Xभारत-पाक संबंधों में जारी तनाव के बीच पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने एक बार फिर कहा है कि वह भारत के साथ बात करना चाहते हैं। इमरान खान का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब भारत सरकार ने किर्गिस्तान में पाकिस्तान के साथ बातचीत की अटकलों को खारिज कर दिया है। भारत ने कहा है कि आतंकवाद और बातचीत दोनों साथ-साथ नहीं चल सकते हैं। आइए जानते हैं कि आखिरी क्यों पाकिस्तानी प्रधानमंत्री भारत के साथ बातचीत के लिए इतने बेताब हैं....एससीओ शिखर सम्मेलन से ठीक पहले रूसी समाचार वेबसाइट स्पुतनिक को दिए साक्षात्कार में इमरान खान ने कहा कि वह भारत के साथ विवादों का हल बातचीत के जरिए करना चाहते हैं। इमरान ने भारत के साथ जारी तनाव की ओर इशारा करते हुए कहा कि परमाणु हथियार से संपन्न राष्ट्रों को अपने विवादों के समाधान के लिए सैन्य विकल्प को संभावित समाधान के रूप में नहीं देखना चाहिए। यह पागलपन है।पाकिस्तानी पीएम ने कहा, 'हमें आशा है कि जैसाकि मैंने कहा भी है, चुनाव खत्म हो गए हैं और हमारे उठाए कदमों पर सकारात्मक जवाब देगा और जनता के बीच संपर्क को और बढ़ावा देगा।' उन्होंने सिख समुदाय के लिए करतारपुर कॉरिडोर को 'पाकिस्तान की ओर से शानदार पहल' करार दिया। इमरान ने आशा जताई कि भारी बहुमत के साथ आए पीएम मोदी इसका इस्तेमाल दोनों देशों के बीच मतभेदों और रिश्तों को सुधारने में करेंगे। इमरान ने फिर कश्मीर का राग अलापा और कहा कि यह दोनों देशों के बीच विवाद का मुख्य मुद्दा है।शिखर सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी के साथ बातचीत के मुद्दे पर इमरान ने कहा, 'एससीओ सम्मेलन के दौरान भारतीय नेतृत्व के साथ बातचीत करने का अवसर होगा।' बता दें कि इमरान खान का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब भारत सरकार ने शिखर सम्मेलन के दौरान पाकिस्तान के साथ बातचीत की अटकलों को खारिज कर दिया था। भारत ने इमरान खान की चिट्ठी द्वारा की गई अपील को ठुकरा दिया था जिसमें उन्होंने बातचीत के जरिए मसले सुलझाने की बात कही थी। भारत ने साफ शब्दों में फिर दोहराया है कि आतंक और बातचीत साथ-साथ नहीं चल सकती।दरअसल, इमरान खान पाकिस्तान के ऊपर बढ़ते कर्ज के कारण दबाव में हैं और इसको कम करने के लिए भारत के साथ तनाव को घटाना चाहते हैं। इसका इशारा भी उन्होंने इसी इंटरव्यू में दे दिया। इमरान से जब यह सवाल पूछा गया कि क्या वह भारत की तरह ही रूस के एयर डिफेंस सिस्टम S-400 को खरीदने की योजना पर विचार कर रहा है तो इमरान का जवाब काबिलेगौर था। इमरान ने कहा, 'हम आशा करते हैं कि भारत के साथ हमारा तनाव घटेगा, इससे हमें हथियार खरीदने की जरूरत ही नहीं रहेगी। हम अपना पैसा मानव विकास पर खर्च करना चाहते हैं।'बता दें कि सरकार के कुल खर्चे में से करीब 50% हिस्सा सेना और कर्जों को चुकाने में जाता है। पिछले सप्ताह पाकिस्तानी सेना ने आर्थिक संकट को देखते हुए स्वैच्छिक बजट कटौती का ऐलान किया था। पाक सेना के इस कदम के पीछे कई संकेत माने जा रहे हैं। अब तक पाकिस्तान अपने बजट का सबसे बड़ा हिस्सा सेना पर खर्च करता आ रहा है। माना जा रहा है कि गंभीर आर्थिक संकट के साथ वैश्विक दबाव के बीच पाक ने बजट कटौती का ऐलान किया। पाक सरकार ने दावा किया है कि अगले वित्त वर्ष (2019-20) के लिए उसके रक्षा बजट को बिना बदलाव के 1,15,25,350 लाख रुपये पर ही रखा गया है।पाकिस्तान की लड़खड़ाती अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए आईएमएफ ने करीब 6 बिलियन डॉलर का लोन दिया है। अर्थव्यवस्था की बदहाल स्थिति के कारण पाकिस्तानी सरकार कई तरह की पाबंदियों, ऋण के कठोर शर्तों और बड़े कर्जे के बीच दबी हुई है। पाकिस्तानी मुद्रा भी लगातार कमजोर हो रही है। पाकिस्तानी सरकार से उम्मीद की जा रही है कि सैन्य बजट कटौती के बाद आदिवासी क्षेत्र बलूचिस्तान में शांति और विकास के लिए कुछ काम होंगे।
Source: Navbharat Times June 13, 2019 09:02 UTC