Savings and Investments News: नए I-T सिस्टम में सैलरी TDS के बारे में बनी उलझन - confusion about salary tds in new it system - News Summed Up

Savings and Investments News: नए I-T सिस्टम में सैलरी TDS के बारे में बनी उलझन - confusion about salary tds in new it system


इस बारे में स्पष्टीकरण की जरूरत है कि क्या नए सिस्टम का चुनाव टैक्स डिडक्शन के समय करना होगा और उसका प्रोसेस क्या होगा[ प्रीति मोटियानी ]सरकार ने बजट 2020 में टैक्सपेयर्स के लिए जिस नए इनकम टैक्स सिस्टम का प्रस्ताव दिया है, वह ऑप्शनल है। फाइनेंस बिल 2020 के मुताबिक नए सिस्टम में टैक्सपेयर्स ITR फाइलिंग के वक्त कम इनकम टैक्स रेट का चुनाव कर सकते हैं जिसके लिए उन्हें टैक्स एग्जेम्पशन और डिडक्शन बेनेफिट छोड़ना होगा। हालांकि फाइनेंस बिल में इस बाबत क्लैरिटी नहीं है कि सैलरी पेमेंट के समय एंप्लॉयर किस तरह TDS का कैलकुलेशन और डिडक्शन करेगा। एक सवाल यह है कि अगर एंप्लॉयर को एंप्लॉयी वित्त वर्ष की शुरुआत में ही नया टैक्स सिस्टम अपनाने के बारे में बता देता है तो क्या उसे बाद में स्विच करने का मौका मिलेगा? इंडिविजुअल टैक्सपेयर्स को वित्त वर्ष में कोई बिजनेस इनकम नहीं होती है तो उसके पास हर वित्त वर्ष में सुविधा अनुसार नए पुराने टैक्स सिस्टम में स्विच करने का विकल्प होगा। लेकिन TDS के लिहाज से हर एंप्लॉयी की एस्टीमेटेड टैक्स लायबिलिटी के कैलकुलेशन के लिए किस टैक्स रेट का चुनाव करना है, इसका पता एंप्लॉयर को कैसे चलेगा? अगर एंप्लॉयी वित्त वर्ष की शुरुआत में चुनाव कर लेता है तो TDS उसके चुने टैक्सेशन सिस्टम के मुताबिक सैलरी से काटा जाएगा। अगर ITR फाइलिंग के वक्त उसका मन बदल जाता है तो वह ज्यादा रिफंड क्लेम कर सकता है या एडवांस टैक्स पेंडिंग होने पर इंटरेस्ट के साथ लेट पेमेंट कर सकता है।टैक्सपेयर को वित्त वर्ष की शुरुआत में यह तय करने में मुश्किल होगी कि कौन सा टैक्सेक्शन सिस्टम उसके लिए फायदेमंद होगा क्योंकि किसी भी वित्त वर्ष में टैक्सपेयर की अनुमानित आय और उसका टाइप समय के साथ बदल सकता है। पेशे से सीए और टैक्समैन.कॉम के डीजीएम नवीन वाधवा कहते हैं, 'नए सेक्शन में नए टैक्स सिस्टम के चुनाव के लिए कोई समय सीमा तय नहीं की गई है। एंप्लॉयी रिटर्न फाइलिंग से पहले कभी भी नए या पुराने सिस्टम के हिसाब से टैक्स पेमेंट प्लानिंग कर सकते हैं। अगर रिटर्न फाइल करते समय टैक्स पेमेंट कम रह जाता है तो टैक्सपेयर को सेल्फ असेसमेंट टैक्स देना होगा।'नए ऑप्शन में एंप्लॉयी की सैलरी से ज्यादा टैक्स डिडक्शन के आसार बन सकते हैं। डेलॉयट इंडिया की पार्टनर आरती राउते कहती हैं, 'फाइनेंस बिल के मुताबिक एंप्लॉयी को सिंपलिफाइड टैक्स सिस्टम का चुनाव रिटर्न फाइलिंग के वक्त करना होगा। एंप्लॉयी की सैलरी के हिसाब से मंथली बेसिस पर टैक्स काटने और जमा कराने की जिम्मेदारी एंप्लॉयर पर होगी। अगर सिंपलिफाइड टैक्स सिस्टम का चुनाव रिटर्न फाइलिंग के वक्त किया जाता है तो एंप्लॉयी को उस साल ज्यादा टैक्स डिडक्शन का सामना करना पड़ेगा और रिफंड पाने के लिए रिटर्न फाइलिंग तक का इंतजार करना होगा।'आरती कहती हैं, 'मेमोरंडम में बताया गया है कि प्रस्तावित टैक्स रेट के हिसाब से टैक्स डिडक्शन सैलरी पेमेंट के समय होगा लेकिन फाइनेंस बिल में इसको लेकर कोई प्रावधान नहीं किया गया है इसलिए इस बाबत क्लैरिफिकेशन जरूरी है क्या नया सिस्टम का चुनाव टैक्स डिडक्शन के समय करना होगा और उसका प्रोसेस क्या होगा?' इस बारे में भी क्लैरिटी नहीं है कि एंप्लॉयी की सैलरी से काटे गए TDS में कमी आने पर क्या शॉर्ट TDS पर लगनेवाला इंटरेस्ट एंप्लॉयर देगा।ITR फाइलिंग वेबसाइट Tax2win.in के सीईओ और फाउंडर अभिषेक सोनी कहते हैं, 'एंप्लॉयर को TDS सैलरी पेमेंट करते वक्त काटना होगा। फाइनेंस बिल में इस बाबत क्लैरिटी है कि एंप्लॉयी के नया सिस्टम चुनने की सूरत में एंप्लॉयर कैसे TDS काटेगा। अब मान लेते हैं कि वित्त वर्ष की शुरुआत में एंप्लॉयी पुराने सिस्टम में बने रहना तय करता है और उसके बारे में एंप्लॉयर को बता देता है। एंप्लॉयर पूरे वित्त वर्ष में TDS काटता है लेकिन इनवेस्टमेंट प्रूफ जमा कराते समय एंप्लॉयी का मन बदल जाता है और वह नए सिस्टम में आ जाता है। ऐसा होने पर एंप्लॉयर को TDS नॉन डिडक्शन या शॉर्ट डिडक्शन के लिए 1 पर्सेंट मंथली के रेट से इंटरेस्ट चुकाना पड़ सकता है। TDS को लेकर एंप्लॉयर के बीच बहुत कनफ्यूजन है इसलिए CBDT को क्लैरिफिकेशन जारी करने की जरूरत है।'


Source: Navbharat Times February 20, 2020 03:30 UTC



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