सिस्टम 'कैद' में: सजा पूरी होने के 4 माह बाद भी नालंदा जेल में बंद है बांग्लादेशी महिला, राज्य मानवाधिकार आयोग ने गृह विभाग को भेजा नोटिस - News Summed Up

सिस्टम 'कैद' में: सजा पूरी होने के 4 माह बाद भी नालंदा जेल में बंद है बांग्लादेशी महिला, राज्य मानवाधिकार आयोग ने गृह विभाग को भेजा नोटिस


Hindi NewsLocalBiharPatnaNalandaBangladesh Bihar | Riya Afreen Roopa In Nalanda Jail; Commission Sent Notice To Additional Chief Secretaryसिस्टम 'कैद' में: सजा पूरी होने के 4 माह बाद भी नालंदा जेल में बंद है बांग्लादेशी महिला, राज्य मानवाधिकार आयोग ने गृह विभाग को भेजा नोटिसपटना 7 घंटे पहलेकॉपी लिंकमहिला की सजा को पूरा हुए 4 महीने से भी अधिक हो रहे हैं लेकिन अब तक जेल में बंद है।बिना डॉक्यूमेंट के भारत में एंट्री करने की आरोपी बांग्लादेश की रिया आफरीन रूपा आज भी नालंदा जेल में कैद है। जबकि, महिला की सजा पूरा हुए 4 महीने से भी अधिक हो रहे हैं। अब मामले की गंभीरता को देखते हुए अब राज्य मानवाधिकार आयोग ने संज्ञान लिया है।आयोग ने कारण बताओ नोटिस सरकार के गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव को भेजा है। 2 जून को यह नोटिस जारी कर दी गई है। आयोग ने इस केस में 26 अगस्त तक गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव से जवाब मांगा है। साथ ही पूछा है कि इस मामले में अब तक क्या कार्रवाई की गई है? उसके बारे में भी आयोग को बताना होगा। 2 सितंबर को राज्य मानवाधिकार आयोग इस मामले पर सुनवाई करेगा।गलत कर रही है जिला पुलिसमुजफ्फरपुर निवासी एडवोकेट सुबोध कुमार झा ने राज्य के साथ-साथ राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के सामने इस मामले को उठाया है। इन्होंने 29 मार्च को दोनों जगहों पर एक साथ अपील की थी। जिस पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने 8 सप्ताह में इस केस का निपटारा करने का आदेश दिया था। लेकिन, एडवोकेट की मानें उस आदेश के तहत राज्य सरकार या नालंदा पुलिस की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके बाद राज्य मानवाधिकार आयोग की तरफ से नोटिस जारी की गई।कोर्ट ने SP को दिया था स्वदेश भेजने का आदेशजिस वक्त बांग्लादेश की रहने वाली महिला को नालंदा के कोर्ट में पेश किया गया था, उसी दरम्यान कोर्ट ने एक आदेश दिया था कि सजा पूरा होते ही उन्हें स्वदेश भेज दिया जाए। इसकी पूरी जिम्मेवारी नालंदा के SP को कोर्ट की तरफ से सौंपी गई थी। मगर, ऐसा हुआ नहीं। महिला आज भी जेल में कैद है। जो सीधा भारतीय संविधान के आर्टिकल - 21 का उल्लंघन है।महिला गरीब है और उसे किसी का सपोर्ट नहीं है। इसी वजह से एडवोकेट सुबोध कुमार झा ने इस केस को खुद से आयोग के सामने उठाया। एडवोकेट का कहना है कि जब महिला की सजा 22 जनवरी 2021 को पूरी होने वाली थी तो पुलिस को पिछले साल के दिसंबर महीने से उसे स्वदेश भेजने के लिए कदम उठाना चाहिए था। सारी प्रक्रिया पहले ही पूरी कर लेनी चाहिए थी, पर ऐसा हुआ नहीं।जानिए पूरा मामलारिया आफरीन रूपा बांग्लादेश के खुलना जिले के तहत खलिशपुर के रहने वाले मो. शाहजहां की पत्नी है। 12 अक्टूबर 2019 को नालंदा जिले के नूरसराय थाना की पुलिस ने उसे अहियापुर गांव के पास से पकड़ा था। पुलिस की जांच में महिला के पास भारत में एंट्री से जुड़ा कोई दस्तावेज नहीं मिला था। जिसके बाद पुलिस ने महिला को गिरफ्तार कर लिया था। फिर कोर्ट में उसे पेश किया गया। उस वक्त अपने बयान में उसने कोर्ट को बताया था कि बांग्लादेश में उसका बच्चा बीमार है। बच्चे का ऑपरेशन होना था। उसे रुपयों की जरूरत थी। एक दलाल ने उसे भरोसा दिया था कि उसे भारत में काम दिला देगा। मगर, यहां लाने के बाद उसे भटकने के लिए छोड़ दिया।उस वक्त इस केस की सुनवाई फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेट रहे मानवेंद्र मिश्रा ने की थी। उन्होंने भारत में अवैध रूप से एंट्री करने के मामले में एक साल की सजा महिला को दी थी। साथ ही 500 रुपए का आर्थिक दंड भी दिया था। आर्थिक दंड जमा नहीं करने पर 7 दिन एक्स्ट्रा जेल में रहने का आदेश दिया गया था। उस हिसाब से महिला की सजा 22 जनवरी 2021 को पूरी हो गई। बावजूद इसके वो अभी भी जेल में है। इस मामले पर नालंदा के वर्तमान SP का पक्ष जानने के लिए भी उनके सरकारी मोबाइल नंबर पर कॉल किया गया, पर उनसे बात नहीं हो पाई।


Source: Dainik Bhaskar June 07, 2021 10:33 UTC



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