American President Donald Trump: us government decided to pull out troops from syria and afghanistan - सीरिया और अफगानिस्तान से लौटेंगे सैनिक - News Summed Up

American President Donald Trump: us government decided to pull out troops from syria and afghanistan - सीरिया और अफगानिस्तान से लौटेंगे सैनिक


डॉनल्ड ट्रंप ने सीरिया और अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को वापस बुलाने का फैसला किया है। पहले उन्होंने सीरिया पर जीत का ऐलान किया और कहा कि उनके सैनिक वहां से वापस आएंगे। उसके अगले ही दिन उन्होंने अफगानिस्तान से भी अपने सैनिक लौटाने का फैसला किया। यह वाकई चौंकाने वाला निर्णय है क्योंकि ट्रंप ने अमेरिका की अफगान नीति में बदलाव कर हाल में ही वहां सैनिकों की नई कुमुक भेजी थी। वैसे सैनिकों की वापसी इस अर्थ में सकारात्मक ही कही जाएगी क्योंकि इससे सैनिकों और उनके परिवारों को राहत मिलेगी लेकिन मुश्किल यह है कि अमेरिका ने जिस मकसद से सैनिक भेजे थे, वह पूरा नहीं हुआ है, खासकर अफगानिस्तान में तो चीजें और ज्यादा उलझ गई हैं।जहां तक सीरिया का प्रश्न है तो कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि इस्लामिक स्टेट के जिहादियों के खिलाफ मोर्चा संभाल रहे कुर्दिश लड़ाके अमेरिकी सैन्य बलों की वापसी से अपने को कमजोर महसूस कर सकते हैं। हालांकि एक राय यह भी है कि अमेरिका की कोई खास भूमिका वहां थी ही नहीं। उलटे उस पर आईएस को खड़ा करने का ही आरोप लगता रहा है। अफगानिस्तान पर वापस लौटें तो यहां से अमेरिकी सैनिकों की वापसी का दक्षिण एशिया पर गहरा असर पड़ सकता है। पिछले 17 सालों से अमेरिकी सेना वहां बैठी हुई है।नए फैसले के मुताबिक अगले कुछ महीनों में वहां मौजूद सभी 14,000 अमेरिकी सैनिक धीरे-धीरे करके वापस बुला लिए जाएंगे। जमीनी सच्‍चाई यह है कि अफगानिस्तान को आतंकवाद से निजात नहीं मिली है, न ही वहां राजनीतिक प्रक्रिया मजबूत हो सकी है। अमेरिका की कोशिश किसी तरह वहां से निकल जाने की है क्योंकि ट्रंप की आक्रामक नीति का कोई फायदा नहीं हुआ, उलटे तालिबान की ताकत में जबर्दस्त बढ़ोतरी हुई है और कहा जा रहा है कि देश के 40 से 50 फीसदी हिस्से पर उसका कब्जा हो चुका है। दूसरी तरफ देश का पूर्वी हिस्सा आईएस के कब्जे में आता जा रहा है।अमेरिका ने तालिबान से बातचीत की कई कोशिशें करके देख लीं लेकिन उनका कोई नतीजा नहीं निकला। अमेरिका के अफगानिस्तान से निकलने की एक वजह रूस भी है, जो न सिर्फ वहां आईएस से लड़ने में तालिबान की मदद कर रहा है बल्कि वहां शांति स्थापित करने के लिए अपने तरीके से प्रयास भी कर रहा है। पिछले महीने अफगानिस्तान की सरकार और तालिबान के बीच बैठक भी रूस की पहल पर ही संभव हुई। बहरहाल, अमेरिकी फैसले से भारत की फिक्र बढ़ गई है। आने वाले दिनों में वहां अराजकता बढ़ सकती है, जिससे हमारी परियोजनाएं प्रभावित हो सकती हैं। फिलहाल सतर्क होकर स्थितियों पर नजर रखनी होगी।


Source: Navbharat Times December 22, 2018 03:56 UTC



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