा, 'काफिलों के गुजरने के दौरान ट्रैफिक कंट्रोल के साथ ही उनकी टाइमिंग में भी बदलाव किया जाएगा। उनके रुकने के स्थान और मूवमेंट को लेकर अन्य सुरक्षा बलों जैसे सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस के साथ समन्वय स्थापित कर काम किया जाएगा।' गौरतलब है कि हमले के बाद स्थिति का जायजा लेने के लिए घाटी पहुंचे गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने भी कहा था कि अब सुरक्षा बलों का काफिला गुजरते वक्त आम ट्रैफिक रोका जाएगा।
Source: Navbharat Times February 18, 2019 02:58 UTC