सायरस मिस्त्री विवाद / टाटा सन्स ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- अपीलेट ट्रिब्यूनल के फैसले ने कॉर्पोरेट डेमोक्रेसी को कमजोर किया - News Summed Up

सायरस मिस्त्री विवाद / टाटा सन्स ने सुप्रीम कोर्ट में कहा- अपीलेट ट्रिब्यूनल के फैसले ने कॉर्पोरेट डेमोक्रेसी को कमजोर किया


टाटा सन्स ने 2016 में मिस्त्री को चेयरमैन पद से हटा दिया था, मिस्त्री ने फैसले को चुनौती दी थीनेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल ने 18 दिसंबर को मिस्त्री के पक्ष में फैसला दिया थाट्रिब्यूनल ने कहा था- मिस्त्री फिर से टाटा सन्स के चेयरमैन नियुक्त हों; टाटा सन्स को अपील के लिए 4 हफ्ते का वक्त मिला थानौ जनवरी को टीसीएस की बोर्ड मीटिंग है, इसलिए 6 जनवरी को जब सुप्रीम कोर्ट की बेंच बैठेगी तो टाटा सन्स के वकील तुरंत सुनवाई की मांग कर सकते हैंDainik Bhaskar Jan 02, 2020, 04:43 PM ISTनई दिल्ली. सायरस मिस्त्री के मामले में टाटा सन्स ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। टाटा सन्स ने अंतरिम राहत के तौर पर ट्रिब्यूनल के फैसले पर रोक लगाने की मांग की है। उसने दलील दी कि अपीलेट ट्रिब्यूनल के फैसले ने कॉर्पोरेट डेमोक्रेसी को कमजोर किया है। बता दें 9 जनवरी को टाटा ग्रुप की फ्लैगशिप कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) की बोर्ड बैठक होनी है। ऐसे में 6 जनवरी को जब सुप्रीम कोर्ट खुलेगा तो टाटा सन्स के वकील चाहेंगे कि तुरंत सुनवाई हो।एनसीएलएटी ने 18 दिसंबर को मिस्त्री के पक्ष में फैसला देते हुए उन्हें फिर से टाटा सन्स के चेयरमैन नियुक्त करने का आदेश दिया था। ट्रिब्यूनल ने मिस्त्री को हटाने और एन चंद्रशेखरन को चेयरमैन नियुक्त करने के टाटा सन्स के फैसले को गलत बताया था। टाटा सन्स को अपील के लिए 4 हफ्ते का वक्त मिला था।टाटा सन्स की 5 अहम दलीलें1.अपीलेट ट्रिब्यूनल ने इसकी कोई वजह नहीं बताई कि सायरस मिस्त्री को हटाने का फैसला गैर-कानूनी कैसे था? 2.सायरस मिस्त्री की बहाली के अपीलेट ट्रिब्यूनल के आदेश से ग्रुप की अहम कंपनियों के कामकाज को लेकर भ्रम पैदा हुआ है।3. टाटा सन्स के चेयरमैन और निदेशक पद पर सायरस मिस्त्री का कार्यकाल मार्च 2017 में ही खत्म हो गया था। मिस्त्री ने बहाली की मांग नहीं की थी, लेकिन अपीलेट ट्रिब्यूनल ने याचिकाकर्ता की मांग से भी आगे जाकर फैसला दिया।4. रतन टाटा और टाटा ट्रस्ट के नामित व्यक्तियों के फैसले लेने पर रोक लगाना शेयरधारकों और बोर्ड ऑफ मेंबर्स के अधिकारों को दबाना है। इससे कॉर्पोरेट डेमोक्रेसी को नुकसान हो रहा है।5.


Source: Dainik Bhaskar January 02, 2020 05:58 UTC



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