ITR 1 सहज यह फॉर्म उन नागरिकों के लिए है, जिनकी कुल आय 50 लाख रुपये तक है। इस आय में सैलरी/पेंशन, एक हाउस प्रॉपर्टी व अन्य स्त्रोत जैसे ब्याज से प्राप्त आय शामिल की जाती है। इसके अलावा 5000 रुपये तक की कृषि आय भी शामिल होती है। यह फॉर्म उन व्यक्तियों के लिए नहीं है, जो या तो किसी कंपनी में निदेशक हैं या जिसने गैरसूचीबद्ध इक्विटी शेयरों में निवेश किया हुआ है, या फिर बिजनेस/प्रोफेशन से आय प्राप्त करते हैं।ITR 2 फॉर्म ITR 2 फॉर्म उन व्यक्तियों व HUFs (हिंदू अनडिवाइडेड फैमिली) के लिए है, जिन्हें बिजनेस या प्रोफेशन से हुए प्रॉफिट से आय नहीं होती है लेकिन ITR 1 फॉर्म के लिए योग्य नहीं हैं। इस फॉर्म को वे टैक्सपेयर (Income Taxpayer) भर सकते हैं, जिन्हें सैलरी/पेंशन, हाउस प्रॉपर्टी व अन्य स्त्रोत जैसे ब्याज से आय (Income from Interest) प्राप्त होती है और वह 50 लाख रुपये से ज्यादा है।ITR 3 फॉर्म यह फॉर्म उन व्यक्तियों व HUFs के लिए है, जिन्हें बिजनेस या प्रोफेशन से हुए प्रॉफिट से आय होती है लेकिन ITR 4 के लिए योग्य नहीं हैं। कोई बिजनेस करने वाला, किसी कंपनी का इंडीविजुअल डायरेक्टर, अनलिस्टेड इक्विटी शेयरों में निवेश करने वाला, किसी फर्म में पार्टनर के तौर पर आय अर्जित करने वाला ITR 3 को भरने का पात्र है। रिटर्न में हाउस प्रॉपर्टी, सैलरी/पेंशन और अन्य स्त्रोतों से आय को शामिल किया जा सकता है।ITR 4 सुगम यह फॉर्म उन व्यक्तियों, HUFs व पार्टनरशिप फर्म्स (LLP के अलावा) के लिए है, जिन्हें भारत के नागरिक के निवासी के तौर पर 50 लाख रुपये तक की कुल आय होती है और जिन्हें ऐसे बिजनेस व प्रोफेशन से आय होती है, जो आयकर कानून के सेक्शन 44AD, 44ADA या 44AE के तहत कंप्यूटेड हैं। कैपिटल गेन्स से आय पाने वाले और फॉरेन असेट का मालिक ITR 4 का इस्तेमाल नहीं कर सकते। आय में सैलरी या पेंशन, एक हाउस प्रॉपर्टी, अन्य स्त्रोतों से आय भी शामिल है। हालांकि अगर बिजनेस का टर्नओवर 2 करोड़ रुपये से ज्यादा है तो उसके मालिक को आईटीआर 3 भरना होगा।ITR 5 फॉर्म व्यक्ति और HUF (ITR-1 से लेकर ITR 4 तक भरने वाले), कंपनी (ITR-6 भरने वाली) या चैरिटेबल ट्रस्ट/इंस्टीट्यूशंस (ITR-7 भरने वाले) से अलग टैक्सपेयर्स के लिए है। यानी ITR 5, ITR-4 के लिए योग्य पार्टनरशिप फर्म्स से अलग पार्टनरशिप फर्म्स के लिए, LLPs, एसोसिएशन ऑफ पर्सन्स, बॉडी ऑफ इंडीविजुअल्स आदि ऐसे टैक्सपेयर्स के लिए है, जिनके लिए कोई और फॉर्म लागू नहीं होता है।ITR 6 और ITR 7 आयकर कानून (Income Tax Act) के सेक्शन 11 के तहत एग्जेंप्शन क्लेम करने वाली कंपनियों से अलग कंपनियों के लिए ITR 6 फॉर्म बनाया गया है। कंपनियों समेत उन व्यक्तियों के लिए जिन्हें केवल 139(4A) या 139(4B) या 139(4C) या 139(4D) के तहत रिटर्न फर्निश करने की जरूरत है, उनके लिए ITR 7 फॉर्म है। टैक्सपेयर को अपनी कैटेगरी के हिसाब से इनकम टैक्स रिटर्न फॉर्म चुनना चाहिए। अगर आप इसमें गलती करते हैं तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आपका फॉर्म प्रोसेस नहीं करेगा।
Source: Navbharat Times August 16, 2021 06:04 UTC