Anchors being erected in Chandigarh to commemorate the martyrdom of the younger Sahibzade of Guru Govind Singh - News Summed Up

Anchors being erected in Chandigarh to commemorate the martyrdom of the younger Sahibzade of Guru Govind Singh


Hindi NewsLocalChandigarhAnchors Being Erected In Chandigarh To Commemorate The Martyrdom Of The Younger Sahibzade Of Guru Govind SinghAds से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐपश्रद्धा के साथ किसानों का भी समर्थन: चंडीगढ़ में गुरु गोविंद सिंह जी के छोटे साहिबजादों की शहादत की याद में लगाए लंगरचंडीगढ़ में गांव खुड्‌डा अली शेर के ग्रामीणों ने पिछले 5 दिनों से लंगर लगाया है जिसमें रोजाना 6 हजार से ज्यादा लोग लंगर खाते है। फोटो लखवंत सिंहश्री फतेहगढ़ साहिब में इन दिनों साहिबजादे की शहादत को लेकर शहीदी जोड़ मेला चल रहा1705 में मुगलों ने साहिबजादों काे दीवार में चिनवा कर शहीद किया थागुरु गोविंद सिंह जी के छोटे साहिबजादे व माता गुजरी जी की शहादत व किसान आंदोलन के समर्थन में शहर में कई स्थानों पर लंगर लगाए जा रहे है। लोग बहुत ही श्रद्धा से लंगर को बना कर उसे लोगों के बीच बड़े प्यार से बांट रहे है। पीजीआई चौक के पास पिछले पांच दिनों से लगातार लंगर की सेवा गांव खुड्डा अली शेर निवासियों की ओर से की जा रही है।गांव के पूर्व सरपंच और लंगर लगाने की देखरेख करने वाले बाबा गुरदयाल सिंह ने कहा कि यह लंगर पिछले 12 सालों से अधिक समय से हर साल साहिबजादों की याद में लगाया जाता है। उन्होंने कहा कि इस बार दिल्ली सीमा पर किसान भाई अपने हक के लिए बैठे हुए है,उनका समर्थन भी किया जा रहा है। सेक्टर-11 की मार्केट की ओर से भी लोगों के लिए आज लंगर लगाया गया है। मार्केट के दुकानदारों का कहना है कि हर साल यहां लंगर लगाया जाता है।ठंडे बुर्ज में मोतीराम मेहरा ने माता जी व साहिबजादों को दूध पिलाया। डेमो फोटोइतिहास: 1705 में गुरु जी के छोटे साहिबजादों को मुगलों ने शहीद किया थाश्रीगुरु गोबिंद सिंह जी के छोटे साहिबजादों और माता गुजरी जी की शहादत को नमन करने के लिए इन दिनों शहीदी जोड़ मेला श्री फतेहगढ़ साहिब में मनाया जा रहा है। दूर दराज से संगत शहीदी दिवस में शीश नमन करने के लिए श्री फतेहगढ़ साहिब पहुंच रही है। श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने जब श्री आनंदपुर किला छोड़ा तो उनका परिवार सिरसा नदी पर बिछुड़ गया था। उसके बाद बड़े दो साहिबजादे गुरु जी के साथ रह गए और छोटे दो साहिबजादे माता गुजरी के साथ रह गए।लंगर बनाने की सेवा करती महिलाऐंशहीद करने से पहले ठंडे बुर्ज में रखा1705 में मुगलों ने श्री गुरु गोबिंद सिंह के छोटे साहिबजादे 9 साल के बाबा जोरावर सिंह और 7 साल के बाबा फतेह सिंह के साथ माता गुजरी को गांव सहेड़ी के पास पकड़ कर उन्हें फतेहगढ़ साहिब ले जाया गया और वहां इस्लाम कबूल करने के लिए कहा गया, लेकिन साहिबजादों ने मना कर दिया। इस पर माता गुजरी और दोनों साहबजादों को मुगलों ने यातना देने के लिए तीन दिन और दो रातें ठंडे बुर्ज में रखा था।छोटे साहिबजादों को मुगलों की कैद में दूध पिलाने वाले मोतीराम मेहरा को परिवार सहित कोल्हू में पीस शहीद किया गया थाइस दौरान गुरु गोविंद सिंह जी के छोटे साहिबजादों को ठंडे बुर्ज में रखने से मुगलों का रसोइया मोती राम मेहरा आहत था। उसने रात को ठंडे बुर्ज में मुगल सैनिकों को अपनी पत्नी के गहनों की रिश्वत देकर गर्म दूध के गिलास छोटे साहिबजादों व माता के पास पहुंचाए और उन्हें यह दूध पिलाया। दो दिनों तक रात को सैनिकों को पत्नी के सारे गहने देकर साहिबजादों को दूध पिलाया।इस बात की जब जानकारी मुगल सैनिकों को लगी तो उन्होंने इसकी सजा मेहरा के पूरे परिवार को सूबा सरहिंद ने कोल्हू में पीस कर दी थी। फतेहगढ़ साहिब में आज भी मोती राम मेहरा के नाम का एक गुरुद्वारा फतेहगढ़ साहिब-बस्सी रोड पर बना हुआ है। जहां पर वह दोनों गिलास आज भी मौजूद हैं, जिनसे साहिबजादों को दूध पिलाया गया था।


Source: Dainik Bhaskar December 28, 2020 09:13 UTC



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