भीमराव आंबेडकर ने संविधान में स्थाई आरक्षण क्यों नहीं रखा? साथ ही इस मुद्दे पर राष्ट्रपति महात्मा गांधी और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की क्या राय थी? भीमराव आंबेडकर ने खुद संविधान बनाते वक्त उसमें आरक्षण की स्थाई व्यवस्था नहीं की थी। उन्होंने कहा था ’10 साल में यह समीक्षा हो कि जिन्हें आक्षण दिया गया, क्या उनकी स्थिति में कोई सुधार हुआ या नहीं’? सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया था कि आरक्षण का लाभ किसे मिल रहा है इस पर बराबर नजर रखी जाए। बावजूद ऐसा नहीं हुआ। इस वजह से आरक्षण केवल नासूर बनकर रह गया।सक्षम लोग ही उठा रहे आरक्षण का लाभआरक्षण की अवधारणा के विपरीत वास्तविकता ये है कि जातिगत आरक्षण का सारा लाभ ऐसे वर्ग को मिल रहा है जिनके पास सब कुछ है और जिन्हें आरक्षण की कोई जरूरत नहीं है। आरक्षित वर्ग के बहुत से लोग उच्च पदों पर पहुंच चुके हैं। इनमें कुछ करोड़पति तो कुछ अरबपति भी हैं। बावजूद आरक्षित जाति का होने की वजह से उनके बच्चे भी आरक्षण सुविधाओं का लाभ उठा रहे हैं। बुद्धजीवी अक्सर सवाल उठाते रहे हैं कि ऐसे लोगों के लिए आरक्षण क्यों? इसी तरह आरक्षित वर्ग के बहुत से लोग जो मुस्लिम या ईसाई धर्म अपनाकर सामान्य वर्ग में आ चुके हैं, वह भी गैरकानूनी तरीके से आरक्षण का लाभ उठा रहे हैं।यह भी पढ़ें-जानें- कौन हैं सुप्रीम कोर्ट से बहाल हुए CBI निदेशक आलोक वर्मा, लंबी है उपलब्धियों की फेहरिस्तUpper Caste Reservation: पुरानी है सवर्ण आरक्षण की राजनीति, SC भी जता चुका है आपत्तिSaudi Arab: इस्लाम छोड़ने पर जान का खतरा बताने वाली युवती को राहत, घर वापसी टली‘अनजान मर्दों को भेजकर मां-बहन की फोटो खिंचवाऊं’, पढ़ें दबंग IAS चंद्रकला के चर्चित बयानPosted By: Amit Singh
Source: Dainik Jagran January 08, 2019 10:57 UTC