Yuvraj Singh: युवराज सिंह ने बताया- क्यों वनडे वर्ल्ड कप-2019 नहीं जीत पाया भारत? - yuvraj singh points out reason behind india not winning icc world cup 2019 - News Summed Up

Yuvraj Singh: युवराज सिंह ने बताया- क्यों वनडे वर्ल्ड कप-2019 नहीं जीत पाया भारत? - yuvraj singh points out reason behind india not winning icc world cup 2019


विराट कोहली और युवराज सिंहहाइलाइट्स टीम इंडिया को वनडे वर्ल्ड कप से पहले खिताब के लिए प्रबल दावेदार माना जा रहा थालेकिन सेमी में न्यू जीलैंड से हारकर विराट कोहली की कप्तानी वाली टीम को बाहर होना पड़ाअब युवराज ने उन खामियों पर चर्चा की, जिनकी वजह से भारत चैंपियन नहीं बन सकाउन्होंने बताया कि अनुभवी बल्लेबाज धोनी का नंबर-7 पर उतरने के फैसले ने हैरान कियागेंदबाज, जिनके लिए बोलिंग ऐक्शन बना मुसीबत मौजूदा दौर में क्रिकेट के सबसे खतरनाक तेज गेंदबाज माने जाने वाले जसप्रीत बुमराह को लोअर बैक में मामूली सा स्ट्रेस फ्रैक्चर सामने आया है। इस वजह से वह साउथ अफ्रीका के खिलाफ 3 मैचों की सीरीज से बाहर हो गए हैं। बुमराह का बोलिंग ऐक्शन एक अलग ढंग का है, जिसमें वह बॉल फेंकने से पहले अपनी दोनों बाजुओं को खोलते हैं। इससे उनकी बॉल को अतिरिक्त पेस मिलता है, यह पेस गेंद का टप्पा पड़ते ही बल्लेबाज को छकाने के काम आती है। देखा जाए तो बुमराह अकेले ऐसे गेंदबाज नहीं हैं, जिन्हें अपने खास ऐक्शन की वजह से चोट का सामना करना पड़ा है। आइए जानें अन्य के बारे में...जेफ थॉमसन के बाद मलिंगा पहले स्लिंगर और पहले राउंड आर्म लो ऐक्शन से गेंदबाजी करने वाले बोलर बने। यह खास ऐक्शन उन्हें बेहद खतरनाक यॉर्कर फेंकने में मदद करती है। यही वजह है कि उन्हें लिमिटेड ओवर के महान गेंदबाजों में शामिल किया जाता है। वह अपनी खास यॉर्कर की वजह से डेथ ओवर्स में सबसे खतरनाक साबित होते हैं। उनका बोलिंग ऐक्शन ऐसा है, जिससे पीठ और घुटने पर अधिक दबाव बनता है। हालांकि खास बोलिंग ऐक्शन की वजह से ही उन्हें कई बार चोट का सामना करना पड़ा। इसी वजह से ही उन्होंने 2011 में टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह दिया था। यही नहीं, 2016 के बाद से वह बैक इंजरी की वजह से ही कई अहम मैच नहीं खेल पाए।इमरान जेफ थॉमसन की तरह चेस्ट-ऑन ऐक्शन से बोलिंग करते थे, लेकिन वरसस्टरशर में जॉन पार्कर और बाद में ससेक्स में काउंटी क्रिकेट के दौरान जॉन स्नो से मिली सलाह से उन्होंने अपने ऐक्शन पर काम किया। हाथ और पैर के मूवमेंट को सही करने के बाद वह साइड-ऑन बोलर बन गए थे। हालांकि, उन्हें 1982-83 के दौरान पिंडली में फ्रैक्चर का सामना किया। इसके बाद उन्होंने अपने रन-अप को छोटा किया, जिससे उनकी गति प्रभावित हुई।क्रिकेट में अब तक के सबसे पूर्ण तेज गेंदबाजों में से एक ऑस्ट्रेलियाई महान डेनिस लिली अपने लंबे और तेज रन-अप के साथ खौफनाक गेंदबाज हुआ करते थे। उन्हें 3 बार बैक फ्रैक्चर का सामना करना पड़ा। इस वजह से उन्होंने फ्रैंक पाइक के रूप में अपना पर्सनल फिजियोथेरेपिस्ट रखा था, जो स्कूल में फिजिकल एजुकेशन इंस्ट्रक्टर भी थे। चोट से बचने के लिए लिली ने बाद में अपना रन-अप छोटा किया और ऐक्शन पर अधिक काम किया, जिसने उन्हें सफल बनाया।