इस संशोधन विधेयक को संसद के 17 जून से शुरू सत्र में पेश किया जाएगायह विधेयक आधार कानून 2016 तथा अन्य कानून में संशोधन के रूप में होगा और मार्च 2019 में जारी अध्यादेश का स्थान लेगा। इस संशोधन विधेयक को संसद के 17 जून से शुरू सत्र में पेश किया जाएगा।- संशोधन में आधार कानून के प्रावधानों के उल्लंघन करने पर एक करोड़ रुपये तक का दिवानी जुर्माना लगाने का प्रस्ताव किया गया है। अगर लगातार नियमों का अनुपालन नहीं किया जाता है तो प्रतिदिन 10 लाख रुपए तक के अतिरिक्त जुर्माना लगाया जाएगा।- आधार मांगने पर या भौतिक रूप से सत्यापन के मामले में आधार का अनाधिकृत उपयोग अपराध है। इसके लिए 10,000 रुपए तक के जुर्माने के साथ 3 साल तक की जेलहो सकती है।- कंपनी के मामले में यह र्जुमाना 1 लाख रुपये तक है। अनाधिकृत तरीके से सेंट्रल आइडेन्टिटीज डोटा रिपोजिटीरी’ तक पहुंच के साथ डाटा से छोड़छाड़ के लिये मौजूदा तीन साल से 10-10 साल की सजा का प्रावधान है।- आधिकारिक विज्ञप्ति के अनुसार, ‘‘इस निर्णय से यूआईडीएआई (भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण) लोगों के हितों के अनुरूप एक मजबूत प्रणाली बनाने में सक्षम होगा और इससे आधार के दुरुपयोग को कम करने में सहायता मिलेगी।- इस संशोधन के बाद यदि संसद द्वारा पारित किसी कानून की बाध्यता न हो तो किसी व्यक्ति को अपनी पहचान साबित करने हेतु आधार नम्बर प्रस्तुत करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकेगा।- इसमें कहा गया है, ‘‘प्रस्तावित संशोधन लोगों की सुविधा के लिये बैंक खाते खुलवाने में आधार के उपयोग को मान्यता देता है परंतु बैंक को आधार नम्बर देना स्वैच्छिक होगा।- टेलीग्राफ अधिनियम, 1885 तथा धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 के तहत बैंक इसे केवाईसी दस्तावेज के रूप में स्वीकार कर सकते हैं।- इसका मतलब है कि इसमें बैंक खाता खोलने तथा मोबाइल फोन कनेक्शन लेने के लिये सत्यापन और पहचान पत्र के रूप में आधार के स्वैच्छिक उपयोग की अनुमति होगी।
Source: Dainik Bhaskar June 13, 2019 09:56 UTC