राज्य सरकार ने कहा - समान काम समान वेतन देने में हम पूरी तरह असमर्थ3.56 लाख नियोजित शिक्षकों के मामले में 22 वें दिन भी सुनवाई अधूरीगुरुवार को समान काम समान वेतन मामले पर अंतिम सुनवाई की संभावना हैDanik Bhaskar Sep 26, 2018, 07:36 PM ISTपटना. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान कहता है कि काम की समानता की स्थिति में वेतन असमान नहीं होना चाहिए। नियोजित भी वहीं काम करते हैं, जो नियमित शिक्षक कर रहे हैं, तो फिर इन्हें असमान वेतन क्यों? सरकार ने कहा-समान वेतन देने में असमर्थराज्य सरकार ने कोर्ट में कहा- समान काम के लिए 3.56 लाख नियोजित शिक्षकों को समान वेतन देने में पूरी तरह असमर्थ हैं। बुधवार को 22 वें दिन भी सुनवाई पूरी नहीं हो सकी। गुरुवार को केंद्र और राज्य सरकार की ओर से फिर दलील दी जाएगी। न्यायाधीश एएम सप्रे और यूयू ललित की कोर्ट में सुनवाई चल रही है।बजट के हिसाब से वेतन दे सकती है सरकारकोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार को कल्याणकारी नियमावली बनाने का हक है। लेकिन बजट का हवाला देकर काम करने वालों के बीच अंतर करना गलत है। जो शिक्षक आरटीई के प्रधानों एवं एनसीटीई के मानक के अनुसार योग्यता रखते हैं, उन्हें समान वेतन कैसे नहीं दिया जाना चाहिए? राज्य सरकार की ओर से वरीय वकील दिनेश द्विवेदी ने कहा कि सरकार को बजट के अनुसार बहहाली नियमावली बनाने का अधिकार है। उन्होंने आर्टिकल 16 का हवाला देते हुए कहा कि राज्य सरकार अपने बजट के अनुरूप ही वेतन दे सकती है। कोर्ट ने कहा सरकार को नियमावली बनाने का अधिकार है, लेकिन बंधुआ मजदूरी कराने का अधिकार नहीं।अतिरिक्त राशि नहीं देगी केंद्रइसके पहले केंद्र की ओर से अटार्नी जनरल वेणुगोपाल ने कहा कि फिर कहा कि समान वेतन राज्य सरकार अपने प्रयास से दे सकती है। इसके लिए केंद्र सरकार अतिरिक्त राशि नहीं देगी। केंद्र और राज्य सरकार लगातार तर्क दे रही है कि नियमित शिक्षकों की बहाली बीपीएससी के माध्यम से हुई है। नियोजित शिक्षकों की बहाली पंचायती राज संस्था से ठेके पर हुई है। इसलिए इन्हें समान वेतन नहीं दिया जा सकता है।
Source: Dainik Bhaskar September 26, 2018 14:03 UTC