Tourist Destinations: कैसे पहुंचें Mahabalipuram, यहां मिलेगी पूरी जानकारी - how to reach mahabalipuram know every detail - News Summed Up

Tourist Destinations: कैसे पहुंचें Mahabalipuram, यहां मिलेगी पूरी जानकारी - how to reach mahabalipuram know every detail


दिल्ली और चेन्नै के बीच चलने वाली ट्रेनों की लिस्टमहाबलीपुरम में घूमने के ये स्थान हैं फेमस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच दूसरी अनौपचारिक शिखर बैठक तमिलनाडु के महाबलीपुरम (ममल्लापुरम) में होने जा रही है। यह एक ऐतिहासिक शहर है जिसे ममल्लापुरम भी कहा जाता है। यह बंगाल की खाड़ी के किनारे बसा है और अपने भव्य मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। यहां जानें महाबलीपुरम में घूमने के कुछ बेहतरीन स्थानों के बारे में।इस मंदिर का निर्माण नरसिंहवर्मन द्वितीय के काल में ग्रेनाइट से करवाया गया था। इसे बंगाल की खाड़ी के शोर के रूप में जाना जाता है। इस मंदिर को यूनेस्को की विश्व विरासत स्थल सूची के अंतर्गत शामिल किया गया है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है।महाबलीपुरम में स्‍थ‍ित इस चट्टान को ‘कृष्‍णा बटर बॉल’ कहते हैं। इस चट्टान की ऊंचाई 20 फीट है और यह 5 मीटर चौड़ी है। चट्टान का बेस यानी आधार 4 फीट से भी कम है, जबकि यह एकदम पहाड़ी की ढलान पर स्थित है। एक मान्यता यह भी है कि यह कृष्‍ण के मक्खन टुकड़ा है, जो खाते वक्त स्वर्ग से गिर गया था।रथ के रूप में चट्टान में खुदे हुए मिनी मंदिर हैं। इन्हें प्रसिद्ध महाकाव्य महाभारत के नेतृत्व नायकों के नाम पर 'पंच पांडव रथ' भी कहा जाता है। इन पांच रथ में से चार द्रौपदी के पति या एक द्रौपदी को समर्पित कर रहे हैं।यह स्थान अपनी भव्य नक्काशी के लिए लोकप्रिय है। यह 27 मीटर लंबा और 9 मीटर चौड़ा है। यहां भगवान शिव से पशुपति अस्त्र हासिल करने के लिए अर्जुन की तपस्या की तस्वीरें पत्थरों पर उकेरी गई हैं। यहां चार भुजाओं वाली भगवान शिव की भी मूर्ति है, जिसमें शिवजी का निचला हाथ वरद-मुद्रा में दिखाया गया है, जिससे वह अर्जुन को वरदान दे रहे हैं।यह प्राकृतिक पल्लव कला का एक अच्छा उदाहरण है। इसका निर्माण 7वीं शताब्दी में पल्लव राजवंश के शासनकाल में हुआ था। यह एक गुफा मंदिर है जो एक चट्टानों को काटकर बनाया गया है और भगवान विष्णु के वराह अवतार को समर्पित है।यह महाबलीपुरम शहर के बाहरी इलाके में स्थित सालुवनकुप्पम नामक एक छोटे से गांव में स्थित है। इस गुफा के प्रवेश द्वार के आसपास चट्टानों पर बाघों के सिर की कई मूर्तियां खुदी हुई हैं।महाबलीपुरम के बाहरी इलाके में चेन्नै की प्रसिद्ध ईस्ट कोस्ट रोड पर एक चिड़ियाघर मौजूद है, जहां मगरमच्छों को रखा जाता है। इसका नाम मद्रास क्रोकोडाइल बैंक है, जिसका संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।राजा स्ट्रीट के इस्ट में स्थित इस संग्रहालय में स्थानीय कलाकारों द्वारा बनाई गई 3000 से ज्यादा मूर्तियों को रखा गया है। इस में रखी गई मूर्तियां पीतल, रोड़ी, लकड़ी और सीमेंट की बनी हुई हैं।पल्लव राजवंश के शासन काल के दौरान समुद्री यात्रियों को रास्ता दिखाने के लिए एक टॉवर का निर्माण कराया गया था, जिसमें आग की मदद से रास्ता दिखाया जाता था। इसी टॉवर के ठीक बगल में अंग्रेजों ने एक लाइटहाउस का निर्माण करवाया, जो ज्यादा ऊंचा है। इस लाइटहाउस से पूरा महाबलीपुरम दिखाई देता है।