अपनी मां के साथ कैंसर को इलाज के लिए अस्पताल जा रही एक 14 साल की बच्ची की मेडिकल हिस्ट्री ट्रेन में ही छूट गई। सारी उम्मीदें छोड़ चुकी मां-बेटी के लिए एक स्टेशन मास्टर देवदूत साबित हुआ, जिसने अपने सभी संसाधनों का इस्तेमाल करके बच्ची की फाइल ढूंढकर निकाली।हुआ यूं कि साधना सोनार (38) अपनी 14 साल की बेटी खुशी के कैंसर के इलाज के लिए पनवेल-सीएसटी लोकल ट्रेन से टाटा मेमोरियल अस्पताल जा रही थी। दरअसल खुशी को पेट का कैंसर था और पिछले साल ही उसका ऑपरेशन करके ट्यूमर हटाया गया है। उसके बाद से खुशी रेग्युलर चेकअप के लिए महीने में एक बार अस्पताल जाती है।गुरुवार को सुबह करीब पौने दस बजे साधना और खुशी लोकल ट्रेन पर चढ़ी लेकिन जब दोनों सेवरी में उतरीं तो साधना को पता चला कि खुशी का केस हिस्ट्री वाला बैग (जिसमें हॉस्पिटल कार्ड के साथ 10 हजार रुपये नकद भी थे) ट्रेन के कोच में ही छूट गया है। उन्होंने कहा, 'मैं उस वक्त बहुत घबराई हुई थी, क्योंकि मैंने अपनी बेटी की बीमारी के बहुत जरूरी कागजात खो दिए थे।'हताश, परेशान साधना ने स्टेशन मास्टर विनायक शेवले के पास गईं। उन्होंने कहा, 'मैंने स्टेशन मास्टर को अपनी सारी कहानी बताई। उन्होंने मुझसे कहा कि घबराएं नहीं और हरसंभव मदद की बात कही।' शेवले ने हार्बर लाइन पर सेवरी और सीएसएमटी के बीच पड़ने वाले सभी स्टेशन पर मौजूद अपने साथियों को अलर्ट किया। लेकिन जब इससे काम नहीं बना तो उन्होंने सीएसएमटी कंट्रोल रूम में कॉल किया। सीएसएमटी पहुंचने के बाद, ट्रेन वाशी के लिए आगे जाने वाली थी लेकिन विनायक की कॉल के बाद आखिरी समय पर ट्रेन का शेड्यूल बदलकर वापस पनवेल भेज दिया गया।जब ट्रेन सेवरी पहुंची तो शेवले ने कोच में चढ़कर बैग को ढूंढ निकाला। साधना को इसके लिए पूरे 90 मिनट के लिए मशक्कत करनी पड़ी लेकिन उनका इंतजार रंग लाया और खुशी की फाइल मिल गई। उन्होंने शेवले का इसके लिए तहे दिल से धन्यवाद कहा। साधना ने कहा, 'आप कठिन परिस्थितियों में टफ ड्यूटी कर रहे हैं। लेकिन मुंबई में ऐसे लोग भी हैं जो आपके काम की तारीफ जरूर करेंगे।' सीनियर पीआरओ एके जैन ने भी शेवले की तारीफ की। उन्होंने कहा, 'हमारा कर्तव्य है लोगों की मदद करना। हमें शेवले पर गर्व है और हम उन्हें सम्मानित भी करेंगे।'
Source: Navbharat Times February 08, 2019 06:58 UTC