दैनिक भास्कर Jul 05, 2020, 05:00 AM ISTअमित कर्ण. आज उदित नारायण फिल्म इंडस्ट्री में अपने 40 साल पूरे कर रहे हैं। इसी तारीख को 1980 में उनकी पहली फिल्म 'उन्नीस बीस' आई थी। संगीत राजेश रोशन का था। लिखा अमित खन्ना ने था। वह गाना उदित नारायण ने मोहम्मद रफी के साथ गाया था। इंडस्ट्री में 40 साल पूरे होने की खुशी में उदित नारायण अपना यूट्यूब चैनल लॉन्च कर रहे हैं। इन 40 साल के सफर में उन्हें दो बार पद्म पुरस्कार प्राप्त हुए। 5 बार उन्होंने फिल्म फेयर अवार्ड भी जीते। 40 भाषाओं में वह गाते भी रहे। यह सारी उपलब्धियां मगर उन्हें आसानी से हासिल नहीं हुईं।दैनिक भास्कर से खास बातचीत में उन्होंने कहा,' साल 1980 से पहले काम पाने का संघर्ष अलग था। 6 से 7 लोगों के साथ मुंबई में कमरा शेयर करता था। जिस छोटे से गांव से आया था, वहां पिता किसान थे। वह डॉक्टर इंजीनियर बनने को कहा करते थे, पर जुनून अलग था। संघर्ष के दिनों में लोग कहा भी करते थे कि यह तो अब किसी काम का नहीं रहा। मुंबई में टैलेंट होने के बावजूद तमाम बड़े गीत संगीतकारों के दरवाजे खटखटाए। मनुहार तक किया। तब जाकर पहला काम मिला। फिर 1988 में कयामत से कयामत तक आई और उसके बाद से पीछे मुड़कर नहीं देखा।एक्सटॉर्शन मनी के लिए धमकी भरे कॉल आते थे1998 में ‘कुछ कुछ होता है’ से सफल होने के बावजूद एक अलग संघर्ष शुरू हुआ। लगातार धमकियां मिलने लगीं। कहा जाने लगा कि बहुत हवा में उड़ रहे हो। एक्सटॉर्शन मनी के कॉल आने लगे। काम तक छोड़ने को कहा गया। एक ग्रुप था, जिसने मेरे नाम की सुपारी भी दी, जो मेरे काम से इनसिक्योर थे। वह तो भला हो मुंबई क्राइम ब्रांच का जहां से मुझे लगातार सहयोग मिलता रहा। पहले 1998 में तत्कालीन पुलिस कमिश्नर एम एन सिंह ने मुझे दो पुलिस अफसर दिए। बाद में जब राकेश मारिया आए तो उन्होंने भी मुझे सतर्क रहने को कहा। उन्होंने भी मुझे सुरक्षा मुहैया करवाई। यह सब बातें पुलिस रिकॉर्ड में दर्ज हैं।2019 तक मिले धमकी भरे कॉलएक समय लखनऊ से मेरे नाम की सुपारी लेकर कुछ लोग चल भी पड़े थे। हालांकि वह पुलिस के हत्थे चढ़ गए थे। एक बार और हुआ, जब मुझ पर हमला किया जाने वाला था। धमकियों के साए में कुल मिलाकर मैं साल 1998 से लेकर 2019 तक रहा। हर दो-चार महीने में धमकी भरे कॉल आ ही जाते थे। कई बार तो जान से मारने की धमकी भी मिलती रहती थीं। गाली गलौज तो खैर हर कॉल में होती ही थी।22 सालों तक डर के साए में बिताई जिंदगीमुझे समझाना पड़ता था कि भाई ऐसा नहीं है। बहुत ज्यादा नहीं कमाता। एक गाने के 15 से ₹20000 ही मिलते हैं। किसी और का हक तो मार नहीं रहा हूं। लेकिन उन पर कोई सुनवाई नहीं हुई। लगातार 22 साल मुझे धमकियों के साए में जिंदगी बितानी पड़ी।कई बार डिप्रेशन में गयाकुल मिलाकर मुझे स्ट्रेस देने की कोशिश रहती थी धमकी देने वाले की। ताकि मैं अच्छा परफॉर्म ना कर पाऊं। शुरू में मैं घबराता तो जरूर था। कई रातें बिना सोए गुजरती थीं। कई बार डिप्रेशन में गया। आत्महत्या तक के ख्याल आए, मगर एक आर्मी पर्सन की तरह डटा रहा।जिंदगी आसान तो नहीं है। मुश्किलों का सामना कभी डटकर तो कभी नरमी से पेश आ कर करता रहा। पुलिस से भी सहायता मिलती रहे पहले चरण में 1998 से लेकर 2002 तक मेरे साथ दो मशीन गन धारी पुलिस अफसर साथ रहते थे।छुरी लेकर लखनऊ से मारने आए थे लोगएक और वाकया साल 2011 का है। तब मैं मुंबई के सहारा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पास से सरस्वती पूजा करके आ रहा था। उस वक्त भी फोन पर फोन आया कि तुम अलर्ट हो जाओ लखनऊ से लोग निकल चुके हैं तुम्हें मारने के लिए। हालांकि रात में न्यूज टीवी पर आ गई। देखा कि जो लोग मुझे मारने वाले थे उनमें किसी के हाथ में छुरी निकली। लोगों ने इकबालिया बयान भी दिया। सिंगर उदित नारायण को मारने के लिए सुपारी दी गई है। उस वक्त राकेश मौर्या जी पुलिस कमिश्नर थे। उनसे मिलने गया था तो उन्होंने कहा, मैंने कहा भी था कि आप को अलर्ट रहने की जरूरत है कुछ तो गड़बड़ है आपके खिलाफ। उन्होंने भी मुझे एक गनर भी दिया।जितनी बड़ी मंजिल, उतनी ज्यादा अड़चनें22 साल जो धमकियों के साए में रहे, उनमें कई बार क्राइम ब्रांच मैं जाता रहा। अलग-अलग काल के कमिश्नर से मिलता रहा। बहरहाल, फिल्म इंडस्ट्री ने 40 साल मुझे बहुत प्यार दिया है। मैं उसका शुक्रगुजार हूं। मैंने अपनी जिंदगी की तकलीफों संघर्षों और धमकियों से यही सीखा है कि आप की मंजिल जितनी बड़ी होगी, आपके सामने अड़चनें भी उतनी ही बड़ी आएंगी। उनसे घबराना नहीं है। डटकर रहना है।
Source: Dainik Bhaskar July 04, 2020 23:26 UTC