Crime Thriller: साइको किलर ने जन्मदाता, पनाहगार और मोहब्बत तक को उतारा मौत के घाट - News Summed Up

Crime Thriller: साइको किलर ने जन्मदाता, पनाहगार और मोहब्बत तक को उतारा मौत के घाट


योगेंद्र शर्मा, दुर्ग। शक और नफरत का भूत उस पर इस हद तक सवार था कि रिश्तों का खून करने में वह जरा भी संकोच नहीं करता था। होश संभालने के साथ ही बदले की आग ने उसके जेहन में घर कर लिया और वह एक के बाद एक अपराधों को अंजाम देता गया। वह बेहद शातिर तरीके से कत्ल की वारदात को अंजाम देता था और एक खून के सबूत को छिपाने के लिए चश्मदीद या राजदार को मौत के घाट उतार देता था।इस तरह से उसने एक या दो नहीं सात लोगों को मौत की नींद सुला दिया। हत्या करना तो जैसे उसका शगल बन गया था। उसने उन लोगों का कत्ल किया जो उसके नजदीकी थे या किसी न किसी बुरे वक्त में इस साइको किलर का साथ दिया था, लेकिन कातिल कितना ही क्रूर क्यों न हो दिल के किसी कोने में प्यार का रिश्ता उसके पास भी होता है। बस यहीं पर वह गलती कर बैठा और नफरत का यह दरिंदा प्यार के रिश्ते की वजह से सलाखों के पीछे पहुंच गया।यह कहानी है उस वहशी दरिंदे की जिसने एक के बाद एक सात लोगों को मार डाला। इस साइको किलर का नाम है अरुण चंद्राकर। छत्तीसगढ़ की राजधानी कुकुरबेड़ा इलाके का ये बाशिंदा है। जिसने जन्म दिया पाल पोसकर बड़ा किया उसका कत्ल किया। जिसने पनाह दी उसको मौत के घाट उतारा। जिसने जन्म-जन्मांतर के रिश्तों की डोर इस दरिंदे से बांधी इसने उसको भी इस दुनिया से रुखसत कर दिया।सीरियल किलर अरुण चंद्राकर मूलत: दुर्ग के कचांदूर का रहने वाला है। होश संभालने के साथ ही वह चोरी की छोटी-मोटी वारदात करने लग गया। इस वजह से वह कई बार जेल गया। उसकी गलत हरकतों से परेशान होकर पिता शत्रुहन ने उसे घर से निकाल दिया था।इसके बाद दुर्ग रेलवे स्टेशन को उसने अपना आशियाना बना लिया था। । उसके ऊपर पागलपन और दरिंदगी का जुनून इस हद तक सवार था कि जिस पर भी उसको शक होता था उसे मौत के घाट उतार देता था। घर से निकाले जाने के बाद उसने अपने पिता की हत्या करने की ठान ली थी और पिता की हत्या के लिए वह मौके की तलाश करने लगा। एक दिन उसको मौका मिल गया और उसने अपने पिता को चलती ट्रेन से धक्का देकर मार डाला।इसके बाद रायपुर के हीरापुर इलाके में वह बहादुर सिंह के मकान में किराए से रहने लगा था। मामूली विवाद पर अरुण ने बहादुर की भी हत्या कर दी। उसके बाद वह अपने दोस्त मंगलू देवार के साथ कुकुरबेड़ा में रहने लगा। वहां पर लिली देवार से प्रेम करने लगा और उससे शादी करके मामा ससुर संजय देवार के घर में रहने लगा। लेकिन अरुण पर खून सवार था। वह अपनी ख्वाहिश पूरी करने और बदला लेने के लिए किसी भी हद तक जा सकता था। शादी करने के बाद उसकी नजर पनाह देने वाले संजय देवार की संपत्ति पर गई।उसके मकान पर कब्जा करने के लिए संजय की हत्या करके कमरे में ही क्रब खोदकर दफन कर दिया। इसकी भनक जब अरुण की बीवी लिली को हुई तो उसने उसकी भी हत्या कर वहीं दफना दिया। उसके बाद अरुण ने सिलसिलेवार हत्याओं को राज को छिपाने के लिए साली पुष्पा को भी मारकर दफना दिया।