लोकसभा चुनाव 2019 न्यूज़: आजम खान के बेटे अब्दुल्ला के जया प्रदा पर बिगड़े बोल, 'अली-बजंरगबली चाहिए, लेकिन अनारकली नहीं' - abdullah azam khan son of azam khan comments calls jaya prada anarkali - News Summed Up

लोकसभा चुनाव 2019 न्यूज़: आजम खान के बेटे अब्दुल्ला के जया प्रदा पर बिगड़े बोल, 'अली-बजंरगबली चाहिए, लेकिन अनारकली नहीं' - abdullah azam khan son of azam khan comments calls jaya prada anarkali


जया प्रदा पर शर्मनाक बयानचुनाव चाहे लोकसभा के हों या राज्यसभा या विधानसभा के, किसी त्योहार से कम नहीं होते। हर बार ऐसी यादें भी रह जाती हैं जो चुनावी इतिहास के पन्नों पर दर्ज हो जाती हैं। आगे तस्वीरों में देखें, ऐसे ही कुछ ऐतिहासिक पल...1984 के लोकसभा चुनावों से पहले प्रचार के लिए निकले लखनऊ सीट पर निर्दलीय उम्मीदवार जेपी शुक्ला वोट मांगने के लिए हजरतगंज के व्यस्त चौराहे पर एक ट्रैफिक कॉन्स्टेबल के पैर छूते हुए। उस साल लखनऊ में कांग्रेस की शीला कौल की जीत हुई थी। कौल इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल में शामिल हुई थीं। उन्होंने तीन बार यह सीट अपने नाम की और बाद में हिमाचल प्रदेश की राज्यपाल भी बनीं।पूर्व प्रधानमंत्री चंद्र शेखर की यह तस्वीर 19 मई, 1991 की है, जब वह मुंबई के कालबादेवी में एक चुनावी सभा को संबोधित करने के बाद लौट रहे थे। उन्होंने खुली जीप में खड़े होकर हाथ हिलाते हुए भीड़ का अभिवादन स्वीकार किया। जनता दल से अलग होने के बाद नवंबर 1990 में चंद्र शेखर कांग्रेस के समर्थन से पीएम बने। उनकी सरकार प्रदर्शन करने में विफल रही और बजट भी पारित नहीं कर सकी क्योंकि भारत आर्थिक संकट में आ गया था।भारत में होने वाले चुनावों में हिंसक झड़पों और बूत कैप्चरिंग से निजात पाना मुश्किल ही रहा है। इस तस्वीर में देखें, 1991 के चुनाव में हथियारों का प्रदर्शन करते हुए बिहार के एक पोलिंग बूथ की ओर जाते लोग। निर्वाचन आयोग ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन इस्तेमाल करने का फैसला इसीलिए किए था कि ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।1989 की चुनावी तस्वीर को देखते तीन दोस्त। 1984 में भारी जीत के बाद 1989 में कांग्रेस को सत्ता गंवानी पड़ी थी। उस वक्त भारतीय जनता पार्टी ने लंबी छलांग मारते हुए 2 सीटों से बढ़कर 85 सीटें अपने नाम की थीं। कांग्रेस उन चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर जरूर उभरी थी लेकिन जनता दल ने बीजेपी और लेफ्ट के साथ मिलकर वीपी सिंह के नेतृत्व में सरकार बनाई थी।आज के समय में भले ही चुनावों के वक्त टीवी पर बढ़-चढ़रक कवरेज होती है, पहले के समय में बहुत सरलता से चुनावों का प्रसारण किया जाता है। इस तस्वीर में देखें, दिल्ली का एक स्टूडियो जहां 1971 के लोकसभा चुनावों का प्रसारण करने की तैयारी की जा रही है। यह चुनावों के टेलिविजन कवरेज के शुरुआती मौकों में से एक था।साल 1978 में कर्नाटक के चिक्कमगलूरू में इंदिरा गांधी के खिलाफ जनता पार्टी के लिए प्रचार करने जाते जॉर्ज फर्नांनडीस। इंदिरा इमर्जेंसी के बाद हुए 1977 के चुनावों में सत्ता से बाहर हो चुकी थीं और अक्टूबर 1978 में चिक्कमगलूरू से उपचुनाव के लिए खड़ी हुई थीं। प्रचार के दौरान फर्नांडीस ने गांधी को ऐसा 'कोबरा' कह डाला था जो वोटरों को काट सकता था। हालांकि, इंदिरा ने इस चुनाव में जनता पार्टी के वीरेंद्र पाटिल को 70,000 वोटों से हरा दिया था।आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एनटी रामाराव 1987 में हरियाणा विधानसभा चुनाव के दौरान झज्जर में लोकदल के नेता देवीलाल के लिए चुनाव प्रचार करते हुए। वह अपने साथ तेलुगू देशम पार्टी के ऐतिहासिक वाहन भी हरियाणा ले गए थे जिसे चैतन्य रतम नाम दिया गया था। लोकदल-बीजेपी ने चुनाव में विरोधियों का सूपड़ा साफ कर दिया और देवी लाल मुख्यमंत्री बने।आज हम नतीजे घर से लेकर बाजारों तक में लगीं बड़ी-बड़ी स्क्रीन्स पर देखते हैं। तस्वीर में देखिए, नई दिल्ली में टाइम्स ऑफ इंडिया ऑफिस के पास स्कोरबोर्ड पर डिस्प्ले किए गए 1980 लोकसभा चुनाव के नतीजे।इलाहाबाद में प्रचार करते अमिताभ बच्चन। 1984 लोकसभा चुनाव में अमिताभ बच्चन ने इलाहाबाद से चुनाव लड़ा था, उन्होंने एचएन बहुगुणा को हराया था। अमिताभ इस सीट से 1,87,795 मतों से जीते थे हालांकि तीन साल बाद उन्होंने राजनीति छोड़ने का ऐलान कर सांसद पद से इस्तीफा दे दिया था।1984 के चुनावों में बांद्रा के पाली हिल में एक पोलिंग बूथ पर अपनी बारी का इंतजार करते ऐक्टर ऋषि कपूर।महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शरद पवार मुंबई में परेल स्थित राष्ट्रीय मिल मजदूर संघ के दफ्तर का 4 नवंबर 1989 को नारियल फोड़कर बॉम्बे की 6 सीटों पर लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस के प्रचार अभियान की शुरुआत करते हुए। उनके साथ प्रत्याशी (बाएं से दाएं) डीटी रुपवते, शरद दिघे, मुरली देवड़ा, सुनील दत्त और उद्योग मंत्री रामराव अदिक।1991 में राजीव गांधी बॉम्बे में एक रैली को संबोधित करते हुए। इससे पहले के लोकसभा चुनाव सिर्फ 16 महीने पहले ही हुए थे। 1991 के चुनावों में किसी पार्टी को बहुमत में नहीं मिला था और कांग्रेस ने अल्पमत की सरकार बनाई थी। इसी दौरान 20 मई को चुनाव के पहले चरण के मतदान के एक दिन बाद ही 21 मई को प्रचार करते हुए तमिलनाडु में राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी।ममता बनर्जी पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ज्योति बासु के साथ। उस वक्त ममता केंद्रीय युवा, खेल और बाल कल्याण मंत्री थीं। यह मुलाकात कोलकाता की राइटर्स बिल्डिंग में हुई थी। बासु ने 23 साल तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री का पद संभाला और सबसे लंबे वक्त तक सीएम रहने वाले देश के मुख्यमंत्रियों में से एक रहे। उस वक्त इन दोनों को शायद ही इस बात का अंदाजा होगा कि इस मुलाकात के 20 साल बाद ममता बनर्जी खुद उस पद पर काबिज होंगी। इस बीच ममता ने कांग्रेस से निकलकर अपनी खुद की पार्टी ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस बनाई।14 मार्च 2000 को कांग्रेस के टिकट पर राज्यसभा के लिए मुंबई विधानसभा में नामांकन भरते लेजंडरी ऐक्टर दिलीप कुमार। उनके साथ महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख। दिलीप कुमार 2000 से 2006 तक राज्यसभा सांसद रहे।Xयूपी के रामपुर से बीजेपी उम्मीदवार जया प्रदा पर विवादित टिप्प्णी पर पिता आजम खान इन दिनों घिरे हुए हैं, अब बेटे अब्दुल्ला आजम खान भी उसी रास्ते में जाते दिखाई दे रहे हैं। रामपुर में प्रचार के आखिरी दिन अब्दुल्ला खान ने एक रैली के दौरान जया प्रदा पर आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए कहा कि हमें अली और बजरंगबली की जरूरत है


Source: Navbharat Times April 22, 2019 03:01 UTC



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