सुप्रीम कोर्ट में तमिलनाडु के मेडिकल कॉलेजों में ओबीसी कैंिडडेट्स को 50% आरक्षण देने की याचिका दाखिल की गईसुप्रीम कोर्ट ने याचिका दाखिल करने वाले राजनीतिक दलों से कहा- याचिका वापस लीजिए और मद्रास हाईकोर्ट जाइएदैनिक भास्कर Jun 11, 2020, 08:58 PM ISTनई दिल्ली/चेन्नई. सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को आरक्षण पर बड़ी टिप्पणी की है। अदालत ने कहा कि आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है। इस टिप्पणी के साथ ही अदालत ने उस याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया, जिसमें तमिलनाडु के राजनीतिक दलों ने मेडिकल कॉलेजों में ओबीसी को 50 फीसदी आरक्षण दिए जाने की अपील की थी।रिजर्वेशन पर अदालत की टिप्पणी क्या है? जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस एस रवींद्र भट की बेंच ने कहा- कोई भी आरक्षण के अधिकार के मौलिक अधिकार होने का दावा नहीं कर सकता है। आरक्षण देने से इनकार करना किसी भी संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन नहीं कहा जा सकता है। रिजर्वेशन मौलिक अधिकार नहीं, बल्कि यह आज का कानून है। आप अपनी याचिका वापस लें और मद्रास हाईकोर्ट जाएं।कोर्ट ने यह टिप्पणी किस मामले पर की? सुप्रीम कोर्ट में डीएमके, सीपीएम, तमिलनाडु कांग्रेस कमेटी, सीपीआई ने याचिका दाखिल की थी और कहा था कि मेडिकल कॉलेजों में ओबीसी से के लिए आरक्षण की व्यवस्था ना होना संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है।राजनीतिक पार्टियों ने केंद्र द्वारा ऑल इंडिया कोटा के तहत तमिलनाडु में अंडर ग्रैजुएट, पोस्ट ग्रैजुएट मेडिकल और डेंटल कोर्स में ओबीसी को 50% कोटा ना दिए जाने के फैसले का विरोध किया था। इसमें कहा गया था कि याचिका पर फैसला आने तक कॉलेजों में नीट के तहत हो रही काउंसिलिंग पर रोक लगाई जाए।राजनीतिक दलों की याचिका का आधार क्या था? पॉलिटिकल पार्टियों ने याचिका में कहा था- तमिलनाडु में ओबीसी, एससी, एसटी के लिए 69% रिजर्वेशन है। इसमें ओबीसी का हिस्सा 50% है। याचिका में कहा गया कि ऑल इंडिया कोटा के तहत तमिलनाडु को दी गई सीटों में से 50% पर ओबीसी कैंडिडेट्स को एडमिशन दिया जाना चाहिए।
Source: Dainik Bhaskar June 11, 2020 10:01 UTC