इस तरह साइको किलर अरुण ने एक के बाद एक पिता, पत्नी, साली, साला, उसकी पत्नी, मामा ससुर समेत सात लोगों को मौत के घाट उतार दिया। पुलिस गिरफ्त में आने के बाद जब अरुण से इन हत्याओं के बारे में पूछा गया तो उसने कहा कि नोएडा के निठारी हत्याकांड से प्रभावित होकर उसने इस तरह के हत्याकांड को अंजाम दिया।अरुण अक्सर निठारी हत्याकांड से संबंधित न्यूज टीवी पर देखता था। उसको जिसके ऊपर भी शक होता था उसे मौत के घाट उतार देता था। उसे लगता था कि जब किसी को शव ही नहीं मिलेगा तो उसे कोई पकड़ेगा भी नहीं। अरुण का कहना है कि उसने कई लोगों को बेहोशी की हालत में जिंदा दफना दिया था।अरुण इन हत्याओं को अंजाम देने के बाद एक बार पुलिस के हत्थे चढ़ गया और सारी कानूनी कवायद पूरी होने के बाद उसको सजा भी मुकम्मल कर दी गई। लेकिन खुंखार होने के साथ खौफ उसकी जिंदगी से गायब हो चुका था। साइको किलर अरुण को रायपुर की जिला अदालत ने तीन हत्याओं के आरोप में उम्रकैद की सजा सुनाई है। अरुण के खिलाफ वर्ष 2012 में सरस्वती नगर में तीन, आमानाका में तीन और दुर्ग जिले के नंदनी थाना में हत्या का एक मामला दर्ज है।, लेकिन दुर्ग में पेशी के दौरान वह पुलिस की आंखों में धूल झोंककर भाग निकला।फरार होने के छह महीने बाद बेटी से मिलने आयाएक मई, 2018 को दुर्ग कोर्ट में पेशी के दौरान फरार होने के छह महीने बाद नवंबर में अरुण अपनी बेटी रितू से मिलने के लिए देवार बस्ती के नजदीक आया था। हालांकि वह बस्ती में नहीं घुसा। एक रिक्शे वाले के हाथों उसने बेटी के लिए जूते, चप्पल, कपड़े, खाने-पीने का सामान भिजवा दिया था। रितू का पालन-पोषण कर रही नानी अनसुइया को जब रिक्शे वाले ने सामान थमाया तो वह इस आशंका से बेहद डर गई थी कि कहीं अरुण रितू को भी न मार दे। उसने तत्काल पुलिस को खबर दी। रिक्शे वाले से पूछताछ भी की गई थी। इससे पहले कि पुलिस रेलवे स्टेशन जाकर उसको गिरफ्त में लेती वह ट्रेन के जरिए फरार हो गया। बाद में पुलिस ने उसके बस्ती में आने की खबर को कोरी अफवाह बता दिया।महाराष्ट्र में भिखारी बन काटी फरारीनौ महीने तक फरार रहे अरुण चंद्राकर ने ज्यादातर समय महाराष्ट्र के अलग-अलग शहरों में गुजारा। वह भिखारी बनकर मंदिरों के सामने बैठकर भीख मांगता था और वह अपना पेट पालने के साथ इकलौती बेटी के लिए पैसा इकट्ठा कर रहा था। अरुण ने पूछताछ में बताया कि आमगांव, डोंगरगांव, राजनांदगांव, रसमढ़ा, गोदिंया, नागपुर समेत कई शहरों में घूमते हुए रविवार तीन फरवरी को बेटी का बर्थ डे सेलिब्रेट करने के लिए रिक्शे में सामान लेकर घर जा रहा था, इससे पहले लोगों ने पहचान कर उसे पकड़कर पुलिस के हवाले कर दिया।बेटी से करता है बेइंतहा प्यारअरुण अपनी बेटी रितू चंद्राकर (11) से बेइंतहा प्यार करता है। जेल में रहने और फरारी के दौरान उसे बेटी की चिंता सताती थी। वह कई बार बेटी के खाने-पीने, कपड़े आदि सामान भिजवा चुका था। पत्र भी लिखता था। पुलिस का दावा है कि अरुण के देवार बस्ती में आने की सूचना पर पुलिस ने घेराबंदी की थी। वह पुलिस को देखकर


Source: Dainik Jagran February 08, 2019 18:45 UTC



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