वोट इतने आए कि कांग्रेस न सिर्फ दूसरे नंबर पर रही वरन परिणाम आने तक दिग्गजों की धड़कन बढ़ाती रही। इंडी गठबंधन में कांग्रेस को गोरखपुर-बस्ती मंडल में बांसगांव, महराजगंज और देवरिया की सीट चुनाव लड़ने के लिए दी गई थी।दुर्गेश त्रिपाठी, जागरण, गोरखपुर। भले ही इंडी गठबंधन का सहारा हो लेकिन गोरखपुर मंडल में कांग्रेस मजबूत हुई है। बीते दो चुनावों में हजारों में सिमटने वाली कांग्रेस पर इस लोकसभा चुनाव में मतदाताओं ने खूब वोट बरसाए।सबसे ज्यादा दबाव बांसगांव लोकसभा सीट पर कांग्रेस का रहा। यहां प्रत्याशी सदल प्रसाद ने तीन बार के भाजपा सांसद कमलेश पासवान को कड़ी टक्कर दी। परिणाम आया तो कमलेश पासवान सिर्फ 3150 वोटों से ही जीते थे।इसे भी पढ़ें-बरेली में आज बढ़ेगा पारा, गोरखपुर में गर्मी से राहत की उम्मीदबांसगांव लोकसभाबात वर्ष 2014 से शुरू करते हैं। बांसगांव लोकसभा सीट कांग्रेस पहले ही गंवा चुकी थी। वर्ष 2009 में मैदान में उतरे कांग्रेस के महावीर प्रसाद को शिकस्त झेलनी पड़ी थी। वर्ष 2014 के चुनाव के पहले ही महावीर प्रसाद का निधन हो गया था।कांग्रेस के सामने प्रत्याशी चयन का ही संकट था। टिकट तो बहुत लोग मांग रहे थे लेकिन भरोसा किस पर करें, पार्टी नेतृत्व परेशान था। तब डा. संजय कुमार को टिकट दिया गया। उन्होंने खूब प्रचार किया लेकिन परिणाम आया तो संजय कुमार को सिर्फ 50 हजार 675 वोट ही मिले थे।फिर आया वर्ष 2019 का चुनाव। पार्टी ने स्थानीय नेताओं के विरोध के बाद भी एक पूर्व अफसर को टिकट दिया। बाद में उनका टिकट ही खारिज हो गया। यह कांग्रेस के लिए बड़ा झटका था। यानी इस चुनाव में कांग्रेस का वजूद ही बांसगांव में नहीं था।इस बार के चुनाव में पार्टी नेतृत्व ने टिकट पर खूब मंथन किया। बसपा से तीन बार चुनाव लड़कर हार चुके सदल प्रसाद से संपर्क किया गया तो वह तैयार हो गए। स्थानीय नेताओं को भी भनक नहीं लगी कि सदल प्रसाद को टिकट मिलने जा रहा है। टिकट मिलने के बाद सदल प्रसाद का कुछ विरोध हुआ लेकिन बाद में उनके पुराने राजनीतिक रसूख और सरलता के आगे सभी साथ आ गए।इसे भी पढ़ें- गोरखपुर में विवादित पोस्टर लगाकर दी गई 'बधाई', सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीरमहराजगंज लोकसभामहराजगंज लोकसभा सीट पर जिस तरह फरेंदा के विधायक वीरेंद्र चौधरी ने केंद्रीय वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी को टक्कर दी, उसे वर्षों याद रखा जाएगा। आसान लगने वाला चुनाव ऐसा फंसा कि जब तक पंकज चौधरी को विजयी नहीं घोषित किया गया, सांसें अटकी रहीं।वर्ष 2009 के चुनाव में कांग्रेस के हर्षवर्धन सिंह ने बसपा के गणेश शंकर पांडेय को एक लाख 23 हजार 628 वोटों से हराया था। तब भाजपा के पंकज चौधरी तीसरे नंबर पर थे लेकिन वर्ष 2014 के चुनाव में पासा पलट गया।मोदी लहर में राहुल गांधी के प्रचार के बाद भी कांग्रेस प्रत्याशी और तत्कालीन सांसद हर्षवर्धन सिंह चौथे नंबर पर खिसक गए। उन्हें बसपा और सपा से भी कम वोट मिले। हर्षवधन को सिर्फ 75 हजार 193 वोटों से संतोष करना पड़ा था। उस चुनाव में पंकज चौधरी को चार लाख 71 हजार 542 वोट मिले थे।वर्ष 2019 के चुनाव में कांग्रेस ने वापसी की कोशिश की और तब तक दिवंगत हो चुके हर्षवर्धन सिंह की बेटी सुप्रिया सिंह श्रीनेत को दिल्ली से भेजा गया। सुप्रिया भी खास कमाल नहीं दिखा सकीं लेकिन अपने पिता के मुकाबले ज्यादा वोट पाने में कामयाब रहीं। फिर भी उन्हें विजेता पंकज चौधरी के कुल वोट का 10 प्रतिशत ही मिल सका था। पंकज चौधरी को सात लाख 26 हजार 349 वोट मिले थे।सपा के अखिलेश सिंह को तीन लाख 85 हजार 925 और कांग्रेस की सुप्रिया सिंह श्रीनेत को 72 हजार 516 वोट मिले थे। इसके बाद लगा कि कांग्रेस अब महराजगंज में उबर नहीं पाएगी लेकिन वीरेंद्र चौधरी ने कमाल कर दिया।देवरियादेवरिया लोकसभा सीट पर कांग्रेस भले ही 40 वर्ष बाद भी नहीं जीत सकी लेकिन उसके प्रत्याशी अखिलेश प्रताप सिंह ने भाजपा के गढ़ में इस तरह सेंध लगायी कि पार्टी हिल गई। वर्ष 1984 में राजमंगल पांडेय के पंजा चुनाव चिह्न पर जीतने के बाद से कांग्रेस की देवरिया में वापसी नहीं हो सकी है।वर्ष 1989 में पार्टी दूसरे, वर्ष 1991 के चुनाव में तीसरे और वर्ष 1996, 1998, 1999, 2004, 2009, 2014 के चुनावों में लगातार चौथे स्थान पर रही। वर्ष 2019 के चुनाव में बसपा से कांग्रेस में आए नियाज अहमद तीसरे नंबर पर रहे लेकिन इस बार यानी वर्ष 2024 के चुनाव में कांग्रेस ने कमाल कर दिया। अखिलेश प्रताप सिंह को चार लाख 69 हजार 699 मत मिले। यह अब तक का कांग्रेस का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है।कांग्रेस को मिले वोट
Source: Dainik Jagran June 07, 2024 02:52 UTC