सुप्रीम कोर्ट ने प्राइवेट सेक्टर के सभी कर्मचारियों के लिए पेंशन में भारी वृद्धि का रास्ता साफ कर दिया है। कोर्ट ने ईपीएफओ की याचिका को खारिज करते हुए केरल हाई कोर्ट के उसे फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें कर्मचारियों को उनकी पूरी सैलरी के हिसाब से पेंशन देने का आदेश दिया गया था। मौजूदा समय में ईपीएफओ पेंशन की गणना प्रतिमाह 1250 रुपये (15000 का 8.33 फीसदी) के हिसाब से करता है। आइए आपको बताते हैं कि कोर्ट के ताजा फैसले से आपके पेंशन में किस तरह वृद्धि होगी।मान लीजिए कि प्राइवेट सेक्टर के एक कर्मचारी मुकेश गुप्ता 33 साल की नौकरी के बाद 2029 में रिटायर होंगे और तब उनका पैकेज (बेसिक+डीए+रिटेन्शन बोनस) 50,000 महीना होगा।मौजूदा सिस्टम के तहत, EPS के लिए योगदान- 542 रुपया महीना (1996 में स्कीम लॉन्च होने से सितंबर 2014 तक अधिकतम 6,500 का 8.33 फीसदी) और उसके बाद 1,250/महीना (15,000 का 8.33 फीसदी)नए सिस्टम के तहत योगदान वास्तविक सैलरी का 8.33 फीसदी होगा।(सेवा साल+2 )/70 x आखिरी सैलरीकोर्ट के आदेश से पहले, (18 साल [1996-2014]+1.1*)/70x6500+15 साल (2014 से आगे) +0.9*/70 X 15,000बोनस 2 को प्रो रेटा बेसिस पर डिवाइड करने से यह आंकड़ा होगा 5,180 प्रति महीना। यानी कोर्ट के आदेश से पहले मुकेश गुप्ता को हर महीने 5,180 रुपये पेंशन मिलती।कोर्ट आदेश के बाद, पेंशन होगी 33+2/70X 50,000 (अंतिम सैलरी) = 25,000/महीना।कर्मचारियों के बेसिक वेतन का 12 फीसदी हिस्सा पीएफ में जाता है और 12 फीसदी उसके नाम से नियोक्ता जमा करता है। कंपनी की 12 फीसदी हिस्सेदारी में 8.33 फीसदा हिस्सा पेंशन फंड में जाता और बाकी 3.66 पीएफ में।
Source: Navbharat Times April 02, 2019 05:08 UTC