हंसते-खेलते गए बेटे कफन में लिपटे लौटे, मां बोलीं-मुझे मौत क्यों न आई - News Summed Up

हंसते-खेलते गए बेटे कफन में लिपटे लौटे, मां बोलीं-मुझे मौत क्यों न आई


हंसते-खेलते गए बेटे कफन में लिपटे लौटे, मां बोलीं-मुझे मौत क्यों न आईजागरण संवाददाता, जमशेदपुर : मध्यप्रदेश के शहडोल के पास हुई सड़क दुर्घटना में मरे तीरंदाज जसपाल सिंह और सरस सोरेन का शव शुक्रवार की दोपहर को करीब एक बजे उनके घर पहुंचा। शव पहुंचते ही दोनों के घरों में परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल हो गया। काशीडीह बगान एरिया स्थित जसपाल सिंह के घर में शव देखते ही उसकी मां शरणजीत कौर, बहन जसवीर कौर, दादी रंजीत कौर, चाची चाचा व पंजाब से आए रिश्तेदार दहाड़ मार-मार कर रोने लगीं। ऐसा ही हृदयविदारक दृश्य सरस सोरेन के स्वर्णरेखा प्रोजेक्ट कॉलोनी स्थित घर पर भी रहा। बेटे सरस का शव घर पहुंचने तक उसकी मां विमला मझियाइन को पता भी नहीं था कि उसके बेटे का शव घर लाया जा रहा है। जैसे ही उसके सामने सरस का शव रखा गया, वह खटिया से नीचे गिर गई। शव से साथ लिपट कर रोने लगी। मां को चीखते-चिल्लाते रोते देख पूरी कॉलोनी की आंखों में आंसू आ गए। सरस की बहन, भाभी सीता सोरेन, भाई बीर सिंह सोरेन व पिता गुरूदास सोरेन भी फफक-फफक कर रोने लगे।-----15 मिनट ही घर पर रखा गया जसपाल काजसपाल के शव को घर के अंदर नहीं ले जाया गया, बल्कि बाहर गली में ही रखा गया। शव देख परिवार वालों रोना बिलखना लोगों से देखा न गया तो 15 मिनट में शव को वहां से ले जाया जाने लगा, लेकिन जसपाल की मां व बहन शव से लिपट गईं। किसी तरह मां व बहन को संभाला गया और लोग शव को लेकर साकची गुरुद्वारा पहुंचे। वहां अरदास करने के बाद शव को स्वरर्णरेखा घाट ले जाया गया, जहां अंतिम संस्कार कर दिया गया।--टीएमएच में रस्म पूरी कर लाया गया शव घरजसपाल सिंह के शव को नहाना धुलाना आदि की रस्म घर में पूरा करना संभव नहीं था। इसलिए शव का पूरा रस्म टीएमएच में ही कर लिया गया। टीएमएच में पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा, अमरप्रीत सिंह काले, झानो हांसदा, पूर्णिमा महतो, बिजय खां सहित सिख समाज के काफी लोग पहुंचे थे। वहीं स्वर्णरेखा घाट में झारखंड अल्पसंख्यक आयोग के उपाध्यक्ष गुरदेव सिंह राजा, तख्त श्री हरिमंदिर साहिब पटना के उपाध्यक्ष इंद्रजीत सिंह, झारखंड प्रदेश गुरुद्वारा कमेटी के प्रधान शैलेंद्र सिंह, परमजीत सिंह काले, दुलाल भुइयां पहुंचे थे।-------दो घंटे के इंतजार के बाद शव निकाला गया टीएमएच सेटीएमएच के शीतगृह जसपाल सिंह के शव को चीफ मेडिकल सर्विसेस डा राजन सिंह को अमरप्रीत सिंह काले ने फोन कर रखवाया था। सुबह जब शव को शीत गृह से निकालने के लिए परिजन गए तो बिना इजाजत शव को निकालने की अनुमति डाक्टर नहीं दे रहे थे। जिसके कारण सुबह 10.30 बजे से दोपहर 12.30 बजे तक शव को टीएमएच से नहीं निकाला जा सका। फिर अमरप्रीत सिंह काले ने चीफ मेडिकल सर्विसेस के डा. राजन चौधरी को फोन किया, जिसके बाद शव को शीतगृह से निकाला गया। कालीमाटी रोड में लग गया जामजसपाल सिंह के शव के घर पहुंचने से पहले ही सैकड़ों की संख्या में लोग होटल सागर से जसपाल सिंह के घर (काशीडीह बगान-9 एरिया) तक खड़े थे। एक बजे जैसे ही शव घर पहुंचा। भीड़ और बढ़ गई। इससे होटल सागर के समीप कालीमाटी रोड पर जाम लग गया। करीब 1.15 बजे शव को वहां से ले जाया गया तो करीब 1.45 बजे ट्राफिक सामान्य हुई।--आदिवासी रीति से सरस का हुआ अंतिम संस्कारसरस सोरेन का अंतिम संस्कार आदिवासी विधि से किया गया। लाया (पुजारी) सह ग्राम प्रधान दीपक मुर्मू ने अंतिम संस्कार की विधि आदिवासी रीति रिवाज से संपन्न कराया। इस दौरान काफी संख्या में परिजन, मित्र व बस्तीवासी मृतक के शरीर पर फूल माला चढ़ाकर श्रद्धासुमन अर्पित किया। इस दौरान सभी यही कहते रहे कि आखिर हंसते-खेलते सोरेन परिवार को किसकी नजर लग गयी। लोग पुराने दिनों को याद कर रहे थे, जब सरस सोरेन के बड़े भाई, जो कराटे चैंपियन था, की मौत 15 साल पूर्व अचानक हो गयी थी।-----भतीजा ने दिया मुखाग्निघर पर आदिवासी रीति रिवाज से अंतिम संस्कार की पक्रिया पूरी करने के बाद सरस सोरेने का पार्थिव शरीर स्वर्णरेखा बर्निग घाट ले जाया गया। जहां मृतक के भतीजे विशाल सोरेन ने मुखाग्नि दी। इस अवसर पर समाज के प्रबुद्ध दीपक मुर्मू, भाजपा नेता विकास सिंह, अमरेंद्र पासवान, राजेश साव के अलावा सैकड़ों लोग उपस्थित थे।--------मध्यप्रदेश के शहडोल में दुर्घटना में हुई थी मौतमध्यप्रदेश के शहडोल के पास स्थित बुढ़ार गांव के पास सड़क दुर्घटना में राष्ट्रीय स्तर के तीरंदाज सरस सोरेन व जसपाल सिंह की मौत हो गई थी। वे आइ-20 कार से भोपाल जा रहे थे, जहां उन्हें तीरंदाजी के प्रोडक्ट्स का स्टॉल लगाना था। धुंध के कारण तड़के उनकी कार ट्रक से टकरा गई थी, जिसमें दोनों की मौत हो गई थी।Posted By: Jagran


Source: Dainik Jagran February 09, 2019 03:00 UTC



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