Mahashivratri 2020 : काशी में जोड़ नहीं चौदस की सांवली रात का, अड़भंगी शिव की बरात का - News Summed Up

Mahashivratri 2020 : काशी में जोड़ नहीं चौदस की सांवली रात का, अड़भंगी शिव की बरात का


वाराणसी, जेएनएन। काशी के महाउत्सव शिवरात्रि की बात हो और शिव बरात का जिक्र न आए तो बात आधी रह जाती है। फागुन चौदस की सांवली रात में चलने वाली शिव बरात महज एक जुलूस नहीं एक मिजाज है। इसी मिजाज के चलते काशीपुराधिपति बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी का हर नागरिक अपने आराध्य की बरात में शामिल होने के रुआब को लेकर ऐंठा हुआ है। क्या देव-दानव, क्या प्रेत-पिशाच और क्या यक्ष- गंधर्व हर कोर्ई ङ्क्षहडोल लेते मस्ती के झूले में बैठा हुआ है। महाशिवरात्रि पर एक ओर जहां हर शिवालय के सामने लंबी पांतें लगेंगी, वहीं दूसरी ओर गली-गली शिव बरातें सजेंगी...बरातें तो आपने बहुत देखी होंगी मगर शंकर बाबा की अनोखी बरात का कोई सानी नहीं है, बिना किसी भेद के इन बरातों में हर कोई स्व को छोड़ कर बाबा का गण बन कर डोलता है। क्या ऊंच-नीच और क्या ङ्क्षहदू-मुसलमान, हर कोई बरात में शामिल होकर एक मन एक प्राण बस हर-हर बम-बम बोलता है। शिव की नगरी में बाबा के परिणयोत्सव पर शिव बरात की परंपरा बहुत पुरानी रही है किंतु इस दौर में इन बरातों का स्वरूप एक सुगठित शोभायात्रा का न होकर मोहल्ले- मोहल्ले टोलियों का हुआ करता था। आगे चल कर शिव कुछ भक्तों ने बाबा की बरात को एक परंपरा के रूप में स्थापित करने का यत्न किया और महापर्व के अवसर पर एक अटूट शोभायात्रा निकालने का संकल्प लिया। हाल फिलहाल बनारस में आधा दर्जन से अधिक बरातें निकलती हैैं जिन्हें भावात्मक आधार पर किसी से किसी को कमतर नहीं आंका जा सकता। इसमें शहरी क्षेत्र में दारानगर की बरात विश्ïवेश्वर खंड का प्रतिनिधित्व तो तिलभांडेश्वर से निकली बरात केदारखंड की परिक्रमा करती है। लक्सा लालकुटी व्यायामशाला व अर्दली बाजार से निकली बरात भी भव्यता और दिव्यता के स्तर पर शिव भक्तों को मन-मगन करती है। हालांकि परंपराओं से जुड़े कुछ स्कूलों से इसकी शुरुआत एक दिन पहले ही हो जाती है।जश्न में बदली विरोध जुलूस की योजनापुरनियों को याद है वह 1983 का साल बाबा श्रीकाशी विश्वनाथ दरबार का सोना चोरी हो गया। इससे दुखी बनारसियों ने विरोध जताने के लिए महाशिवरात्रि पर जुलूस निकालने का निर्णय लिया। इस बीच सोना मिल गया तो माहौल जश्न में बदल गया, फिर क्या गूंज उठा ढोल-तासा और नगाड़े की थाप। हिंदू-मुस्लिम सभी हाथ से जोड़े हाथ निकले शिव बरात में और दिल जीत लिया। इसके जरिए सद्भाव का संदेश भी दिया। इसमें समयानुसार ज्वलंत मुद्दों का भी समावेश किया गया और सामाजिक कुरीतियों को भी निशाने पर लिया। दारानगर से निकलने वाली बरात समति के अध्यक्ष जगदंबा तुलस्यान के अनुसार आज देश भर में पांच हजार से कम बरातें नहीं निकलतीं। इनका दायरा नेपाल, भूटान व मारीशस तक जाता है।बाबा दरबार में रेलाबाबा के विवाहोत्सव का मौका तो भला उनका दरबार इससे कैसे अलग दिख जाए। महापर्व के मौके पर बाबा के आंगन में जनवासा सजाया जाता है। मंगल गीतों को बीच विवाह के रस्मों के प्रतीक अनुसार चार पहर आरती की जाती है। एक दिन पहले से ही बाबा के दर्शन के लिए पूरी काशी नगरी उमड़ जाती है।महाशिवरात्रि का संक्षिप्त महात्म्यअविनाशी काशी के पुराधिपति हैैं बाबा विश्वनाथ। नगरी के कण कण में उनका वास विश्व विख्यात है। काशीवासी उनसे जुड़े तिथि पर्वों को अपने घर के उत्सव की तरह मनाता है। इसमें महाशिवरात्रि सर्व प्रमुख है। इसका महात्म्य शास्त्रों में भी बखाना गया है। पुराणों के अनुसार महाशिवरात्रि ही वह दिन है जब भगवान शिव ने माता पार्वती से विवाह किया। इस दिन काशीवासी पूजन-अनुष्ठान और दूध-जल से अभिषेक के साथ भांग-धतूरा समेत वह सब कुछ बाबा को अर्पित करते हैैं जो भोले शंकर को भाता है। व्रत-पूजन, अनुष्ठान -विधान में उल्लास का रंग घुल जाता है। श्रीकाशी विद्वत परिषद के मंत्री प्रो. रामनारायण द्विवेदी के ब्रह्म के रूद्र रूप में भगवान शंकर का अवतरण हुआ था। माना जाता है कि इसी दिन भगवान शिव ने तांडव कर अपना तीसरा नेत्र खोलकर इसकी ज्वाला से ब्रह्मांड को समाप्त किया था। वैसे हर माह में एक शिवरात्रि होती है लेकिन फागुन की शिवरात्रि का अत्यंत महत्व है। इसलिए इसे महाशिवरात्रि कहा जाता है। कश्मीर शैव मत में इस त्योहार को हर रात्रि और बोलचाल में हेराथ या हेरथ भी कहते हैैं। भगवान शिव की महिमा का बखान करने में असमर्थता जताते हुए पुष्प दंतराज को कहना पड़ा कि भगवती सरस्वती शारदा भी आपकी महिमा का वर्णन नहीं कर सकतीं। भगवान महादेव आशुतोष सबके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करते हैैं। सभी जाति वर्ग, संप्रदाय के गण भगवान शिव की उपासना कर सकते हैैं।Posted By: Abhishek Sharmaडाउनलोड करें जागरण एप और न्यूज़ जगत की सभी खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस


Source: Dainik Jagran February 21, 2020 05:26 UTC



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