भव्य मंदिरों के अलावा महाबलीपुरम का समुद्र तट भी सैलानियों के बीच काफी फेमस है। अगर आप यहां आते हैं, तो बीच पर जाना न भूलें।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच दूसरी अनौपचारिक शिखर बैठक तमिलनाडु के महाबलीपुरम ममल्लापुरम ) में होने जा रही है। दोनों नेता महाबलीपुरम में स्थित यूनेस्को के कुछ विश्व धरोहर स्थलों का भ्रमण भी करेंगे और एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में भी शिरकत करेंगे। तमिलनाडु का यह तटीय शहर में पल्लव शासकों द्वारा निर्मित कई ऐतिहासिक धरोहर मौजूद हैं। महाबलीपुरम का चीन के साथ भी ऐतिहासिक संबंध है। अगर आप भी इस ऐतिहासिक शहर को देखना चाहते हैं, तो हम आपको इससे जुड़ी हर जानकारी दे रहे हैं।महाबलीपुरम एक ऐतिहासिक शहर है जिसे ममल्लापुरम भी कहा जाता है। यह तमिलनाडु की राजधानी चेन्नै से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर बंगाल की खाड़ी के किनारे स्थित है। यह शहर अपने भव्य मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। महाबलीपुरम न सिर्फ बड़ा पर्यटन स्थल है, बल्कि चेन्नै के काफी पास भी है। चीन के बौद्ध भिक्षु ह्वेन सांग ने भी 7वीं शताब्दी में इस शहर का दौरा किया था। पल्लव राजाओं के शासनकाल (7 वीं शताब्दी) में यहां कई संरचनाओं का निर्माण हुआ था।महाबलीपुरम में अपने भव्य मंदिरों और बीच के लिए पॉप्युलर है। पल्लव शासकों द्वारा बनाए गए स्मारकों की खूबसूरती और इनकी अद्भुत वास्तुकला देखने लायक है। इन स्‍मारकों को यूनेस्‍को विश्‍व धरोहर स्‍थलों की लिस्ट में भी शामिल किया गया है। ममल्लापुरम में स्थित कृष्णा बटर बॉल, शोर मंदिर, पांच रथ, टाइगर केव, कृष्णा मंडपम,क्रोकोडाइल बैंक जैसे कई स्थान हैं, जिनको आप जरूर देखना चाहेंगे।महाबलीपुरम समुद्र के किनारे बसा हुआ है, जिसके कारण यहां काफी गर्मी और हवा में नमी होती है। मई-जून के महीने में यहां पारा 38 डिग्री तक पहुंच जाता है, जिसके कारण यहां आने के बारे में सोचना सही नहीं होगा। आप अगस्त-सितंबर और नवंबर फरवरी में यहां आ सकते हैं। अगस्त-सितंबर में बारिश के कारण यहां का मौसम काफी खुशगवार हो जाता है और सर्दियों (नवंबर-फरवरी) के दौरान यहां का तापमान 25 डिग्री रहता है।देश के सभी बड़े शहरों से महाबलीपुरम पहुंचना काफी आसान है। आप रेल मार्ग, हवाई मार्ग और सड़क मार्ग द्वारा आसानी से यहां पहुंच सकते हैं। महाबलीपुरम से सबसे सबसे नजदीकी एयरपोर्ट चेन्नै है, जिसकी दूसरी सिर्फ 60 किलोमीटर ही है। भारत के सभी बड़े शहरों से चेन्नै के लिए उड़ाने मौजूद हैं। रेल मार्ग से महाबलीपुरम पहुंचना चाहते हैं तो आपको चेंगलपट्टू रेलवे स्टेशन आना है। यहां से ममल्लापुरम सिर्फ 29 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इसके अलावा आप चेन्नै रेलवे स्टेशन भी उतर सकते हैं। यहां से आप बस या टैक्सी लेकर महाबलीपुरम पहुंच सकते हैं। इसके अलाना यह शहर तमिलनाडु के सभी शहरों से सड़क मार्ग से जुड़ा है।अगर आप दिल्ली क


Source: Navbharat Times October 11, 2019 07:29 UTC



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