Indira Gandhi के वो फैसले जो हमेशा रहेंगे याद, वैश्विक मंच पर भारत को दिलाई थी पहचाननई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। Indira Gandhi Birth Anniversary : भारत की आयरन लेडी के तौर पर जब भी जिक्र किया जाता है तो इसमें एक नाम ही जहन में आता है, इंदिरा गांधी का। कहा तो यहां तक जाता है कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी उन्हें दुर्गा कहा था। लेकिन, इसको लेकर प्रमाणिक तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता है। बहरहाल, इसमें कोई शक नहीं है कि इंदिरा गांधी कड़े फैसलों को लेने से कभी पीछे नहीं हटती थीं। बांग्लादेश उनकी ही बदौलत आज एक आजाद मुल्क की हैसियत रखता है। इंदिरा गांधी ने ही वहां पर अपनी सेना भेजने का फैसला लिया था और इसका अंत 80 हजार पाकिस्तान सैनिकों की आत्म समर्पण और बांग्लादेश की आजादी से हुआ था।आपातकाल बनी मुसीबत19 नवंबर 1917 में जन्मी इंदिरा का बचपन देश की राजनीति के इर्द-गिर्द ही बीता था। यही वजह थी कि उन्होंने इसकी बारिकियों को करीब से जाना समझा। इसकी बदौलत उन्हें आगे बढ़कर कड़े फैसले लेने की समझ भी विकसित हुई। उनके द्वारा लिए गए ये फैसले उनकी दमदार छवि को दिखाते हैं। हालांकि इस दमदार छवि के उलट उन्होंने जो आपातकाल का फैसला किया उसको हर तरफ विरोध हुआ। इसका नतीजा केंद्र में गैर कांग्रेसी सरकार का बनना था। हालांकि यह सरकार कुछ ही समय में गिर गई थी और देश की जनता ने दोबारा इंदिरा गांधी पर ही विश्वास जताया था।भारत का न्यूक्यिलर टेस्टजिस वक्त दुनिया के ताकतवर देश भारत को लेकर धमकाने में जुटे थे उस वक्त इंदिरा गांधी ने न्यूक्यिलर टेस्ट कर दुनिया को आश्चर्य में डाल दिया था। इस टेस्ट ने भारत को परमाणु ताकत के रूप में स्थापित किया था। हालांकि दुनिया के बड़े मुल्क इस हरकत से काफी खफा थे और भारत को उनके कड़े रुख का सामना करना पड़ा था। लेकिन इससे इंदिरा न तो घबराई और न ही विचलित हुईं। उन्होंने लगातार भारत को विकास के पथ पर अग्रसर रखा। उनके इस फैसले ने दुनिया को यह बता दिया था कि भारत अपने हित के लिए किसी भी कदम से पीछे नहीं हटने वाला है।जब लिखा मार्गरेट थैचर को खतउनके कड़े फैसलों में श्रीलंका को लेकर किया गया फैसला भी शामिल है। इंदिरा गांधी चाहती थी कि श्रीलंका में तमिल समस्या को बातचीत के जरिए सुलझाया जाए। वहीं दूसरी तरफ ब्रिटेन श्रीलंंका की सेना को उनसे निपटने के लिए ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया था। इसको लेकर इंदिरा ने ब्रिटेन की पीएम मार्गरेट थैचर को पत्र लिखकर ऐसा न करने की सलाह दी। उनका कहना था कि इससे तमिल और भड़केंगे और हालात खराब होंगे। इंदिरा का कहना था कि यदि ब्रिटेन को श्रीलंका की मदद ही करनी है तो वह राष्ट्रपति जयवर्द्धने से इसका स्थायी समाधान करने की अपील करें। इसके लिए सर्वदलीय बैठक बुलाएं और समस्या का हल निकालें।ऑपरेशन ब्लू स्टारअपने प्रधानमंत्री काल में उन्होंने खालीस्तान की कमर तोड़ने के लिए जो ऑपरेशन ब्लू स्टार का फैसला लिया, वो आसान नहीं था। इंदिरा को कहीं न कहीं इस बात का अंदेशा जरूर रहा होगा कि इसका राजनीतिक स्तर पर क्या असर होगा, लेकिन क्योंकि पंजाब खालिस्तान समर्थकों की जकड़ में कसता जा रहा था। उग्रवाद अपने चरम पर जा रहा था। लिहाजा, उनके लिए ये फैसला लेना जरूरी हो गया था। स्वर्ण मंदिर में सेना का हमला और जरनैल सिंह भिंडरावाला की मौत इसका ही परिणाम था।सिखों की नाराजगीउन्हें कहीं न कहीं इस बात का अंदाज था कि उनके स्वर्ण मेंदिर में सेना भेजने के फैसले से सिख नाराज हो सकते हैं। 30 अक्टूबर को ओडिशा में दिए अपने आखिरी भाषण में जो शब्द कहे थे उससे कहीं न कहीं उन्हें इस बात का भी अंदाजा हो गया था कि उनकी हत्या हो सकती है। कहा तो यहां तक जाता है कि उनके पास में इसको लेकर खुफिया जानकारी तक थी कि उनके की सुरक्षाकर्मी उनकी जान के लिए खतरा बन सकते हैं। इतना ही नहीं उन्हें अपने सुरक्षाकर्मी बदलने तक की सलाह दी गई थी, लेकिन उन्होंने इसको मानने से इनकार कर दिया था।बांग्लादेश को कराया आजादइसको इत्तफाक ही कहा जाएगा कि बांग्लादेश को आजाद कराने के बाद उन्होंने जब 1975 में जमैका में बंगबंधु शेख मुजीबुर्र रहमान से मुलाकात की थी तब उनकी सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर की थी। लेकिन शेख ने उनकी बातों को गंभीरता से नहीं लिया था। इसका खामियाजा उन्हें अपने पूरे परिवार की जान देकर चुकाना पड़ा था। ऐसा ही कुछ इंदिरा गांधी के साथ भी हुआ। अपने करीबियों की सलाह न मानकर जो गलती उन्होंने की, उसका खामियाजा भी उन्हें अपनी जान देकर चुकाना पड़ा।उनकी हत्या से सकते में दुनिया31 अक्टूबर को उनके सरकारी आवास पर जो कुछ घटा उसको पूरी दुनिया ने देखा। अपने सुरक्षाकर्मियों की गोलियों से उनका शरीर छलनी हो चुका था। आननफानन में उन्हें एम्स लेकर जाया गया। तब तक उनकी हालत बेहद खराब हो चुकी थी। उन्हें 80 बोतल खून चढ़ाया गया लेकिन डॉक्टर उनकी जान नहीं बचा सके। इस घटना ने पूरी दुनिया को सकते में डाल दिया था।यह भी पढ़ें:-पटरी से उतर गई हांगकांग की अर्थव्यवस्था, हांगकांग की आग में चीन के हाथ जलना तयये वेनिस है जनाब! पानी-पानी होने के बाद भी कायम है लोगों के चेहरों पर मुस्कुराहटPosted By: Kamal Vermaअब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप
Source: Dainik Jagran November 18, 2019 12:14 UTC