पीएचईडी के सर्वे में हुआ खुलासा, शहर में धरती के अंदर 120 फीट के बाद पत्थर की मोटी परत2017 के बाद जलस्तर में तेजी से हो रही गिरावट, 10 साल में 20 फीट से ज्यादा गिरने की संभावनाDainik Bhaskar Jul 21, 2019, 01:00 PM ISTऔरंगाबाद. जिले में भू-जलस्तर जिस हिसाब से तेजी से गिर रहा है। अगले 10 साल बाद भयंकर जल संकट के बादल अाैरंगाबाद में छाने वाले है। पीएचईडी के अधिकारियों के अनुसार हर साल 2 से 3 फीट जलस्तर नीचे गिर रहा है। 2017 के बाद से इसमें ज्यादा गिरावट आंकी जा रही है। अगले 10 साल में करीब 15 से 20 फीट तक जलस्तर खिसक सकता है। 2015 से पहले अंडर ग्राउंड वाटर कंट्रोल में था। महज 10 से 20 इंच तक जलस्तर नीचे खिसकता था। वह भी बरसात के बाद मेंटेन हो जाता था। 2015 में 20 इंच खिसका, 2016 में बाढ़ के बाद मेंटेन हो गया। 2017 में 2 फीट, 2018 में 2.5 फीट और 2019 में अबतक करीब 3 फीट जलस्तर खिसक चुका है। जिससे जल संकट की स्थिति शहर से लेकर गांव तक उत्पन्न हो गई है।धरती में अंदर 120 फीट बाद पहाड़, नहीं मिलेगा पानीऔरंगाबाद शहर का फिलहाल औसत जलस्तर शाहपुर को छोड़कर 90 से 100 फीट है। लेकिन 120 फीट धरती के नीचे पहाड़ की मोटी परत है। जिसे छेदकर पानी निकालना काफी मुश्किल होगा है। हर साल दो से तीन फीट जलस्तर गिर रहा है। इस हिसाब से आने वाले 10 साल में 120 फीट पहुंच जाएगा। जिसके बाद मोटर भी जवाब देने लगेगी। इसके बाद पानी के लिए मारा-मारी के हालात उत्पन्न हो सकते है।जानिए शहर में पेयजल संकट के तीन किस्सेकेस-1पड़ोसी के घर से लाया जा रहा पानीपीएचईडी कॉलोनी के रघुवंश तिवारी के घर में मोटर जवाब दे चुका है। जिसके कारण पड़ोसी के घर से पानी लाकर काम चलाया जा रहा है।केस-2चापाकल बंद, 50 मीटर दूर से ला रहे पानीटिकरी मुहल्ला निवासी मो. मोजीब अंसारी व मो. वारिश के यहां दो माह से चापाकल जवाब दे चुका है। लिहाजा इन दोनों परिवार घर से 50 मीटर दूर पड़ोसी के घर से पानी लाकर काम चला रहा है। रात में इन परिवारों को काफी परेशानी भी होती है।केस-3शिव मंदिर से ला रहा पानीघर में शाहपुर मुहल्ला निवासी नरेश यादव के घर का भी चापाकल महीनों से सूखा पड़ा है। जिसके कारण घर से 100 मीटर दूर शिव मंदिर से उनका परिवार हर रोज पानी लाकर अपनी जरूरत को पूरा कर रहा है।पेयजल संकट का सबसे बड़ा कारण पानी की बर्बादी, इसे रोककर टाला जा सकता ये संकटपेयजल संकट का सबसे बड़ा कारण पानी की बर्बादी है। जिले में सूखा पड़ने के बाद किसानों द्वारा भू-जल की सिंचाई के रूप में प्रयोग करना और भू-जल के व्यावसायिक इस्तेमाल भी प्रमुखा का कारण है। वहीं गांवों में तेजी से वाटर रिचार्ज के साधन तालाब, आहर व पईन का अतिक्रमण कर समाप्त कर दिया गया। जिससे जलस्तर में तेजी से गिरावट हो रही है। वहीं हर घर में जरूरत से ज्यादा पानी की बर्बादी की जा रही है। जिससे जलस्तर तेजी से खिसक रहा है, इसे हमें रोकना होगा। इसकी शुरुआत खुद से करनी होगी।गांव में आहर- तालाब को बचायें। नहाते वक्त पानी बाल्टी भरकर व नल बंद कर नहाएं तो पानी बचेगा। ब्रश व सेविंग करते समय नल खुला न छोड़ें। आरओ व वाशिंग मशीन का इस्तेमाल कम करें। गाड़ी धोने में वाटर पाइप का इस्तेमाल करने के बजाय, बाल्टी में भरकर करें। गिलास में पानी उतना ही लें, जितना पी सकें। वहीं वर्षा के पानी को रिचार्ज कर सकते हैं। ऐसे करने से हम जल बर्बादी को रोक-रोकर आने वाले संकट को टाल सकते हैं।गांवों में 70 फीट बाद चापाकल देगा जवाबजिले के ग्रामीण इलाकों का जलस्तर शहर की तुलना में बेहतर है। औसत जलस्तर 40 से 60 फीट के बीच है। पर इसमें भी गिरावट आ रही है। विशेषज्ञों की मानें तो 70 फीट तक चापाकल पानी खिंचने में सक्षम है। उसके बाद चापाकल जवाब दे जाएगा। ग्रामीण इलाकों में 10 साल बाद 70 फीट पर जलस्तर होगा। जिससे गांवों में जल संकट की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी।वाटर रिचार्ज के दिशा में उठाए जा रहे कई कदमजल संकट से निबटने के लिए विभाग आवश्यक कदम उठाना शुरू कर दिए हैं। अब हर योजना में वाटर रिचार्जिंग को विभाग अनिवार्य कर रहा है। स्कूल, कॉलेज से लेकर सरकारी भवनों तक के निर्माण में अब प्राक्कलन के साथ वाटर रिचार्जिंग के लिए शॉकपिट बनाने के निर्देश दिए जा रहे हैं। गजेन्द्र पासवान, कार्यपालक अभियंता, पीएचईडी
Source: Dainik Bhaskar July 21, 2019 07:30 UTC