रीवा और मऊगंज जिले में नकली डीएपी का फैला कारोबार - News Summed Up

रीवा और मऊगंज जिले में नकली डीएपी का फैला कारोबार


Fake DAP business: रीवा और मऊगंज जिले के कस्बों और छोटे बाजार इन दिनों नकली डीएपी खाद के कारोबार का केंद्र बन चुके हैं। नामचीन कंपनियों की प्रिंटेड बोरियां और सिलाई मशीन कई तहसीलों में पहुंच चुकी हैं। जानकार बताते हैं कि सुपर फास्फेट नामक खाद को व्यापारी दूसरी बोरी में पलटकर उसमें मिलावट करते हैं और बाद में उसी नकली खाद को डीएपी बताकर सरेआम अच्छी कीमत पर जरूरतमंद किसानों को बेंच रहे हैं।यही नही मिलावटखोर इन दो जिलों के अलावा छत्तीसगढ़ के सीमावर्ती इलाकों में भी नकली खाद की खेप भेजी जाती है।खाद और बीज में मिलावट के कारण अन्नदाता खुद को ठगा महसूस कर रहा है। इस पर प्रशासन की निष्क्रियता समस्या को और भी गंभीर बना रही है। गांव-गांव मिलावटखोरों का जाल फैल चुका है।दरअसल रवी सीजन की बोनी जैसे- जैसे पीक पर पहुंच ही है, वैसे-वैसे डीएपी की मांग और समितियों में खाद का अभाव नकली डीएपी बनाने वालों को कारोबार करने का मौका प्रदान कर रही है। ऐसे में किसान के पास यह तय करने का समय नहीं होता कि जिसे वह डीएपी समझकर लिया है, वह सुपर फास्फेट का मिक्वर है।नापतौल में घालमेल, फिर भी लुट रहे किसानदरअसल भारतीय जन उर्वरक परियोजना कंपनी की खाद के वजन का जो मानक तय कर रखा है, उसके अनुसार, डीएपी की प्रत्येक बोरी में 50 किलो 200 ग्राम निर्धारित है। लेकिन बाजार में नकली डीएपी की बोरी का वजन 51 किलो 800 ग्राम बताया जा रहा है। यहीं अतिरिका वजन मिलावट और धोखाधड़ी का संकेत है।सबसे अहम बात यह है कि मिलावटखोर नामचीन खाथ उत्पादक कंपनियों के नाम पर यह गोरखधंधा कर रहे हैं। ऐसे में इस संदेह का और हवा मिलती है कि कहीं कंपनियों की शह पर तो मिलावट खोरी का खेल तो नहीं चल रहा है।लायसेंस नहीं फिर भी गांवों में खुल गईं कीटनाशक दवा बेचने की दुकानेंगांवों में बिना लायसेंस के कीटनाशक दवा बेचे जाने की दुकानें खुल गई हैं। इन्ही दुकानों खाद और बीज भी मिल रहा है। बताया तो यह भी जाता है कि एक दुकान की परमीशन लेने के बाद दो दुकानें उसी नाम पर शहर और गांव में चलाई जा रही है। जिसकी जानकारी कृषि विभाग के अधिकारियों को है।इसके बाद भी कोई कार्यवाई नहीं की जाती। आए दिन सुनने को मिलने लगा है कि अमुख व्यक्ति ने कीटनाशक दवा पीकर अपनी जान दे दी। एक अबोध बच्चे ने कीटनाशक दवा पी ली। जिन कीटनाशक दवाओं के सेवन से किसी के मौत की खबरें मिलती है उसमें से 36 दवाओं पर वर्ष 2012 में केंद्र सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाया जा चुका है। बावजूद इसके ये कीटनाशक दवाएं बाजार में आसानी से मिल रही हैं।पीओएस मशीन से खाद वितरण का है प्रावधान समितियोंसे जुड़े सूत्र बताते हैं कि सरकार ने खाद वितरण और बिक्री के दौरान पीओएस मशीन के इस्तेमाल को अनिवार्य कर रखा है। बताया जाता है कि यह प्रावधान सेवा सहकारी समितियों के अलावा लाइसेंस लेकर खाद बेचने वाले निजी कारोबारियों पर भी लागू कर रखा है। परंतु रीवा और मऊगंज में सक्रिय मिलावटखोर इस प्रावधान को दरकिनार कर कई टन रोजाना नकली डीएपी खुलेआम बेच रहे हैं। इस पर कृषि विभाग के उपसंचालक यूपी बागरी का कहना है कि जिले में नकली खाद के कारोबार की उनको कोई जानकारी नहीं है और नहीं कहीं से कोई शिकायत मिल रही है।दवा कहां से मिली कोई नहीं जांच करतासंजय गांधी अस्पताल में आए दिन कीटनाशक दवाएं पीकर लोग पहुंचते रहते हैं। कई इसमें मर भी जाते हैं। उनका पंचनामा बनकर पोस्टमार्टम कराकर लाश को सौप दिया जाता है लेकिन कभी यह जांच नहीं होती है कि यह कीटनाशक क्वा मरने वाले ने कहां से खरीदी थी। इसकी बारीकी से जांच होनी चाहिए। प्रतिबंधित कीटनाशक दवाएं सरेआम बाजार में बेची जा रही है।इनके दामों भी कोई नियंत्रण नहीं रहता। कृषि विभाग कभी कभार जांच कराता रहता है। नियमित जांच व होने से इसका फायदा दुकानदार उठाने में सफल हो रहे हैं।5 सौ की सुपर फास्फेट बन जाती है 1400 की बोरीजिले के मनगव, गढ़, कटरा सोहागी और घूमा के अलावा मऊगंज जिले के नईगढ़ी, मऊगंज, हनुमना और खटखरी और इन बाजारों के आस पास के गांवों में सरेआम बेची जा रही नकली डीएपी को सुपर फास्फेट से केमिकल मिलाकर उसके तीन गुने दाम वरून रहे हैं।बताया जाता है कि मानक डीए‌पी के तीन अलग-अलग रुपए प्रति बोरी रेट सरकार ने तय कर रखे हैं, जिन्हें 1350 रुपए से लेकर 1475 देकर लिया जा सकता है, लेकिन मिलावटखोर 5 सौ रुपए की सुपर फास्फेट को डीएपी बनाकर 14 सौ से 1500 प्रति बोरी के रेट में बेच रहे हैं।टमाटर के ट्रकों में जाती है डीएपी की खेपबताया गया है कि जो टूक टमाटर और धनिया लेकर छत्तीसगढ़ से टीवा आते हैं उन्हीं ट्रकों से वापसी में नकली डीएपी की खेप भेजी जाती है। इस मामले में प्रशासनिक उपासीनता किसानों के लिए मुरीचत बनी है


Source: Dainik Bhaskar November 18, 2024 03:59 UTC



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