Haryana News In Hindi : Haryana New Year full of hopes for Neeraj Chopra Manu Bhaker and Vinesh phogat - News Summed Up

Haryana News In Hindi : Haryana New Year full of hopes for Neeraj Chopra Manu Bhaker and Vinesh phogat


टोक्यो ओलिंपिक तकलीफों को मात दे मेडल्स के लिए तैयार हो रहे धुरंधरDainik Bhaskar Jan 01, 2020, 12:06 PM ISTपानीपत (राजेश खोखर)। नए साल 2020 में देश को सबसे बड़ी उम्मीदें टोक्यो में 24 जुलाई से शुरू होने वाले ओलिंपिक गेम्स से हैं। ओलिंपिक की बात आती है तो देश की नजरें हरियाणा पर रहती हैं। हमारे खिलाड़ियों ने ओलिंपिक कोटा हासिल करने में लोहा मनवाना शुरू कर दिया है। अभी तक सिंगल व टीम इवेंट को मिलाकर कुल 60 खिलाडियों ने ओलिंपिक कोटा हासिल किया है। इसमें सबसे ज्यादा 19 खिलाड़ी यानी करीब 31% हरियाणा से हैं। व्यक्तिगत प्रतियोगिता की बात करें तो कुल 24 में से सबसे ज्यादा 9 का कोटा हरियाणा के धुरंधरों ने हासिल किया है। भले कड़ाके की ठंड पड़ रही है, पर हमारे जिन खिलाड़ियों को कोटा हासिल हो चुका है, वे मेडल के लिए और बाकी कोटा हासिल करने के लिए पसीना बहा रहे हैं। पढ़िए ऐसे 3 खिलाड़ियों की कहानियां, जो तकलीफों को मात दे खुद को शारीरिक व मानसिक रूप से मजबूत कर रहे हैं।नीरज जिस हाथ से थ्रो करते हैं, उसी की कोहनी में चोट से लड़े; अब दोगुनी सख्त ट्रेनिंग कर रहेएक साल से कंधे की चोट से लड़ इंटरनेशनल जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा अब फिट हो चुके हैं। उनका पहला टारगेट टोक्यो ओलिंपिक का टिकट पक्का करना है। इसके लिए वे दक्षिण अफ्रीका में जीतोड़ प्रैक्टिस कर रहे हैं। पानीपत के खंडरा के नीरज को 2015 में ओलिंपिक क्वालीफाइंग प्रतियोगिता के दौरान पीठ में प्रॉब्लम आई थी, जिससे वे सही दूरी पर भाला नहीं फेंक पाए और ओलिंपिक में एंट्री से वंचित रह गए। नीरज ने सबक लिया। जी-तोड़ मेहनत की और पीठ की समस्या से उभरने के बाद पोलैंड में अंडर-20 विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप में वर्ल्ड रिकॉर्ड के साथ गोल्ड जीता।2018 में कॉमनवेल्थ व एशियाड में मेडल जीते। सितंबर में उसी हाथ की कोहनी में चोट लग गई, जिससे थ्रो करते हैं। अप्रैल 2019 में सर्जरी कराई। सितंबर में अभ्यास शुरू किया। नीरज ने कहा,'इस दौरान काफी कुछ सीखा, जो फ्यूचर में काम आएगा। सभी कमजोर बिंदुओं पर काम कर चुका हूं।' नीरज प्रैक्टिस में लगातार 90 मीटर प्लस जेवलिन फेंक रहे हैं। सिर्फ जर्मनी के खिलाड़ी उनसे आगे हैं। ओलिंपिक रिकाॅर्ड 90.57 मीटर है। एशियन गेम्स में नीरज ने 88.06 मीटर जेवलिन फेंका था।पिछली बार जिस पैर में फ्रैक्चर से विनेश को छोड़नी पड़ी बाउट, उसी को लोहे जैसा बनायामहिला रेसलर चरखी दादरी के बलाली की विनेश फौगाट। 2016 के रियो ओलिंपिक में पैर में फ्रैक्चर होने से उन्हें बीच में बाउट छोड़नी पड़ी। 6 माह बिस्तर पर रहीं। कई रात नींद नहीं आई। एक्सरसाइज नहीं कर सकती थीं इसलिए खुद को दिमागी रूप से मजबूत करती रहीं। जीतोड़ मेहनत से 2018 में कॉमनवेल्थ व एशियाड में गोल्ड जीते। 2019 में विश्व सीनियर चैंपियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल जीत टोक्यो ओलिंपिक का टिकट पक्का किया। विशेषज्ञों ने पैर बचाकर खेलने की सलाह दी है, पर विनेश लेग अटैक की अपनी कमजोरी को लोहे जैसा अचूक हथियार बनाने के लिए लगातार मेहनत कर रही है। विश्व चैंपियनशिप में भी हर पहलवान के खिलाफ अंक बटोरने में लेग अटैक का सबसे ज्यादा उपयोग किया।एशियाड की हार से टूट गई थीं 17 साल की मनु, डर भगाने वाले गेम्स से हुईं मानसिक रूप से मजबूतझज्जर के गांव गोरिया की शूटर मनु भाकर कम समय में खूब नाम कमा चुकी हैं। मनु ने बताया कि 2018 में एशियाड में मेडल नहीं जीत पाईं तो काफी परेशान हो गईंं। रातों को नींद तक नहीं आती थी। कोच से बात की तो सामने आया कि तकनीक में खामी नहीं, बल्कि मानसिक ट्रेनिंग की जरूरत है।इसी पर काम शुरू किया। सुबह उठकर योग किया और अब भी कर रही हैं। 4 के बजाय 6 से 8 घंटे अभ्यास करने लगीं। शूटिंग प्रैक्टिस के बराबर मानसिक प्रशिक्षण पर ध्यान दे रही हैं। जिक-जैक पाथ, ट्रैम्पलीन जम्पिंग आदि की प्रैक्टिस कर दिमाग से डर निकाल रही हैं व उसे केंद्रित कर रही हैं ताकि टोक्यो ओलिंपिक के लिए मानसिक तौर पर मजबूत हो सकें। भाकर ने इसी साल एशियन शूटिंग में गोल्ड मेडल समेत 13 अंतरराष्ट्रीय मेडल जीते हैं।


Source: Dainik Bhaskar January 01, 2020 06:45 UTC



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