रोजगार के मुद्दे पर पीएम मोदी पर हमलावर हुए राहुल, हिटलर से की तुलना - News Summed Up

रोजगार के मुद्दे पर पीएम मोदी पर हमलावर हुए राहुल, हिटलर से की तुलना


नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। बेरोजगारी की दर बीते 45 साल में सबसे ज्यादा पहुंच जाने के आंकड़ों का हवाला देते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बेहद तीखा हमला किया है। उन्होंने कहा कि बेरोजगारी के आंकड़ों की लीक हुई सरकारी रिपोर्ट हर साल 2 करोड़ युवाओं को नौकरियां देने के पीएम के वादे की असलियत बता रही है।कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि नौकरियों का पीएम का यह वादा राष्ट्रीय आपदा में तब्दील हो गई और अब नरेंद्र मोदी की विदाई का वक्त आ गया है। बेरोजगारी के सरकारी आंकड़ों की एनएसएसओ की मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट का हवाला देते हुए राहुल गांधी ने ट्वीट कर पीएम पर यह प्रहार किया। उन्होंने कहा कि अब कोई नौकरी नहीं है जबकि 5 साल पहले हर साल 2 करोड नौकरियों का हमसे वादा किया गया था। इस लीक सरकारी रिपोर्ट का हवाला देते हुए राहुल ने कहा कि बेरोजगारी 45 साल के शिखर पर है और केवल एक साल 2017-18 में ही साढ़े छह करोड़ युवा बेरोजगार रहे।रोजगार के मोर्चे पर मोदी सरकार की कमजोर नस पर लगातार प्रहार करते रहे राहुल ने एनएसएसओ के लीक आंकड़ों के सहारे इसके बाद एक संक्षिप्त फेसबुक पोस्ट में भी दार्शनिक अंदाज में गंभीर हमला किया। कुछ मीडिया रिपोर्ट की तस्वीरें साझा करते हुए राहुल ने फेसबुक पर लिखा कि 'सच छिप नहीं सकता। दफन नहीं हो सकता। बीज की तरह होता है।' दफन करने वाले को उसके कद का अंदाजा कराने में उसे देर नहीं लगती।राहुल ने इसी संदर्भ में पीएम पर प्रहार करते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी का देश के युवाओं के साथ किया गया विश्वासघात आज सबके सामने है। बेरोजगारी के आंकड़े पर मचे बवाल का लेकर राहुल गांधी के हमले के बाद कांग्रेस ने भी देश में बढ़ी बेरोजगारी पर सरकार को आड़े हाथों लिया। कांग्रेस नेता आनंद शर्मा और अभिषेक सिंघवी ने कहा कि बेरोजगारी जिस रिकार्ड स्तर पर पहुंच गई है उसे छुपाने के लिए ही सरकार एनएसएसओ के आंकड़े का सच उजागर नहीं कर रही है। सरकार के इस रुख से नाराज होकर ही एनएसएसओ के दो सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया है। बेरोजगारी के इस आंकड़े को आधार बनाते हुए कांग्रेस संसद के मौजूदा सत्र में भी सरकार को घेरने की तैयारी में जुट गई है।क्या है मामला? मीडिया में यह खबर आई है कि नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) के सर्वे में देश में बेरोजगारी की दर पिछले 45 वर्षो के उच्चतम स्तर 6.1 फीसद पर पहुंच गई है। खबर सामने आने के बाद से सत्ता पक्ष और विपक्ष में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। हालांकि अभी तक एनएसएसओ की यह रिपोर्ट जारी नहीं हुई है। हाल ही में राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के दो स्वतंत्र सदस्यों ने इस रिपोर्ट के जारी नहीं किए जाने की बात करते हुए अपने पद से इस्तीफा भी दिया है। इसके बाद से ही यह मामला तूल पकड़ रहा है।नीति आयोग का आरोपों से इन्काररोजगार के आंकड़ों को लेकर छिड़े विवाद पर स्थिति स्पष्ट करने के लिए नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार और सीईओ अमिताभ कांत ने एक प्रेस वार्ता की। इस दौरान उन्हें पत्रकारों के तीखे सवालों का सामना करना पड़ा। 2017-18 में देश में बेरोजगारी की दर के सवाल पर उन्होंने कहा कि यह हम कैसे बता दें। अगर हमारे पास रिपोर्ट होती तो हम बता देते। वर्तमान समय में देश में बेरोजगारी की दर के सवाल पर उन्होंने कहा, 'नीति आयोग को इस समय देश में बेरोजगारी की दर के बारे में पूरी तरह से जानकारी नहीं है।'एनएसएसओ के रोजगार संबंधी ताजा आंकड़ों के बारे में मीडिया में छपी रिपोर्ट पर कुमार ने कहा कि उन पर भरोसा नहीं किया जाना चाहिए। रोजगार सृजन के आंकड़े सरकार तैयार कर रही है जो मार्च, 2019 तक जारी किए जाएंगे। नए आंकड़े नई विधि व नए सैंपल साइज के आधार पर जुटाए जा रहे हैं जिनकी तुलना 2011-12 के आंकड़ों से नहीं की जा सकती। अब सरकार हर तीन महीने पर रोजगार के आंकड़े जारी करेगी जबकि पहले पांच वर्षों पर ही ऐसे आंकड़े जारी होते थे।नीति आयोग के सीईओ ने कहा कि जब आर्थिक विकास दर 7-7.5 फीसद के करीब है, तब आप यह दावा नहीं कर सकते कि नई नौकरियां नहीं मिल रही हैं। फिलहाल देश में 70-80 लाख नई नौकरियां सृजित हो रही हैं। इस संबंध में उन्होंने ओला, उबर, ट्रांसपोर्ट सेक्टर की कंपनियों, स्टार्ट अप व मुद्रा लोन के लाभार्थियों का हवाला दिया। कांत ने ये आंकड़े निजी सेक्टर की तरफ से आए कुछ अध्ययनों के आधार पर उपलब्ध कराए।Posted By: Mangal Yadav


Source: Dainik Jagran January 31, 2019 10:31 UTC



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