Delhi Samachar: उप्र आजमगढ आतंक - (A) - upazila azamgarh terror - (a) - News Summed Up

Delhi Samachar: उप्र आजमगढ आतंक - (A) - upazila azamgarh terror - (a)


उप्र के आजमगढ़ जिले का संजरपुर गांव 'आतंक' के ठप्पे से चाहता है छुटकारा संजरपुर (आजमगढ़), नौ मई (भाषा) उत्तर प्रदेश में आजमगढ़ जिले के इस मुस्लिम बहुल गांव (संजरपुर) के लोगों को नेताओं से कोई उम्मीद नहीं है और वे अपने गांव पर लगे ''आतंक का गढ़'' के ठप्पे से छुटकारा पाना चाहते हैं। कुछ ग्रामीणों का कहना है कि जब समझौता एक्सप्रेस और मालेगांव विस्फोटों के आरोपी सबूत के अभाव में आजाद हो सकते हैं तो उनके गांव से गिरफ्तार युवकों को न्याय कब मिलेगा? दिल्ली के बटला हाउस में 2008 में इंडियन मुजाहिदीन के संदिग्ध आतंकवादियों से हुई मुठभेड़ के बाद यह गांव सुर्खियों में रहा था। इस मुठभेड़ में दो संदिग्ध आतंकवादी, अतीफ अमीन और मोहम्मद साजिद मारे गए थे जबकि अन्य संदिग्ध - मोहम्मद सैफ, सलमान और आरिफ गिरफ्तार किए गए थे और वे सभी संजरपुर गांव के रहने वाले थे। यह गांव आजमगढ़ जिला मुख्यालय से करीब 25 किमी दूर स्थित है। सैफ जयपुर जेल में कैद है। उसके पिता मोहम्मद सादाब उर्फ मिस्टर ने पीटीआई भाषा से कहा, ''हम अपने गांव पर लगे आतंक के ठप्पे से छुटकारा पाना चाहते हैं। बटला हाउस मुठभेड़ के बाद मीडिया ने यह ठप्पा लगाया था। हमें नेताओं से कोई उम्मीद नहीं है जो आते - जाते रहते हैं। हमारे समक्ष कोई मुद्दा नहीं है, हम तो बस इतना चाहते हैं कि सुरक्षा एजेंसियों द्वारा पकड़े गए बेकसूर युवकों की रिहाई सुनिश्चित हो।'' उन्होंने कहा, ''जब समझौता एक्सप्रेस और मालेगांव विस्फोट के आरोपी सबूत के अभाव में आजाद कर दिए जाते हैं, तब उनके गांव से गिरफ्तार किए गए बेकसूर युवकों को भी इसी तरह का न्याय मिलना चाहिए।'' सैफ की संलिप्तता के बारे में उसके पिता ने कहा, ''बेशक वह बेकसूर है। मुकदमा चल रहा है। कोई चश्मदीद नहीं है। सभी गवाह पुलिसकर्मी हैं। चुनाव लड़ रहे नेताओं द्वारा यह विषय उठाया जाना चाहिए।'' आरोपपत्र में पुलिस ने दावा किया है कि दिल्ली के जिस फ्लैट में यह मुठभेड़ हुई थी, उसमें मोहम्मद सैफ भी मौजूद था। यह घटना 19 सितंबर 2008 की है। अभियोजन का दावा है कि सैफ ने इस बात का खुलासा किया था कि वह 13 सितंबर 2008 को दिल्ली में हुए सिलसिलेवार विस्फोटों को कराने में संलिप्त था। इस हमले में 26 लोग मारे गए थे और 135 अन्य घायल हुए थे। रिहाई मंच के संस्थापक सदस्य एवं स्थानीय व्यक्ति तारीक शफीक ने कहा कि गांव के लोग इस उम्मीद के साथ अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर रहे हैं कि वे लोग (नेता) कुछ करेंगे। लोकसभा चुनाव में विकल्पों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, '' हम कम नुकसान पहुंचाने वाले को वोट देंगे, हालांकि किसी ने भी इस गांव के युवाओं के हितों पर ध्यान नहीं दिया है। जब - जब चुनाव आता है, नेता और मीडिया हमारे पास आते हैं लेकिन वास्तव में कोई भी मदद के लिए नहीं आता। '' तारिक ने कहा, ''हम लड़ रहे हैं और उस दिन क्या होगा जब सभी युवा बरी हो जाएंगे? किस तरह से और कैसे वे लोग उनके स्वर्णिम बरसों को लौटाएंगे। '' उन्होंने कहा कि 2009 के बाद सपा के संस्थापक मुलायम सिंह यादव, कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और अन्य नेताओं ने उनके गांव का दौरा किया तथा मामले को उठाने का वादा किया था लेकिन कुछ नहीं हुआ और उनके गांव पर लगा कलंक बरकरार है। सामाजिक कार्यकर्ता महीसुद्दीन संजरी के मुताबिक, ''यहां नेताओं को कोई भी गंभीरता से नहीं लेता। यहां कोई मुद्दा नहीं है।'' आजमगढ़ को सपा द्वारा आतंकवाद का गढ़ बनाए जाने संबंधी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान पर संजरी ने कहा, ''वोटों का ध्रुवीकरण करने के लिए कोशिश चल रही हैं। लेकिन यहां कोई प्रतिक्रिया नहीं है क्योंकि लोगों ने काफी कुछ सामना किया है और नेताओं के असली चेहरे देखे हैं।'' राष्ट्रीय उलेमा परिषद के प्रमुख मौलाना आमिर रश्दी ने कहा, ''बेकसूर युवकों की रिहाई इस कलंक को हटाने का मार्ग प्रशस्त करेगा। निष्पक्ष जांच की हमारी मांग कायम है।'' आजमगढ़ लोकसभा सीट पर छठे चरण में 12 मई को चुनाव होने जा रहा है और इस चुनाव में सपा प्रमुख अखिलेश यादव अपने पिता की सीट बरकरार रखने की कोशिश कर रहे हैं। यह जिला उर्दू के मशहूर शायर कैफी आजमी का जन्म स्थल रहा है। उनकी अदाकारा बेटी शबाना आजमी उनके जन्म स्थान मिजवान को विकसित कर रही हैं। जिले का संजरपुर एक बड़ा गांव है, जहां 6000 से अधिक मतदाता हैं, जहां की आबादी में मुख्य रूप से मुसलमान, दलित, यादव और गुप्ता समुदाय के लोग शामिल हैं। भाषा सुभाष पवनेश


Source: Navbharat Times May 10, 2019 02:26 UTC



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