Business News: सेवा क्षेत्र में अक्टूबर में लगातार दूसरे महीने गतिविधियों में देखी गयी गिरावट - service sector witnessed a decline in activities for the second consecutive month in october - News Summed Up

Business News: सेवा क्षेत्र में अक्टूबर में लगातार दूसरे महीने गतिविधियों में देखी गयी गिरावट - service sector witnessed a decline in activities for the second consecutive month in october


डिसक्लेमर : यह आर्टिकल एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड हुआ है। इसे नवभारतटाइम्स.कॉम की टीम ने एडिट नहीं किया है।नयी दिल्ली, पांच नवंबर (भाषा) चुनौतीपूर्ण आर्थिक हालात के बीच देश के सेवा क्षेत्र की गतिविधियों में लगातार दूसरे महीने अक्टूबर में भी गिरावट दर्ज की गयी है। एक मासिक सर्वेक्षण में यह बात सामने आयी है। आईएचएस मार्किट इंडिया सर्विसेस बिजनेस एक्टिविटी इंडेक्स (पीएमआई-सेवा) अक्टूबर में 49.2 अंक पर रहा। यह कंपनियों के परचेजिंग मैनेजर के बीच किया जाने वाला मासिक सर्वेक्षण है। हालांकि पिछले माह के आधार पर गतिविधियों में मामूली बढ़त दर्ज की गयी है क्योंकि सितंबर में पीएमआई-सेवा 48.7 अंक था। पीएमआई का 50 अंक से नीचे रहना गतिविधियों में गिरावट और 50 अंक से ऊपर रहना गतिविधियों में विस्तार को इंगित करता है। मंगलवार को जारी पीएमआई-सेवा रपट में अक्टूबर में लगातार दूसरे माह गिरावट देखी गयी है। वित्त वर्ष 2017-18 की दूसरी तिमाही के बाद यह पहला ऐसा मौका है जब इसमें लगातार दो माह तक गिरावट देखी गयी है। रपट के अनुसार सितंबर में भी इसमें गिरावट देखी गयी थी। कंपनियों को नए ठेके मिलने का काम स्थिर रहा, वहीं रोजगार सृजन में भी नरमी देखी गयी। इसके अलावा चुनौतीपूर्ण आर्थिक हालातों ने कारोबारों की धारणा भी प्रभावित की और यह पिछले तीन साल में सबसे निचले स्तर के करीब है। अक्टूबर के आंकड़ों का उदाहरण देते हुए रपट में कहा गया है कि यह घरेलू बाजार में कमजोर मांग की ओर इशारा करता है। हालांकि निर्यातकों की अंतरराष्ट्रीय बिक्री बढ़ी है। जबकि विदेशी बाजारों में मांग की तेजी सीमित रही और यह पिछले चार माह में सबसे कम है। रपट की लेखिका और आईएचएस मार्किट में प्रधान अर्थशास्त्री पॉलियाना डि लामा ने कहा कि यह चिंताजनक है कि भारत का सेवा क्षेत्र संकुचन के चक्र में फंस गया है। उन्होंने कहा कि इससे भी ज्यादा चिंता की बात यह है कि कंपनियों में भविष्य की उम्मीदों में सुधार को लेकर निराशा देखी गयी है। इससे निवेश, रोजगार सृजन इत्यादि को लेकर कारोबारी धारणा प्रभावित हुई है।


Source: Navbharat Times November 05, 2019 13:30 UTC



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