व्यर्थ हुआ चक्का जाम, ट्रांसपोर्टरों को माया मिली न राम - News Summed Up

व्यर्थ हुआ चक्का जाम, ट्रांसपोर्टरों को माया मिली न राम


जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। ट्रांसपोर्टरों का चक्का जाम बिना किसी खास उपलब्धि के समाप्त हो गया। सरकार के आश्वासनों ने ट्रांसपोर्टरों की इज्जत तो बचा ली। लेकिन इनसे सड़क सुरक्षा के लिए चिंताजनक स्थिति पैदा हो सकती है। सरकार ने एक्सल लोड बढ़ोतरी को पुराने ट्रकों पर भी लागू करने की ट्रांसपोर्टरों की मांग पर विचार का भरोसा दिया है। जबकि विशेषज्ञों का कहना है कि इसे माना गया तो सड़क दुर्घटनाएं और बढ़ेंगी।सात दिन की ट्रक हड़ताल के बाद मिला आश्वासन और तीन महीने का इंतजारसरकार के साथ समझौते के बाद 20 जुलाई से शुरू ट्रांसपोर्टरों का चक्का जाम अंतत: 27 जुलाई को देर शाम समाप्त हो गया। संयुक्त बयान के मुताबिक सड़क सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति ट्रांसपोर्टरों की मांगों पर विचार कर तीन महीने में रिपोर्ट देगी। इनमें वाहन फिटनेस सर्टिफिकेट की वैधता साल के बजाय दो साल करना, गुड्स वाहनों के लिए दो ड्राइवर के साथ फास्टैग की बाध्यता समाप्त कर नेशनल परमिट नियमों को सरल बनाना, मौजूदा वाहनों को भी ज्यादा एक्सल लोड की अनुमति, ओवरलोडिंग नियमों को सख्ती से लागू करना तथा ट्रांसपोर्ट वाहनों के लिए एक समान ऊंचाई निर्धारित करना शामिल है। ये वही मांगें हैं जिन्हें कमोबेश सड़क मंत्री नितिन गडकरी स्वीकार कर चुके थे।लेकिन वित्त मंत्रालय से संबंधित मांगों पर स्थिति जस की तस है। इनमें ई-वे बिल, जीएसटी और टीडीएस और ट्रांसपोर्ट वाहनों पर प्रीजम्टिव दरों को युक्तिसंगत बनाने तथा डायरेक्ट पोर्ट डिलीवरी से जुड़े मसले शामिल हैं। ई-वे बिल के बारे में सरकार ने कहा है कि लिखापढ़ी की गलतियों पर मामूली जुर्माना लगना चाहिए, लेकिन अंतिम फैसला जीएसटी परिषद ही करेगी। डायरेक्ट पोर्ट डिलीवरी में प्रतिबंधात्मक प्रावधानों को हटाने का प्रयास होगा।यदि ट्रांसपोर्टर पहले ही गडकरी का अनुरोध स्वीकार कर लेते तो फजीहत और नुकसान से बच सकते थे। चक्का जाम से पहले गडकरी ने ट्रांसपोर्टरों को समझाया था कि सरकार उनकी मांगों पर जल्द ही कुछ करेगी। बस, नवंबर तक का समय दे दें। लेकिन ट्रांसपोर्टर नहीं माने। आखिरकार उन्हें वही करना पड़ रहा है।बहरहाल, इस पूरे प्रकरण पर परिवहन विशेषज्ञों का कहना है कि सड़क मंत्रालय ने ट्रांसपोर्टरों को व्यर्थ ही सिर चढ़ने का मौका दिया। इससे वे पुराने ट्रकों का एक्सल लोड बढ़ाने जैसी नाजायज मांगें करने लगे हैं।आइएफटीआरटी के संयोजक एसपी सिंह ने कहा कि यदि इसे माना गया तो हादसे और बढ़ जाएंगे। वाहन निर्माताओं की संस्था सियाम ने भी इस पर सरकार को आगाह किया है।By Bhupendra Singh


Source: Dainik Jagran July 28, 2018 14:37 UTC



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