सुप्रीम कोर्ट ने कहा- कंपनियों पर सख्त कार्रवाई नहीं होगी, इंडस्ट्री और वर्कर्स को एक-दूसरे की जरूरत होती है, वे आपस में विवाद सुलझाएं - Dainik Bhaskar - News Summed Up

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- कंपनियों पर सख्त कार्रवाई नहीं होगी, इंडस्ट्री और वर्कर्स को एक-दूसरे की जरूरत होती है, वे आपस में विवाद सुलझाएं - Dainik Bhaskar


गृह मंत्रालय ने 29 मार्च को जारी ऑर्डर में कहा था कि लॉकडाउन में कर्मचारियों की सैलरी नहीं काटी जाएकंपनियों ने कहा था- लॉकडाउन में प्रोडक्शन बंद होने की वजह से आर्थिक दिक्कतें हैंदैनिक भास्कर Jun 12, 2020, 03:59 PM ISTनई दिल्ली. अगर लॉकडाउन के दौरान प्राइवेट कंपनियां अपने वर्कर्स को पूरी सैलरी देने में नाकाम रही हैं, तो उन पर अभी सख्त कार्रवाई नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को यह फैसला सुनाया। कोर्ट ने आपस में विवाद सुलझाने पर जोर दिया है। इस मामले में अगली सुनवाई जुलाई के आखिरी हफ्ते में होगी। सुनवाई की तारीख तय नहीं है।सवाल-जवाब में समझें पूरा मामला...गृह मंत्रालय के किस ऑर्डर पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई? हैंड टूल्स मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन और जूट मिल्स एसोसिएशन समेत कुछ प्राइवेट कंपनियों ने गृह मंत्रालय के ऑर्डर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन लगाई थी। इस पर 15 मई को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई कर इंटरिम ऑर्डर जारी किया था। इसमें कहा गया था कि गृह मंत्रालय का ऑर्डर नहीं मानने वाली कंपनियों पर कार्रवाई न हो।सुप्रीम कोर्ट में आज क्या हुआ? जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय कृष्ण कौल और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने शुक्रवार को सुनवाई की। बेंच ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान पूरी सैलरी देने में नाकाम रही कंपनियों पर सख्त कार्रवाई न की जाए। कंपनियों को जुलाई के आखिरी हफ्ते तक के लिए यह राहत मिली है।सरकार के लिए सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा है? सुप्रीम कोर्ट ने 4 जून को फैसला रिजर्व रख लिया था। कोर्ट ने कहा था कि वर्कर्स को बिना सैलरी दिए नहीं छोड़ना चाहिए। कंपनियों के पास पैसे नहीं हैं तो सरकार दखल दे सकती है। सैलरी का 50% पेमेंट भी किया जा सकता है। हालांकि, सरकार का कहना था कि जो कंपनियां सैलरी देने में दिक्कत होने की बात कर रही हैं, उन्हें अपनी ऑडिटेड बैलेंस शीट कोर्ट में पेश करने को कहा जाना चाहिए।


Source: Dainik Bhaskar June 12, 2020 02:40 UTC



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