मेरठ (ब्यूरो)। शहर में वर्षा जल के संचयन के लिए सरकारी विभागों में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की व्यवस्था की गई थी। ताकि वर्षा का जल भूगर्भ जल स्तर को बढ़ाने में अपनी भूमिका निभाए। मगर समय बीतने और देख-रेख के अभाव में रेन वॉटर हार्वेस्ंिटग प्लांट जर्जर हो चुके हैैं। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट के रियल्टी चेक में ये हकीकत सामने आई। रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम कूड़े से अटे पड़े हैं। सालों से इनकी रिपेयरिंग तक नहीं की गई है। जिसके चलते बारिश का पानी जमीन में जाने के बजाए शहर की सड़कों पहुंचकर जलभराव में तब्दील हो जाता है।कूड़े के ढेर में गुमगौरतलब है कि शहर में साल 2008 में शहर में सिर्फ चार ही यूनिट थे, लेकिन 2011 में एमडीए के बॉयलाज में जब रेन वाटर हार्वेस्टिंग यूनिट स्थापित करना अनिवार्य किया गया तो तेजी से रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की संख्या बढऩे लगी। एक अनुमान के अनुसार शहर में 500 से अधिक रेन वाटर हार्वेस्टिंग यूनिट स्थापित हो चुके हैं। लेकिन इतने बड़े शहर के लिए यह गिनतीभर ही हैं और इनमें से भी अधिकतर चालू हालत में नहीं हैं। स्थिति यह है कि अधिकतर सरकारी विभागों में लगे रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अनदेखी व साफ-सफाई न होने के चलते कूड़े के ढेर में गुमशुदा हो चुके हैं। खुद नगर निगम, विकास भवन, पुलिस थानों में लगे रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम जगह-जगह जाम पड़े हैं।कागजों में जल संचयनएमडीए और नगर निगम को शहर में सरकारी विभागों, पार्कों में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम स्थापित करने की जिम्मेदारी दी गई थी। लेकिन ना तो शहर में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अपडेट हुए और ना ही समय से इन सिस्टम की साफ सफाई होती है। जिसके चलते अधिकतर सरकारी विभागों में रेन वॉटर हार्वेसिस्टम जाम हुए पड़े हैं।नगर निगमनगर निगम परिसर में मेयर और नगरायुक्त कार्यालय के सामने बना रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का टैंक बना हुआ है। इस टैंक से कनेक्टिंग नालियों में जगह-जगह गंदगी होने के कारण बरसात में यह सिस्टम ठप हो जाता है।आरटीओयही हाल आरटीओ कार्यालय में लगे रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम का है। यहां परिसर में बना टैंक और पाइपलाइन जगह-जगह से जाम पड़ी हैं। बरसात में हर साल पूरा परिसर जलभराव से जूझता है।जिमखानाएमडीए का दावा है कि सबसे पहला रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम एमडीए द्वारा जिमखाना में लगाया गया था। लेकिन यहां हर बरसात में पूरा जिमखाना बरसात के पानी में डूब जाता है। जाहिर सी बात है कि यहां सिस्टम काम नहीं कर रहा।सीसीएसयूसीसीएस यूनिवर्सिटी में एक नहीं बल्कि 40 के करीब रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगे हुए हैं। अधिकतर रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम की हालत बदहाल और जर्जर हो चुकी है। इनमें एक बूंद जल संचयन नहीं हो पा रहा है।वर्षा जल संचयन के लिए लोगों में जागरूकता के साथ खुद सरकारी विभागों का जागरूक होना बेहद जरूरी है। विभाग में जो भी आवेदन रेन वॉटर हार्वेस्टिंग के लिए आ रहे हैं उनकी जांच कर तुरंत अनुमति दी जा रही है।विजय कुमार सिंह, नगर नियोजक, एमडीए
Source: Dainik Jagran July 30, 2023 01:42 UTC