Kanhaiya Kumar: बेगूसराय: बीजेपी विरोधी वोटों का बंटवारा बना कन्हैया कुमार की मुश्किल - division of anti bjp votes is a tough challenge for cpis kanhaiya kumar in begusarai - News Summed Up

Kanhaiya Kumar: बेगूसराय: बीजेपी विरोधी वोटों का बंटवारा बना कन्हैया कुमार की मुश्किल - division of anti bjp votes is a tough challenge for cpis kanhaiya kumar in begusarai


Xगंगा नदी के पूर्वी किनारे पर स्थित उत्तर बिहार के बेगूसराय को ‘बिहार का लेनिनग्राद’ कहा जाता है। एक बार फिर से यह देश का ध्यान अपनी ओर खींच रहा है क्योंकि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ( सीपीआई ) ने आगामी लोकसभा चुनाव में अपने फायरब्रैंड युवा नेता कन्हैया कुमार को इस सीट से चुनाव मैदान में उतारा है। वहीं भारतीय जनता पार्टी ( बीजेपी ) ने अपने शीर्ष भूमिहार नेता और केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह को उनके खिलाफ टिकट दिया है।इनसब के बीच, राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और महागठबंधन के उम्मीदवार तनवीर हसन ज्यादा मीडिया का ध्यान आकर्षित नहीं कर पा रहे हैं लेकिन उनकी मौजूदगी ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है। हसन ने बीजेपी विरोधी वोटों को हासिल करने के कन्हैया के मौके पर भी पानी फेर दिया है। हसन के मैदान में उतरने से बीजेपी विरोधी वोट आरजेडी और सीपीआई के बीच बंट सकते हैं। एक विश्लेषण बताता है कि अगर मुकाबला दो के बीच होता तो कन्हैया के पास बीजेपी को चौंका देने का एक अच्छा मौका था।युवा नेता के रूप में कन्हैया के उभरने से सीपीआई को उसके प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ आशा जगी थी और पार्टी ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया था। जेएनयू घटना के बाद कन्हैया के साथ ‘देशद्रोही’ का तमगा चिपका हुआ है और हो सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने गिरिराज सिंह को मैदान में उतारने का फैसला इसी कारण किया है, जबकि गिरिराज सिंह नवादा से फिर से चुनाव लड़ने की इच्छा जता चुके थे। गिरिराज सिंह नवादा से चुनाव लड़ने की जिद कर रहे थे लेकिन एनडीए सहयोगियों के बीच सीट बंटवारे में यह सीट लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के खेमे में जाने से उन्हें बेगूसराय से लड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा।2014 में बीजेपी के भोला सिंह ने तनवीर हसन को 58 हजार से ज्यादा मतों से शिकस्त देकर सीट पर कब्जा जमाया था। भोला सिंह पूर्व सीपीआई नेता थे, जो बीजेपी में शामिल हो गए थे। 34.31 फीसदी वोट हिस्सेदारी के साथ हसन को करीब 370,000 वोट मिले थे जबकि भोला सिंह को 39.72 फीसदी वोट हिस्सेदारी के साथ 428,000 वोट हासिल हुए थे। सीपीआई के राजेंद्र प्रसाद सिंह को 17.87 फीसदी वोटों के साथ करीब 200,000 वोट मिले थे।अनुमान के मुताबिक, बेगूसराय के 19 लाख मतदाताओं में भूमिहार मतदाता करीब 19 फीसदी, 15 फीसदी मुस्लिम, 12 फीसदी यादव और सात फीसदी कुर्मी हैं। 2009 में अंतिम परिसीमन से पहले बेगूसराय जिले में दो संसदीय सीटें बेगूसराय और बलिया थीं। तब उन दोनों को मिलाकर बेगूसराय कर दिया गया और बलिया सीट खत्म हो गई। बेगूसराय जिले की सात विधानसभा सीटों में से पांच बलिया में आती हैं। गिरिराज और कन्हैया दोनों ही भूमिहार हैं और अब देखना यह होगा कि कौन अपनी जाति से अधिकतम समर्थन हासिल कर पाता है।गिरिराज सिंह की भूमिहार, सवर्णों, कुर्मी और अति पिछड़ा वर्ग पर अच्छी पकड़ है, जबकि आरजेडी मुस्लिम, यादव और पिछड़ी जाति के वोटरों को अपने खेमे में किए हुए है। सीपीआई को आशा थी कि आरजेडी कोई उम्मीदवार नहीं उतारेगा, जिससे कन्हैया की जीत हो सकती थी लेकिन पार्टी ने हसन को उम्मीदवार के रूप में टिकट दे दिया। वर्तमान हालात में कन्हैया को असंभव कार्य करना होगा। अगर वह भूमिहार वोट में सेंध लगाने में कामयाब रहते हैं तो इसका सीधा फायदा हसन को होगा लेकिन आरजेडी के लिए यह इतना आसान नहीं होगा। बेगूसराय में उद्योगों की भारी मौजूदगी और ट्रेड यूनियन आंदोलन ने इलाके में राजनीतिक माहौल गरम कर दिया है और सीपीआई की यहां पकड़ अच्छी है। कन्हैया बेगूसराय में बीते दो महीने से आक्रामक प्रचार कर रहे हैं और प्रत्येक जाति और समुदाय से समर्थन मांग रहे हैं। बेगूसराय में लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में मतदान होना है, जो कि 29 अप्रैल को होगा। नतीजों की घोषणा 23 मई को की जाएगी।


Source: Navbharat Times April 02, 2019 11:53 UTC



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