हाइलाइट्स पूर्व क्रिकेटर और सिलेक्टर किरण मोरे का कहना है कि सिलेक्टर्स को धोनी से बात करना चाहिए और उनके आगे के प्लान की जानकारी लेनी चाहिएदिलीप वेंगसरकर ने कहा, 'यह जानने की जरूरत है कि कौन से खिलाड़ी वनडे, टी20 और टेस्ट फॉरमेट के लिए फिट हैंमोरे ने कहा कि इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि खिलाड़ी असुरक्षित न महसूस करेंवर्ल्ड कप में फैन्स को टीम इंडिया से काफी उम्मीदें थीं लेकिन मैनचेस्टर में खेले गए सेमीफाइनल में उन्हें झटका लगा। इस समय भारत के खिलाड़ी ब्रेक का आनंद ले रहे हैं लेकिन क्रिकेट अधिकारी काफी परेशान हैं। शुक्रवार को नैशनल सिलेक्टर एमएसके प्रसाद के अध्यक्षता में एक बैठक होनी है जिसमें यह फैसला किया जाएगा कि वेस्ट इंडीज सीरीज के लिए किन खिलाड़ियों को भेजा जाए। अगस्त में वेस्ट इंडीज के साथ तीन वनडे, तीन टी20 और दो टेस्ट मैच खेले जाने हैं।प्रसाद और उनकी टीम तय करेगी कि केदार जाधव और दिनेश कार्तिक का करियर किस दिशा में जाएगा और चोटिल हिए हरफनमौला खिलाड़ी विजय शंकर को टीम में जगह मिलेगी या नहीं। सिलेक्टर्स की टीम के सामने एक संकट है और वह है पूर्व कप्तान एमएस धोनी का। इस बात पर काफी चर्चा हो रही है कि अब धोनी के लिए क्या फैसला लिया जाएगा। टीम में भी इस मामले में कई तरह की राय हैं। कप्तान कोहली अकसर धोनी की बड़ाई करते रहते हैं। ऐसे में चयनकर्ताओं के सामने उनपर फैसला लेने की चुनौती है। पूर्व क्रिकेटर किरण मोरे का कहना है कि धोनी से बात करने के लिए चयनकर्ताओं में साहस होना चाहिए और जरूरी फैसला लेना चाहिए।दिलीप वेंगसरकर ने कहा, 'यह जानने की जरूरत है कि कौन से खिलाड़ी वनडे, टी20 और टेस्ट फॉरमेट के लिए फिट हैं। खिलाड़ियों की मजबूती को जानना और फिर विकल्पों पर विचार करना चाहिए।' बता दें कि 2007 में वेंगसरकर ने भारतीय टीम में कुछ कड़े फैसले लिए थे। सौरव गांगुली और द्रविण को भी वनडे फारमेट से विदा लेना पड़ा। इसके चार साल बाद ही भारतीय टीम विश्व विजयी बनी।भारतीय टीम के पूर्व विकेट कीपर और पूर्व चीफ सिलेक्टर किरण मोरे का भी कहना है कि अगले विश्व कप की तैयारी अभी से शुरू हो जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि सबको पता है कि टीम का प्रदर्शन कैसा रहा और इसके आधार पर आगे की योजना बनाना चाहिए। अगर लगता है कि कोई खिलाड़ी है जो खुद को साबित कर सकता है तो उसे मौका देना चाहिए।मोरे ने कहा कि इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि खिलाड़ी असुरक्षित न महसूस करें। बात धोनी की है तो उनके पास जाना चाहिए और उनकी योजना के बारे में पूछना चाहिए और खुद के विचारों से भी अवगत कराना चाहिए। मोरे 2002 से 2006 तक सिलेक्टर रह चुके हैं। विरेंदर सहवाग ने भी हाल ही में धोनी के बारे में कहा था कि कोई केवल मेंटर बनकर टीम में नहीं रह सकता बल्कि एक बल्लेबाज या विकेटकीपर बनकर ही रहना होगा।
Source: Navbharat Times July 18, 2019 05:16 UTC