Bitcoin की तर्ज पर Facebook ने भी जारी की वर्चुअल करेंसी, पूरी दुनिया में होगी मान्यनई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। दुनिया की सबसे लोकप्रिय सोशल साइट फेसबुक लोगों को जोड़ने के साथ आपका लेनदेन भी आसान बनाने जा रही है। कहीं भी अपना भुगतान बिना करेंसी चेंज के कर सकते हैं। फेसबुक की डिजिटल करेंसी लिब्रा को लेकर दावे तो बहुत किए जा रहे हैं, लेकिन विशेषज्ञों को इसकी राह में रोड़े भी कम नहीं दिख रहे। इसके पहले डिजिटल करेंसी बिटकॉइन तेजी से लोकप्रिय हुई थी लेकिन किसी देश के केंद्रीय बैंक से मान्यता न होने और भुगतान नेटवर्क न होने से यह विफल हो गई।माना जा रहा है कि लिब्रा अपनी खूबियों के चलते दुनिया भर में वित्तीय प्रणाली से दूर और अछूते लोगों का प्रभावी समावेशन करा पाएगी। हालांकि अभी इसकी स्थिरता और वैधानिकता पर सवाल बना हुआ है। अभी विश्व बैंक की ओर से इसके भुगतान शुल्क का मुद्दा भी है। लेकिन फेसबुक का कहना है कि इसकी यह लागत लगभग शून्य होगी।क्या होगा फायदाअगर कोई व्यक्ति दूसरे देश में जाता है या किसी दूसरे देश से किसी के पास पैसा आता है तो उसे उस देश की करेंसी में परिवर्तन कराना होता है। इसके चलते यदि आप दूसरे देश में जाते हैं तो आपको करेंसी बदलने की जरूरत नहीं होगी।कैसे बनाएगा बाजारइसका सबसे बड़ा फायदा है कि यह एम पैसा, भीम, मास्टर और वीसा कार्ड की तर्ज पर व्यक्ति से व्यक्ति पेमेंट करेगा। मोबाइल पेंमेट की तरह भी काम करेगा। इससे लोगों को बैंक में जाने की जरूरत नहीं होगी।क्या है लिब्राफेसबुक की डिजिटल करेंसी (क्रिप्टो करेंसी) है। यह सार्वभौमिक, स्थायी और आसानी से लोगों और कारोबार के बीच स्थानांतरित की जा सकने वाली मुद्रा है। इसके लिए स्थायी पेमेंट नेटवर्क की गठन की जरूरत नहीं होगी। फेसबुक के साथ इस दिशा में कई कंपनियां जुड़ चुकी हैं।कहां लटका है मुद्दाइस करेंसी का सबसे बड़ा मसला भुगतान शुल्क है, जिसे विश्व बैंक को तय करना है। परदेस से आने वाली रकम की विनियम का औसत शुल्क वर्तमान में सात फीसद है। कुछ देशों में रकम भेजने के लिए लोगों को 10 फीसद तक शुल्क चुकाना पड़ रहा है। हालांकि फेसबुक का दावा है कि इससे लेनदेन का शुल्क न बराबर होगा।क्या है क्रिप्टो करेंसीक्रिप्टो करेंसी एक डिजिटल करेंसी है। यह एक कंप्यूटर मोड से दूसरे कंप्यूटर मोड को दी जा सकती है। इसे आभासी मुद्रा कह सकते हैं। साक्षात नहीं देखा जा सकता है।वैधानिकता का सवालवैसे तो इस करेंसी के इस्तेमाल से देश विदेश में कहीं भुगतान में आसानी होगी लेकिन इसकी स्थिरता और वैधानिकता को लेकर व्यापारियों में अभी आशंका है। क्योंकि किसी भी क्रिप्टो करेंसी को किसी देश के केंद्रीय बैंक ने मान्यता नहीं दी है। हालांकि फेसबुक को अपने बड़े प्लेटफॉर्म और ब्रांड का भरोसा है।भारत और अफ्रीकी देश निगाह मेंफेसबुक अपनी इस करेंसी के लिए भारत और अफ्रीकी देशों जैसे विकासशील देशों पर निगाहें जमा रखी हैं। गरीब लोगों की बड़ी आबादी है जो परंपरागत बैंक खाते का महंगा रखरखाव वहन नहीं कर सकती है। ये लोग तेजी से मोबाइल ऑनलाइन और एप से बैंकिंग कर रहे हैं। हालांकि भारत सहित कई देशों ने क्रिप्टो करेंसी को मान्यता नहीं दी है।Posted By: Sanjay Pokhriyal
Source: Dainik Jagran July 02, 2019 04:11 UTC