क्वींसलैंड का यह गेंदबाज शायद क्रिकेट की दुनिया का पहला स्लिंगर गेंदबाज था। उनका ऐक्शन जेवलिन थ्रो से प्रेरित था। 100 mph की गति से गेंद करने वाले वह पहले गेंदबाज थे। यह गेंद उन्होंने 1975 में वेस्ट इंडीज के खिलाफ वाका मैदान पर की थी। उनका गेंदबाज ऐक्शन ऐसा था, जिसमें पैरों पर अधिक बल पड़ता था। इस वजह से उनका पैर भी टूट गया था। इसके अलावा भी उन्हें कई बार चोटें आईं।साउथ ऑस्ट्रेलिया का यह गेंदबाज क्विक आर्म विस्पी ऐक्शन (स्टंप्स के बेहद करीब से) से बोलिंग करता था। इसकी वजह से वह करियर के दौरान चोटों से जूझते दिखे। उन्हें कूल्हें, बैक और टखने में चोट से जूझना पड़ा। हालांकि, उन्होंने रन-अप छोटा किया, लेकिन ऐक्शन नहीं बदला।ब्रेट ली वह गेंदबाज रहे, जिन्होंने 2000 के दौरान ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट में तेज गेंदबाजी को नई पहचान दी। वह अनऑर्थोडॉक्स ऐक्शन से गेंदबाजी करते थे। इस ऐक्शन के अनुसार, गेंद फेंकने के दौरान गेंदबाज का कमर के नीच का हिस्सा (लोअर हाफ) आगे आता है, जबकि कमर के ऊपर का हिस्सा (हॉप हाफ) साइड-ऑन होता है। इस ऐक्शन में बैक में खिंचाव आता है, जो चोट को निमंत्रण देता है। उनके करियर के दौरान कई बार टखने और कोहनी की सर्जरी से भी गुजरना पड़ा। करियर की शुरुआत के महज दो सालों के बाद ही उन्होंने अपना रन-अप 30 से घटाकर 22 मीटर कर दिया, लेकिन तेजी बरकरार रखी। साथ ही उन्होंने ऐक्शन में थोड़ा बदलाव भी किया, जिसमें शरीर के ऊपरी को पहले की अपेक्षा अधिक आगे लेकर आए, जिसकी वजह से उन्हें एक नई गेंद भी मिली।क्राइस्टचर्च में पुलिस ऑफिसर रहे बॉन्ड को रिचर्ड हेडली के बाद न्यू जीलैंड का सबसे बेहतरीन तेज गेंदबाज माना जाता है। वह साइड ऑन ऐक्शन से तेज गेंदबाजी करते थे। उन्हें इस खास ऐक्शन की वजह से काफी चोटें झेलनी पड़ीं। इस वजह से उन्होंने अपना ऐक्शन भी बदला, लेकिन वह पहले की तरह प्रभावी नहीं रहे और सिर्फ 18 टेस्ट के बाद ही उन्हें रिटायरमेंट लेना पड़ा। उन्हें इस दौरान स्पाइनल सर्जरी से भी गुजरना पड़ा था। डॉक्टर ने उनके vertebrae (मेरुदण्ड का अस्थिखंड) में टाइटेनियम के वायर डाले थे।टीम इंडिया को क्रिकेट के सभी फॉर्मेट में बेस्ट टीम कैटिगरी में रखा जाता है। धुरंधर खिलाड़ियों से भरी जब यह टीम इस वर्ष इंग्लैंड वनडे वर्ल्ड कप खेलने पहुंची तो उसे खिताबी दावेदारों में शामिल किया गया था, लेकिन सेमीफाइनल में हार के बाद उसका सफर समाप्त हो गया और टीम को उल्टे पांव भारत लौटना पड़ा। वर्ल्ड कप से बाहर होने की वजहों पर चर्चा करते हुए युवराज सिंह ने टीम की कई खामियों को बताया है। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि आखिर क्यों टीम इंडिया दावेदार होने के बावजूद खिताब नहीं जीत पाई?उन्होंने सेमीफाइनल में मिली हार के लिए पूर्व कप्तान और अनुभवी बल्लेबाज एमएस धोनी का नंबर 7 पर उतरना बताया है। उन्होंने टीम मैनजमेंट के फैसले पर हैरानी जताते हुए कहा, 'मैं यह देखकर बेहद हैरान था कि धोनी नंबर 7 पर बल्लेबाजी करने उतरे। सबसे अनुभवी होने की वजह से उन्हें ऊपर खेलना चाहिए था। मुझे नहीं पता कि टीम मैनेजमेंट ने क्या सोचकर यह फैसला किया।'इसके बाद उन्होंने न


Source: Navbharat Times September 27, 2019 05:24 UTC



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