CAA: मोदी सरकार ने केरल का निकाला तोड़, नागरिकता देने की पूरी प्रक्रिया होगी ऑनलाइननई दिल्ली, एजेंसियां। देश के नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर केरल और केंद्र आमने-सामने आ गए हैं। केरल विधानसभा ने नागरिकता संशोधन कानून को हटाने की मांग संबंधी प्रस्ताव को पारित कर दिया है। इसके साथ ही वामदल शासित केरल इस कानून को विधानसभा में खारिज करने वाला पहला राज्य बन गया है, लेकिन केंद्र सरकार ने इसका भी तोड़ निकाल लिया है। कुछ राज्यों में जारी विरोध को दरकिनार करने के लिए सीएए के तहत नागरिकता देने की पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन किए जाने की केंद्र की तैयारी है।किसी भी विधानसभा को नागरिकता पर कोई भी कानून या प्रस्ताव पारित करने का अधिकार नहींइस प्रस्ताव के विरोध में मंगलवार को केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने एक प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि केरल विधानसभा समेत किसी भी विधानसभा को नागरिकता पर कोई भी कानून या प्रस्ताव पारित करने का अधिकार नहीं है। इस संबंध में सारी शक्ति केवल संसद के पास ही निहित है। केंद्र सरकार के कुछ अधिकारियों के मुताबिक केंद्रीय गृह मंत्रालय नागरिकता ग्रहण करने के लिए जिला मजिस्ट्रेट के जरिए आवेदन देने की मौजूदा प्रक्रिया को दरकिनार करने के विकल्प पर विचार कर रहा है। मंत्रालय नागरिकता के लिए नए प्रशासन पर भी गौर कर रहा है।भारतीय नागरिकता देने की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन हो सकती हैगृह मंत्रालय के अफसरों का कहना है कि अगर सीएए के तहत भारतीय नागरिकता देने की पूरी प्रक्रिया ही ऑनलाइन कर दी जाए तो किसी भी राज्य का किसी भी स्तर पर इस प्रक्रिया में कोई दखल नहीं रह जाएगा।केंद्रीय कानून को लागू करने से मना करने का अधिकार राज्यों के पास नहींगृह मंत्रालय के वरिष्ठतम अधिकारियों के मुताबिक ऐसा तब करना पड़ रहा है जबकि संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत सीएए को लागू करना सिर्फ केंद्रीय सूची में आता है। केंद्रीय सूची में आने वाले एक केंद्रीय कानून को लागू करने से मना करने का अधिकार किसी भी राज्य के पास नहीं है। सातवीं अनुसूची में आने वाले 97 विषयों में रक्षा, विदेश मामले, रेलवे, नागरिकता आदि आते हैं।केरल के बाद तमिलनाडु, महाराष्ट्र में भी उठी मांगखबर है कि केरल के बाद तमिलनाडु में विपक्षी दल द्रमुक और महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ कांग्रेस नेता यहां की विधानसभाओं में नए नागरिकता कानून को खारिज करने की मांग करना चाहते हैं। महाराष्ट्र कांग्रेस के उपाध्यक्ष मुहम्मद आरिफ नसीम खान ने कहा कि केरल की तरह ही महाराष्ट्र विधानसभा में भी सीएए को खत्म करने का प्रस्ताव पारित होना चाहिए। राज्य में कांग्रेस शिवसेना सरकार में साझीदार है। इसीतरह तमिलनाडु में विपक्षी दल द्रमुक ने सत्तारूढ़ अन्नाद्रमुक से केरल की तर्ज पर काम करने का आग्रह किया है। द्रमुक प्रमुख स्टालिन ने अपनी फेसबुक पोस्ट में मुख्यमंत्री पलानीस्वामी से कहा कि वह छह जनवरी को तमिलनाडु विधानसभा में भी ऐसा ही प्रस्ताव लाएं। पश्चिम बंगाल सरकार ने भी इस कानून को नहीं लागू करने का एलान किया है।केरल में एकजुट हुए एलडीएफ-यूडीएफइससे पहले, 140 सदस्यीय केरल विधानसभा में नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ एक प्रस्ताव सत्तारूढ़ माकपा-एलडीएफ और विरोधी दल कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) के समर्थन से पारित हुआ है। भाजपा के इकलौते विधायक और पूर्व केंद्रीय मंत्री ओ.राजगोपाल ने इसका विरोध किया। सीएए पर चर्चा के लिए एक दिवसीय विशेष सत्र बुलाया गया। मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने विधानसभा में प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि केरल में कोई डिटेंशन सेंटर नहीं बनाए जाएंगे।केरल में एनपीआर की प्रक्रिया को भी आगे नहीं बढ़ाया जाएगाकेरल में राष्ट्रीय जनसंख्या नियंत्रण रजिस्टर (एनपीआर) की प्रक्रिया को भी आगे नहीं बढ़ाया जाएगा। हालांकि सामान्य जनगणना संबंधी गतिविधियों में राज्य सरकार का पूरा सहयोग रहेगा। हमने राज्य में एनआरसी से संबंधित तैयारियों को भी रोकने का फैसला किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि केरल में पंथनिरपेक्षता का एक लंबा इतिहास रहा है। शुरुआत में ईसाई और मुसलमान केरल पहुंचे। हमारी परंपरा समावेशी है। जबकि भाजपा विधायक ओ. राजगोपाल ने विरोध करते हुए कहा कि इस विधानसभा में जो कुछ भी हो रहा है, वह असंवैधानिक है।Posted By: Bhupendra Singhडाउनलोड करें जागरण एप और न्यूज़ जगत की सभी खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस
Source: Dainik Jagran December 31, 2019 15:22 UTC